सोने की मांग अक्टूबर-दिसंबर तिमाही फिर बढ़ने की उम्मीद, दीर्घ काल में अक्षे प्रतिफल की संभावना: रपट

By भाषा | Published: November 14, 2020 06:25 PM2020-11-14T18:25:13+5:302020-11-14T18:25:13+5:30

Gold demand expected to rise again in October-December quarter, possibility of renewable returns in the long run: Report | सोने की मांग अक्टूबर-दिसंबर तिमाही फिर बढ़ने की उम्मीद, दीर्घ काल में अक्षे प्रतिफल की संभावना: रपट

सोने की मांग अक्टूबर-दिसंबर तिमाही फिर बढ़ने की उम्मीद, दीर्घ काल में अक्षे प्रतिफल की संभावना: रपट

नयी दिल्ली, 14 नवंबर वित्तीय सेवा एवं बाजार अनुसंधान फर्म मोतीलाल ओसवाल फाइनेंसियल सर्विसेज के अनुसार केंद्रीय बैंकों की ब्याज सस्ता रखने की नीति और भारत में परम्परा गत खरीद के मौसम के मद्देनज इस कैंलेंर वर्ष चौथी तिमाही में सोने की मांग में सुधार होगा। फर्म में अपनी एक ताजा रपट में सोने को दीर्घकालिक दृष्टि से निवेश के लिए अच्छा विकल्प बताया है।

फर्म द्वारा जारी एक रपट के मुताबिक पिछले एक दशक में भारत में सोने ने 159 प्रतिशत का रिटर्न दिया है, जबकि घरेलू शेयर सूचकांक निफ्टी ने इस दौरान 93 प्रतिशत का रिटर्न दिया। रपट में कहा गया है कि सोने का भाव लंबी अवधि में 65-67 हजार रुपये प्रति दस ग्राम तक जा सकता है।

इस रिपोर्ट में कहा गया कि सोने की मांग तीसरी तिमाही में 30 प्रतिशत गिरने के बाद चौथी तिमाही में वापस बढ़ने की संभावना है, क्योंकि इस दौरान आभूषणों की खरीदारी में तेजी आएगी।

रिपोर्ट में अनुमान है कि अमेरिकी चुनाव के बाद आने वाले कुछ महीने सोने की कीमत को तय करने के लिए महत्‍वपूर्ण होंगे और इस दौरान केंद्रीय बैंकों का रुख, कम ब्याज दर, कोविड-19 महामारी का प्रभाव और अन्‍य चिंताएं कीमतों को प्रभावित कर सकती हैं, हालांकि सर्राफा के लिए संभावनाएं अच्छी हैं।

रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय बैंकों ने अपनी अर्थव्यवस्थाओं को सहारा देने के लिए ब्याज दरों में कटौती की और बाजार में धन का प्रवाह बढ़ा है। वैश्विक ब्याज दरें वर्तमान में शून्य स्तर के आसपास हैं और कुछ समय के लिए कम बने रहने की उम्मीद है। अमेरिकी फेड रिजर्व के प्रमुख जेरॉम पावेल ने अपने पिछले नीति वक्तव्य में उल्लेख किया है कि यह अर्थात ब्‍याज दरें नकारात्मक दिशा में नहीं जा सकती हैं, लेकिन ये निम्‍न स्‍तर साल 2023 तक बने रह सकते हैं।

रपट में विश्व स्वर्ण परिषद (डब्‍ल्‍यूसीजी) के अनुमानों का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि भारत में सोने की मांग तीसरी तिमाही में 30% गिरने के बाद चौथी तिमाही में वापस बढ़ने की संभावना है क्‍योंकि त्‍यौहरों के कारण खुदरा ज्‍वैलरी खरीददारी मजबूत होने की उम्‍मीद है। उनको उम्‍मीद है कि बढ़ती मां और त्‍योहारों के कारण तीसरी तिमाही की तुलना में चौथी तिमाही बेहतर होगी।

भारत में चौथी तिमाही के दौरान मांग पिछले साल की रिकॉर्ड किए गए 194.3 टन से कम हो सकती है क्‍योंकि उपभोक्ताओं को रिकॉर्ड उच्च कीमतों के साथ तालमेल बैठने में संघर्ष करना पड़ रहा है। पहली तीन तिमाहियों में भारत की सोने की मांग एक साल पहले की तुलना में 49% घटकर 252.4 टन रह गई, क्योंकि कोरोनवायरस के कारण लगने वाले लॉकडाउन ने आभूषणों की मांग को प्रभावित किया है।

बाजार में सिक्कों और बार की मांग, जिसे निवेश की मांग के रूप में जाना जाता है, तीसरी तिमाही में 51% उछल गया, क्योंकि बढ़ती कीमतों ने निवेशकों को आकर्षित किया, जिसने उच्च भाव को बनाए रखा।

इस साल सोने ने सबसे ऊंचे स्तर तक गया है। यह पीली धातु विदेशों में 2085 डालर प्रति औंस और भारत में जिंस एक्सचेंज में 56,400 रुपये प्रति दस ग्राम तक पहुंच गयी लेकिन वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भाव नीचे आ गये हैं।

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Web Title: Gold demand expected to rise again in October-December quarter, possibility of renewable returns in the long run: Report

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