विदेशों में तेजी के बीच सरसों, सोयाबीन तेल तिलहन, सीपीओ, बिनौला और पामोलीन तेल में सुधार

By भाषा | Updated: November 17, 2021 19:26 IST2021-11-17T19:26:14+5:302021-11-17T19:26:14+5:30

Improvement in mustard, soybean oil oilseeds, CPO, cottonseed and palmolein oil amid boom in foreign countries | विदेशों में तेजी के बीच सरसों, सोयाबीन तेल तिलहन, सीपीओ, बिनौला और पामोलीन तेल में सुधार

विदेशों में तेजी के बीच सरसों, सोयाबीन तेल तिलहन, सीपीओ, बिनौला और पामोलीन तेल में सुधार

नयी दिल्ली, 17 नवंबर विदेशी बाजारों में तेजी के रुख तथा देश में शादी-विवाह तथा जाड़े के मौसम में हल्के खाद्य तेलों की मांग बढ़ने के कारण देशभर के तेल-तिलहन बाजारों में बुधवार को सरसों, सोयाबीन तेल-तिलहन, बिनौला, सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतें लाभ के साथ बंद हुईं। आवक बढ़ने के कारण मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट देखने को मिली।

बाजार सूत्रों ने कहा कि जाड़े के मौसम में हल्के तेलों की मांग बढ़ने, शादी विवाह के मौसम और विदेशी बाजारों में तेजी का रुख होने से सरसों और सोयाबीन जैसे हल्के तेलों की मांग है जिससे इनके भाव लाभ के साथ बंद हुए। विदेशी बाजारों में पॉल्ट्री कंपनियों की सोयाबीन के तेल रहित खल (डीओसी) की मांग बढ़ने से सोयाबीन दाना एवं लूज के भाव भी सुधार के साथ बंद हुए।

उन्होंने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में 2.1 प्रतिशत की तेजी है जबकि शिकॉगो एक्सचेंज में डेढ़ प्रतिशत की तेजी रही। उन्होंने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में तेजी होने के कारण सीपीओ और पामोलीन तेलों के भाव लाभ के साथ बंद हुए। इसी तरह शिकॉगो एक्सचेंज में तेजी की वजह से सोयाबीन तेल कीमतों में सुधार आया।

सरसों की खुदरा कारोबारियों की मांग बढ़ने के बीच सलोनी शम्साबाद में सरसों का भाव 9,250 रुपये से बढ़ाकर 9,300 रुपये क्विंटल कर दिया गया जिससे बाकी स्थानों पर भी सरसों तेल-तिलहनों के भाव मजबूत हो गये। सूत्रों ने कहा कि जाड़े तथा शादी विवाह के मौसम में सरसों की मांग बढ़ रही है और इसकी उपलब्धता कम हो रही है।

सूत्रों ने कहा कि सरकार को आयात शुल्क कम-ज्यादा करने के बजाय गरीब उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) से उन्हें सरसों और सोयाबीन तेल उपलब्ध कराये जैसा कि हरियाणा और हिमाचल प्रदेश द्वारा किया जा रहा था। उन्होंने कहा कि पीडीएस के जरिये तेल वितरण करने के लिए हाफेड को अपने नारनौल और रेवाड़ी (हरियाणा) की तेल मिलों को चालू करना चाहिये ताकि ग्राहकों को शुद्ध सरसों तेल मिल सके।

सूत्रों ने कहा कि देश में सरसों की आवक घटकर डेढ़ लाख बोरी रह गई है जबकि मांग लगभग तीन लाख बोरी की है। जाड़े के मौसम में आगे निरंतर मांग बढ़ने की उम्मीद है। सरसों की पूरी तरह से परिपक्व फसल मार्च से पहले मिलने की संभावना नहीं है।

सूत्रों ने कहा कि किसान सोयाबीन की ऊपज कम मात्रा में बाजार ला रहे हैं और वे कम भाव पर बिक्री करने से भी बच रहे हैं क्योंकि पहले वे अधिक भाव देख चुके हैं। महाराष्ट्र के धुलिया में, प्लांट डिलीवरी भाव 6,300 रुपये क्विन्टल (अधिभार अलग से) पर सोयाबीन लिया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि गुजरात और राजस्थान में मूंगफली की आवक बढ़ने से मूंगफली तेल तिलहन कीमतों में गिरावट आई।

सूत्रों ने कहा कि तेल आयात पर वर्ष 2019-20 में लगभग 71,625 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। तेल आयात कम होने के बावजूद विदेशों में खाद्य तेलों के महंगा होने से देश के आयात का खर्च एक नवंबर 2021 तक बढ़कर 1,17,000 करोड़ रुपये हो गया। सरकार को शुल्क कम ज्यादा करने के बजाय देश में तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने और आत्मनिर्भरता हासिल करने के सतत प्रयास करना चाहिये।

बाकी तेल-तिलहनों के भाव अपरिवर्तित रहे।

बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)

सरसों तिलहन - 9,000 - 9,025 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये।

मूंगफली - 5,925 - 6,010 रुपये।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 13,350 रुपये।

मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 1,955 - 2,080 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 17,750 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,735 -2,760 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,815 - 2,925 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी - 16,700 - 18,200 रुपये।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,600 रुपये।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,150 रुपये।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 11,950

सीपीओ एक्स-कांडला- 11,250 रुपये।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,350 रुपये।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 12,880 रुपये।

पामोलिन एक्स- कांडला- 11,750 (बिना जीएसटी के)।

सोयाबीन दाना 6,050 - 6,150, सोयाबीन लूज 6,025 - 6,075 रुपये।

मक्का खल (सरिस्का) 3,825 रुपये।

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