नयी दिल्ली, 14 नवंबर फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एफआरएल) के स्वतंत्र निदेशकों ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) को एक और पत्र लिखकर अमेजन के आंतरिक पत्राचार का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि रिटेल कंपनी के अदालत और एकाधिकार विरोधी निकाय के सामने दिए गए बयान विरोधाभासी हैं और ऐसे में अमेजन-फ्यूचर कूपन सौदे को रद्द किया जाना चाहिए।
उन्होंने अमेजन पर ‘‘पूरी तरह से विरोधाभासी जानकारी’’ देने का आरोप लगाया, जो एफआरएल की प्रवर्तक कंपनी में अमेजन द्वारा 2019 में निवेश करने से संबंध में उसके अंतरिक संचार के एकदम विपरीत है।
इस पत्र की एक प्रति को पीटीआई-भाषा ने देखा है। इसमें कहा गया है कि अमेरिकी कंपनी शुरू में एक प्रस्तावित विदेशी पोर्टफोलियो निवेश के जरिये एफआरएल में पैसा लगाने की योजना बना रही थी।
अमेजन ने 11 दिसंबर, 2018 को एफआरएल में 9.9 प्रतिशत प्रत्यक्ष हिस्सेदारी हासिल करने के लिए एक समझौते को अंतिम रूप दिया था। हालांकि, सरकार द्वारा प्रेस नोट-2 जारी किए जाने के तुरंत बाद इस योजना को बंद कर दिया गया, जिसने किसी विदेशी इकाई को भारत में एक खुदरा इकाई में कोई हिस्सेदारी या नियंत्रण हासिल करने से रोक दिया।
पत्र में कहा गया है कि ऐसे में अमेजन को सीधे एफआरएल में पूंजी लगाने की जगह प्रवर्तक फर्म फ्यूचर कूपन प्राइवेट लिमिटेड में निवेश करना पड़ा।
अमेजन ने एक ‘जुड़वां-संस्था संरचना’ पर बातचीत की, जिसके जरिये उसने एफसीपीएल में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल कर ली। एफसीपीएल का अपना डिजिटल लॉयल्टी कार्ड, उपहार देने और कूपन देने का व्यवसाय था, और उसकी एफआरएल में 9.82 प्रतिशत हिस्सेदारी भी थी।
पत्र में कहा गया कि यदि अमेजन ने एफआरएल पर नियंत्रण हासिल करने के अपने इरादे का खुलासा किया होता, ऐसे में इस सौदे से देश में फेमा और एफडीआई कानूनों का उल्लंघन होता।
इससे पहले एफआरएल के स्वतंत्र निदेशकों ने अमेजन पर भारत के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और विदेशी मुद्रा नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया था।
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