कोरोना संकट: इस साल 0% रह सकती है भारत की जीडीपी ग्रोथ, मूडीज ने जताया अनुमान

By मनाली रस्तोगी | Updated: May 9, 2020 09:07 IST2020-05-08T16:12:00+5:302020-05-09T09:07:12+5:30

रेटिंग एजेंसी मूडीज ने शुक्रवार को बताया कि कोरोना वायरस की वजह से चालू वित्त वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था की ग्रोथ जीरो रहेगी। इसके अलावा भारत की ग्रोथ फाइनेंशियल ईयर 2021 में भी जीरो पर ठहर सकती है।

India may see 0% GDP growth in FY 2020-21 says Moody’s report | कोरोना संकट: इस साल 0% रह सकती है भारत की जीडीपी ग्रोथ, मूडीज ने जताया अनुमान

मूडीज ने ग्रोथ के जीरो रहने की आशंका जताई (फाइल फोटो)

Highlightsरेटिंग एजेंसी मूडीज ने शुक्रवार को बताया कि कोरोना वायरस की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था की ग्रोथ मौजूदा वित्त वर्ष में जीरो पर ठहर सकती है।मूडीज ने ग्रोथ के जीरो रहने की आशंका जताने के साथ ही राजकोषीय घाटे के भी 5.5 फीसदी तक रहने का अनुमान जताया है।

नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हो रहा है। इस बीच मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने शुक्रवार को बताया कि लॉकडाउन के कारण चालू वित्त वर्ष में भारत की सकल घरेलू उत्पाद यानी ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (GDP) जीरो फीसदी होने का अनुमान है। साथ ही, रेटिंग एजेंसी का ये अनुमान है कि फाइनेंशियल ईयर 2020-21 में भी जीडीपी जीरो फीसदी रहेगी। 

हालांकि, एजेंसी का मानना है कि फाइनेंशियल ईयर 2022 में भारत की जीडीपी की ग्रोथ 6.6 फीसदी हो सकती है। इसके अलावा, मूडीज ने जीडीपी ग्रोथ के जीरो फीसदी रहने की आशंका जताने के साथ ही राजकोषीय घाटे के भी 5.5 फीसदी तक रहने का अनुमान जताया है, जोकि इससे पहले बजट में 3.5 फीसदी था। मूडीज की रिपोर्ट के अनुसार, देश में फैले कोविड-19 (COVID-19) ने टिकाऊ राजकोषीय समेकन (Fiscal consolidation) की संभावनाओं को काफी कम कर दिया है।

बता दें कि पिछले साल नवंबर में रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत की रेटिंग को स्टेबल से डाउनग्रेड करते हुए नेगेटिव कर दिया था। दरअसल, स्टेबल से नेगेटिव करने के पीछे देश की कमजोर आर्थिक ग्रोथ थी। ऐसे में रेटिंग कम करते हुए मूडीज ने नवंबर 2019 में भारत को "Baa2" रेटिंग दी थी। Baa2 दूसरा सबसे कम निवेश ग्रेड स्कोर होता है। वहीं, एजेंसी का कहना है कि कोरोना वायरस की वजह से भारत की "Baa2 नेगेटिव" रेटिंग में अपग्रेड की कोई स्थिति नजर नहीं आ रही है। 

एजेंसी ने इस दौरान देश में व्यापक राजकोषीय घाटा, ऊंचे सरकारी ऋण, कमजोर सामाजिक और भौतिक बुनियादी ढांचे और नाजुक वित्तीय क्षेत्र की आशंका व्यक्त की है। मूडीज ने कहा कि हाल के वर्षों में भारत की आर्थिक वृद्धि की गुणवत्ता में गिरावट आयी है। इसका पता ग्रामीण परिवारों में खराब वित्तीय स्थिति, अपेक्षाकृत कम उत्पादकता और कमजोर रोजगार सृजन से चलता है। एजेंसी ने अपने नये पूर्वानुमान में कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि शून्य रह सकती है।

इसका अर्थ है कि देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की स्थिति इस वित्त वर्ष में सपाट रहेगी। एजेंसी ने हालांकि, वित्त वर्ष 2021-22 में वृद्धि दर के 6.6 प्रतिशत पर पहुंच जाने का अनुमान व्यक्त किया है। मूडीज ने चेतावनी दी कि कोरोना वायरस महामारी से लगा झटका आर्थिक वृद्धि में पहले से ही कायम नरमी को और बढ़ा देगा। इसने राजकोषीय घाटे को कम करने की संभावनाओं को पहले ही कमजोर कर दिया है। विश्लेषक इस बात को लेकर सुनिश्चित हैं कि इस महामारी का देश की आर्थिक स्थिति पर बड़ा प्रभाव पड़ना तय है।

मूडीज की स्थानीय इकाई इक्रा ने इस महामारी के कारण वृद्धि दर में दो प्रतिशत की गिरावट की आशंका व्यक्त की है। इस महामारी के कारण पूरा देश करीब दो महीने से लॉकडाउन की स्थिति में है। मूडीज ने इससे पहले पिछले महीने के अंत में कैलेंडर वर्ष 2020 में जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 0.2 प्रतिशत कर दिया था। सरकार ने मार्च में 1.7 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की थी। अनुमान लगाया जा रहा है कि सरकार एक और राहत पैकेज की घोषणा कर सकती है।

एजेंसी ने इस बारे में कहा कि इन उपायों से भारत की आर्थिक नरमी के असर और अवधि को कम करने में मदद मिल सकती है। हालांकि, ग्रामीण परिवारों में लंबे समय तक वित्तीय बदहाली, रोजगार सृजन में नरमी तथा वित्तीय संस्थानों व गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों (एनबीएफसी) के समक्ष ऋण संकट की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। एजेंसी ने कहा कि सुधार की संभावनाएं कम हुई हैं।

क्या है Baa2 रेटिंग का मतलब?

इस रेटिंग को मूडीज लॉन्ग टर्म बॉन्ड्स के साथ कुछ अन्य निवेशों को लेकर जारी करती है। ऐसे में जब कोई देश आर्थिक रूप से अच्छा या खराब प्रदर्शन करता है, तब एजेंसी उसे उसकी परफॉरमेंस के हिसाब से रेटिंग देती है। इस तरह से Baa2 में a2 इकोनॉमिक स्ट्रेंथ के लिए होता है, जबकि baa3 इंस्टीट्यूशनल और गवर्नेंस स्ट्रेंथ के लिए होता है। इसी कड़ी में जहां b1 का मतलब फिस्कल स्ट्रेंथ होता है तो वहीं ba का मतलब सस्पेक्टबिलिटी से जोखिम से है।

मूडीज ने शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट में कहा कि कोरोना वायरस के कारण लागू हुए देशव्यापी लॉकडाउन के चलते सभी काम ठप पड़े हैं। कामकाज रुका होने की वजह से संस्थागत कमजोरी बढ़ गई है, जिससे कंपनियों पर कर्ज का बोझ बढ़ गया है। ऐसे में नेगेटिव आउटलुक से ये साफ पता चल रहा है कि आर्थिक गतिविधियां काफी कमजोर हो चुकी हैं। 

बताते चलें कि कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप की वजह से देश में लॉकडाउन 17 मई तक बढ़ा दिया गया है। शुक्रवार को स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, देश में अब तक कुल 56,342 कोरोना संक्रमित मामले सामने आए हैं। इसमें से कुल 1,886 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 16,539 मरीज ठीक या डिस्चार्ज हुए हैं।

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