सरकार ने उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए मसूर दाल पर मूल सीमा शुल्क घटाकर शून्य किया

By भाषा | Updated: July 26, 2021 20:40 IST2021-07-26T20:40:27+5:302021-07-26T20:40:27+5:30

Government reduced basic customs duty on lentils to zero to give relief to consumers | सरकार ने उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए मसूर दाल पर मूल सीमा शुल्क घटाकर शून्य किया

सरकार ने उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए मसूर दाल पर मूल सीमा शुल्क घटाकर शून्य किया

सरकार ने उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए मसूर दाल पर मूल सीमा शुल्क घटाकर शून्य किया

नयी दिल्ली, 26 जुलाई सरकार ने घरेलू आपूर्ति को बढ़ाने और उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करने के मकसद से सोमवार को मसूर दाल के आयात पर मूल सीमा शुल्क घटाकर शून्य कर दिया और दाल पर कृषि बुनियादी ढांचा विकास उपकर को आधा कर 10 प्रतिशत कर दिया।

घटा हुआ सीमा शुल्क और उपकर मंगलवार से लागू हो जाएगा।

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इस संबंध में अधिसूचना संसद के दोनों सदनों में पेश की।

मसूर दाल पर प्रभावी आयात शुल्क अब 30 प्रतिशत से घटकर 10 प्रतिशत हो जाएगा।

वित्त मंत्रालय ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए, सरकार ने मसूर दाल पर सीमा शुल्क 30 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया है। (मूल सीमा शुल्क 10 प्रतिशत से घटाकर 'शून्य' किया गया है) और कृषि अवसंरचना विकास उपकर 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे मसूर दाल के खुदरा मूल्य में कमी आएगी।’’

अधिसूचनाओं के अनुसार, अमेरिका के अलावा अन्य देशों में पैदा हुए या निर्यात की जाने वाली दाल (मसूर दाल) पर मूल सीमा शुल्क 10 प्रतिशत से घटाकर शून्य कर दिया गया है।

साथ ही अमेरिका से आने वाली या निर्यात की जाने वाली मसूर की दाल पर मूल सीमा शुल्क 30 प्रतिशत से घटाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है।

इसके अलावा, मसूर पर कृषि अवसंरचना विकास उपकर (एआईडीसी) को वर्तमान दर 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया गया है।

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, मसूर दाल का खुदरा मूल्य इस साल एक अप्रैल के 70 रुपये प्रति किलोग्राम से 21 प्रतिशत बढ़कर अब 85 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया है।

सोमवार को धारवाड़ में अधिकतम बिक्री मूल्य 129 रुपये प्रति किलोग्राम था जबकि वारंगल और राजकोट में न्यूनतम बिक्री मूल्य 71 रुपये किलो था।

कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत में रबी फसल, मसूर का घरेलू उत्पादन, फसल वर्ष 2020-21 (जुलाई-जून) में पिछले वर्ष के 11 लाख टन से बढ़कर लगभग 13 लाख टन हो गया।

भारतीय अनाज एवं दलहन संघ (आईजीपीए) के उपाध्यक्ष, बिमल कोठारी ने कहा कि सरकार को आयात शुल्क कम नहीं करना चाहिए क्योंकि दाल की कीमतों में नरमी नहीं आने वाली है।

उन्होंने कहा, ‘‘इससे कनाडा के किसानों, कनाडाई निर्यातकों, ऑस्ट्रेलियाई किसानों, ऑस्ट्रेलियाई निर्यातकों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों को छोड़कर किसी भी भारतीय अंशधारक को कोई फायदा नहीं होगा।’’

उनके मुताबिक, दाल की कीमत में महज 1-2 रुपये की कमी हो सकती है, न कि 13-14 रुपये की।

कोठारी ने कहा, ‘‘सरकार की इस अधिसूचना के बाद, कनाडाई और ऑस्ट्रेलियाई निर्यातकों ने पहले ही कीमत में 75 से 80 डॉलर प्रति टन की वृद्धि कर दी है। यह नीति निश्चित रूप से भारतीय उपभोक्ता, भारतीय किसान, भारतीय दलहन व्यापार और यहां तक ​​कि सरकार के हित में नहीं है।’’

आईजीपीए ने कहा कि सरकार को इस फैसले को वापस लेना चाहिए।

सरकार ने कृषि बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के प्रयास के तहत चालू वित्तवर्ष में पेट्रोल, डीजल, सोना और कुछ आयातित कृषि उत्पादों सहित कुछ वस्तुओं पर एआईडीसी की शुरुआत की थी।

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Web Title: Government reduced basic customs duty on lentils to zero to give relief to consumers

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