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फ्यूचर समूह ने कहा, उच्च न्यायालय के फैसले का एनसीएलटी प्रक्रिया पर असर नहीं

By भाषा | Updated: March 19, 2021 17:36 IST

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नयी दिल्ली, 19 किशोर बियाणी की अगुवाई वाला फ्यूचर रिटेल ने शुक्रवार कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय की एकल पीठ के आदेश का राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ 24,713 करोड़ रुपये के सौदे को लेकर जारी सुनवाई पर कोई असर नहीं होगा। कंपनी ने यह भी कहा कि वह ‘आदेश’ का उपयुक्त उपचार निकालने पर विचार कर रही है।

फ्यूचर रिटेल ने शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि न्यायाधीश जे आर मिधा के निर्देशों के संबंध में कंपनी के प्रवर्तक सलाह के अनुसार उपयुक्त कदम उठाएंगे। कंपनी ने संकेत दिया कि आदेश के खिलाफ अपील दायर की जा सकती है।

कंपनी ने कहा, ‘‘हमें सलाह दी गयी है कि इस आदेश का एनसीएलटी में जारी कार्यवाही पर असर नहीं पड़ेगा। यह उच्चतम न्यायालय का 22 फरवरी, 2021 के आदेश के अनुरूप नहीं है।’’

कंपनी ने कहा कि इस आदेश के ‘प्रभावशील’ हिस्से अंश 2 फरवरी 2021 के अंतरिम आदेश में पहले से शामिल है। फ्यूचर रिटल की अपील पर उनके खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने रोक लगा रखी है।

फ्युचर रिटेल के अनुसार, ‘‘अमेजन ने उच्चतम न्यायालय में दिल्ली उच्च न्यायालय की खंडपीठ के आदेश के खिलाफ अपील की है। न्यायालय ने अमेजन की अपील पर अपने आदेश में उच्च न्यायालय की खंडपीठ के स्थगन आदेश को रद्द नहीं किया है और वह अभी भी प्रभाव में है।’’

उच्चतम न्यायालय ने निर्देश दिया है कि फ्यूचर-रिलायंस सौदे पर एनसीएलटी को कार्यवाही जारी रखने की छूट होगी लेकिन अधिग्रहण योजना को मंजूर किए जाने के संबंध में कोई अंतिम आदेश नहीं जारी होगा।

न्यायाधीश मिधा ने अपने 134 पृष्ठ के आदेश में किशोर बियाणी की अगुवाई वाले फ्यूचर रिटेल लि. (एफआरएल) को रिलांयस इंडस्ट्रीज के साथ किये गये सौदे पर आगे कोई कार्यवाही नहीं करने का निर्देश दिया। साथ ही यह भी कहा कि समूह ने सिंगापुर के मध्यस्थ निर्णय केंद्र के आपातकालीन न्यायाधिकरण (एमरजेंसी आर्बिट्रेटर-ईए) के आदेश का जानबूझकर उल्लंघन किया।

उच्च न्यायालय की एकल पीठ का यह आदेश अमेजन की याचिका पर आया है। याचिका में सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेटर सेंटर (एसआईएसी) में ईए के 25 अक्टूबर, 2020 के उस आदेश को लागू करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया था, जिसमें एफआरएल को रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ 24,713 करोड़ रुपये के सौदे पर आगे बढ़ने से रोक दिया गया है।

न्यायमूर्ति मिधा की पीठ ने फ्यूचर समूह की सभी आपत्तियों को खारिज कर दिया और कंपनी तथा उसके निदेशकों पर 20 लाख रुपये का हर्जाना लगाया है।

फ्यूचर-रिलायंस सौदे को प्रतिस्पर्धा आयोग, सेबी(भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड) और शेयर बाजारों से मंजूरी मिल गयी है। योजना को अब एनसीएलटी तथा शेयरधारकों की मंजूरी का इंतजार है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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