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हरियाणा सरकार ने बढ़ाई योजना के रजिस्ट्रेशन की तारीख, किसानों को 7000 रुपये प्रति एकड़ मिलेंगे

By वैशाली कुमारी | Updated: June 28, 2021 13:21 IST

हरियाणा सरकार ने मीरा पानी मेरी विरासत योजना मे रजिस्ट्रेशन करने की अंतिम तारीख को 15 जुलाई 2021 तक बढ़ा दिया है

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ठळक मुद्देकृषि विभाग के अधिकारियों की बैठक की अध्यक्षता में राज्य के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल ने तारीख बढ़ाने की घोषणा कीयह योजना पूरे राज्य में लागू की जाएगी

हरियाणा सरकार ने मीरा पानी मेरी विरासत योजना मे रजिस्ट्रेशन करने की अंतिम तारीख को 15 जुलाई 2021 तक बढ़ा दिया है इस योजना के अंतर्गत फसल विविधीकरण की मुहिम चलाई जा रही है। इस मुहिम के तहत धान के बजाए कम पानी में उगने वाली फसलों की बिजाई पर 7000 रुपए प्रति एकड़ की दर से किसानों को दी जाएगी। इस प्रोत्साहन राशि का लाभ उठाने के लिए प्रत्येक किसान को मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। बता दें कि इससे पहले रजिस्ट्रेशन की तारीख 25 जून 2021 थी। 

कृषि विभाग के अधिकारियों की बैठक की अध्यक्षता में राज्य के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल ने तारीख बढ़ाने की घोषणा की।उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे धान की खेती के बजाय अन्य फसलों की बिजाई के लिए किसानों को प्रेरित करें। जो किसान धान की जगह चारा उगाते हैं या अपने खेत खाली भी रखते हैं, उन्हें भी इस योजना का लाभ मिलेगा।

यह योजना पूरे राज्य में लागू की जाएगी। इस योजना के तहत किसानों को धान के जगह पर वैकिल्पक फसलों  जैसे कपास, मक्का, दलहन, मूंगफली, तिल, ग्वार, अरण्ड, सब्जियां व फल की बिजाई करनी होगी। अगर किसान धान की खेती (Paddy farming) जगह एग्रो फारेस्ट्री को अपनाकर प्रति एकड़ 400 पेड़ लगाने लगाएंगे तो 7000 की जगह 10,000 रुपए मिलेंगे।

मेरा पानी मेरी विरासत योजना शुरू होने से अब तक 1,13,885 किसान लाभान्वित हुए हैं। इस समय प्रदेश में 1,26,928 हैक्टेयर में धान की जगह किसान दूसरी फसलें लगा रहे हैं। पिछले साल इस योजना (Scheme) के अंतर्गत किसानों ने 96000 एकड़ में धान की बजाय अन्य फसलों की बुवाई की थी।

बता दे कि धान सबसे ज्यादा पानी की खपत करने वाली फसलों में शामिल है। लगभग एक किलो चावल पैदा करने में 3000 लीटर पानी की खपत होती है। इसके चलते नीति आयोग भी ऐसी फसलों पर चिंता जता चुका है। हरियाणा प्रमुख चावल उत्पादक राज्य है। इसके बावजूद यहां की सरकार तात्कालिक धान की जगह दूसरी फसलों का प्रोत्साहन कर रही है।

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