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विदेशों में तेजी के रुख के बीच स्थानीय तेल-तिलहन में सुधार

By भाषा | Updated: July 13, 2021 18:57 IST

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नयी दिल्ली, 13 जुलाई विदेशी बाजारों में तेजी के रुख और बरसात के मौसम की मांग बढ़ने के बीच स्थानीय तेल-तिलहन बाजार में मंगलवार को सरसों, सोयाबीन, मूंगफली, सीपीओ सहित विभिन्न तेल-तिलहनों के भाव तेजी के रुझान के साथ बंद हुए।

बाजार सूत्रों ने बताया कि शिकॉगो एक्सचेंज में सवा दो प्रतिशत और मलेशिया एक्सचेंज में तीन प्रतिशत की तेजी रही। विदेशी बाजारों में आई इस तेजी का स्थानीय कारोबार में तेल-तिलहनों के भाव पर अनुकूल असर हुआ और लगभग सभी तेल तिलहनों के भाव में सुधार आया।

उन्होंने कहा कि सरकार को पोामोलीन के आयात की अनुमति नहीं देनी चाहिये थी और आयात शुल्क में भी कमी नहीं करनी चाहिये थी क्योंकि उपभोक्ताओं को इससे कोई फायदा नहीं होता और इससे केवल विदेशी कंपनियों को ही फायदा मिलता है क्योंकि वे विदेशों में तेलों के दाम बढ़ा देते हैं। देश के तेल उद्योगों के प्रमुख संगठन, साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ने भी सरकार से पामोलीन के शुल्क मुक्त आयात की छूट दिये जाने के फैसले पर फिर से गौर करने की मांग की है तथा इसे स्थानीय रिफायनरों और तिलहन उत्पादकों के हितों के खिलाफ बताया है।

सूत्रों ने कहा कि सरकार ने यदि सरसों पर अभी से ध्यान नहीं दिया तो आगे जाकर मुश्किल और बढ़ेगी। जो हालत सोयाबीन के साथ हुई वही सरसों के साथ न हो इसके लिए जरूरी है कि सहकारी संस्था हाफेड अभी भी बाजार भाव पर ही सही, सरसों की खरीद कर स्टॉक रखे जिससे उसकी पेराई मिलें भी चलेंगी और आगामी फसल बुवाई के समय के लिए बीज का इंतजाम रहेगा।

उन्होंने कहा कि सोयाबीन के मामले में देखें तो बीज की कमी की वजह से राजस्थान में सोयाबीन की बिजाई मात्र पांच लाख हेक्टेयर में की गई है जबकि पिछले साल यह बिजाई नौ लाख हेक्टेयर में की गई थी जबकि प्रदेश सरकार का लक्ष्य 11 लाख हेक्टेयर में बिजाई का था। सरकार ने यदि बीजों का समुचित इंतजाम रखा तो सभव है कि अगली बार सरसों की पैदावार दोगुनी हो जाये।

सरसों का अगर थोड़ा बहुत स्टॉक है तो वह किसानों के पास है। मंडियों में इसकी आवक कम है। इस कमी की वजह से आगरा, सलोनी, कोटा में सरसों तिलहन के दाम 7,650 रुपये से बढ़ाकर 7,800 रुपये क्विन्टल कर दिया गया है। सहकारी संस्था नाफेड और हाफेड के पास भी इसका स्टॉक नहीं है। पिछले साल स्टॉक होने की वजह से स्थानीय मांग को पूरा किया गया था और सहकारी संस्थाओं ने रोज डेढ़ से दो लाख बोरी सरसों की बिक्री की थी लेकिन इस बार खरीद नही करने से उनके पास कोई स्टॉक नहीं है। उन्हें अभी बाजार से सरसों खरीद लेना चाहिये क्योंकि अभी बाजार में यह उपलब्ध है।

उन्होंने कहा कि छोटे स्थानीय पेराई मिलों और कच्ची घानी की बड़ी मिलों के लिए सरसों की रोजाना मांग साढ़े तीन लाख बोरी की है जबकि मंडियों में आवक केवल दो से सवा दो लाख बोरी की है। उन्होंने कहा कि सरकार को आयात शुल्क कम करने के बजाय तिलहन उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिये जो इस समस्या का स्थायी समाधान होगा।

उन्होंने कहा कि मांग होने के बीच मूंगफली तेल-तिलहनों के भाव सुधार दर्शाते बंद हुए जबकि स्थानीय खपत की मांग होने से बिनौला, सोयाबीन तेल तिलहन में भी सुधार आया। विदेशी बाजारों की तेजी को देखते हुए सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतें भी सुधार के साथ बंद हुईं।

बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)

सरसों तिलहन - 7,455 - 7,505 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये।

मूंगफली दाना - 5,645 - 5,790 रुपये।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 13,900 रुपये।

मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 2,140 - 2,270 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 14,700 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,405 -2,455 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,505 - 2,615 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी - 15,000 - 17,500 रुपये।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 14,300 रुपये।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 14,000 रुपये।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 12,980 रुपये।

सीपीओ एक्स-कांडला- 10,570 रुपये।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,400 रुपये।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 12,500 रुपये।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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