लाइव न्यूज़ :

छह राज्यों की शहरी झुग्गियों में रहने वालों में आधे ही करते हैं रसोई गैस का उपयोग: सर्वेक्षण

By भाषा | Updated: March 10, 2021 17:38 IST

Open in App

नयी दिल्ली, 10 मार्च उत्तर प्रदेश और बिहार सहित छह राज्यों में शहरी झोपड़ पट्टियों में रहने वाले लगभग 50 फीसदी परिवाह रसोईं ईंधन के रूप में केवल और रसोई गैस सिलेंडर (एलपीजी) का उपयोग करते हैं। एक सर्वेक्षण में यह जानकारी सामने आयी है।

सर्वेक्षण में छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश और राजस्थान को भी शामिल किया गया है। सीईईडब्ल्यू की कूकिंग एनर्जी एक्सेस सर्वे 2020 रपट बुधवार को जारी की गयी। यह सर्वेक्षण छह राज्यों में शहरी झोपड़पट्टियों में किया गया। इसमें 58 जिलों में 83 अधिसूचित और गैर-अधिसूचित शहरी झोपड़पट्टियों में 656 घरों को शामिल किया गया।

काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर (सीईईडब्ल्यू) द्वारा कराये गये इस सर्वेक्षण के अनुसार, ‘‘छह भारतीय राज्यों में केवल आधे शहरी झोपड़पट्टी परिवारों में ही रसाईं ईंधन के रूप में केवल और केवल एलपीजी का उपयोग होता है। हालांकि इन राज्यों में शहरी मलिन बस्तियों में 86 प्रतिशत शहरी परिवारों के पास एलपीजी कनेक्शन है।’’ देश शहरी झोपड़पट्टी आबादी में ये छह राज्य लगभग एक चौथाई हिस्सा रखते हैं।

इसके अलावा, 16 प्रतिशत घरों में अभी भी पारंपरिक ईंधन जैसे कि लकड़ी, कंडे, कृषि अवशेष, लकड़ी का कोयला और मिट्टी के तेल का उपयोग प्राथमिक ईंधन के रूप में किया जाता है ।

सीईईडब्ल्यू के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुणभ घोष ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के अगले चरण के तहत सरकार को शहरी मलिन बस्तियों में एलपीजी कनेक्शन के बिना गरीब परिवारों को लक्षित करना चाहिये। नीति निर्माताओं को तेल विपणन कंपनियों और वितरकों को कुटीर क्षेत्रों में एलपीजी रिफिल की होम डिलिवरी में सुधार करने के लिये भी कहना होगा।’’

इस अध्ययन की मुख्य लेखक के रूप में सीईईडब्ल्यू की अनुसंधान विश्लेषक शैली झा ने कहा, “शहरी झुग्गी बस्ती का एक अच्छा-खासा हिस्सा एलपीजी का उपयोग करने के लिए संघर्ष कर रहा है। खासकर बढ़ती कीमतों और महामारी के प्रभाव के कारण। इसके अलावा, शहरी झुग्गियों में रहने वाले उज्ज्वला के लाभार्थियों की संख्या कम है, जिस वजह से शहरी झुग्गियों के ज्यादातर परिवार पीएम गरीब कल्याण योजना के तहत मुफ्त सिलेंडर के रूप में राहत सहायता पाने के हकदार नहीं हैं। हमारा सुझाव है कि प्रमुख सरकारी कार्यक्रमों जैसे नेशनल अर्बन लाइवलीहुड्स मिशन और आवास के लिये सोशल सर्विस आवंटनों का उपयोग साफ रसोई ईंधन के लिये भी करना चाहिए। इससे जरूरतमंदों तक साफ रसोई ईंधन पहुंचेगा और यह गरीब के लिये सेवा की सीमा में ही रहेगा।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

भारतमहाराष्ट्र शीतकालीन सत्र: चाय पार्टी का बहिष्कार, सदनों में विपक्ष के नेताओं की नियुक्ति करने में विफल रही सरकार

भारतगोवा अग्निकांड: मजिस्ट्रियल जांच के आदेश, सीएम प्रमोद सावंत ने ₹5 लाख मुआवज़े की घोषणा की

बॉलीवुड चुस्कीबॉलीवुड डायरेक्टर विक्रम भट्ट ₹30 करोड़ की धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार, जानें क्या है मामला

भारतसतत निगरानी, सघन जांच और कार्रवाई से तेज़ी से घटा है नक्सली दायरा: मुख्यमंत्री डॉ. यादव

भारतयूपी विधानसभा के शीतकालीन सत्र में योगी सरकार लाएगी 20,000 करोड़ रुपए का अनुपूरक बजट, 15 दिसंबर हो सकता है शुरू

कारोबार अधिक खबरें

कारोबारगोल्ड में पैसा लगाओ और मालामाल हो जाओ?, सोने की चमक बरकरार, 67 प्रतिशत का रिटर्न, 2026 में सोने की कीमत 5 से 16 प्रतिशत प्रति 10 ग्राम और चढ़ सकती?

कारोबारBank Holidays next week: 8-14 दिसंबर के बीच 4 दिन बंद रहेंगे बैंक, देखें यहां पूरी लिस्ट

कारोबार10 कंपनियों में से 5 का मार्केट कैपिटल 72,285 करोड़ बढ़ा, जानें सबसे ज्यादा किसे हुआ फायदा

कारोबारदिसंबर के पहले हफ्ते में विदेशी निवेशकों ने निकाले 11820 करोड़ रुपये, जानें डिटेल

कारोबारPetrol Diesel Price Today: संडे मॉर्निंग अपडेट हो गए ईंधन के नए दाम, फटाफट करें चेक