अर्थव्यवस्था में नरमी जारी, खाद्य मुद्रास्फीति छह सालों में पहली बार दोहरे अंकों में, खुदरा महंगाई 40 महीनों के उच्चतम स्तर पर
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 13, 2019 09:01 IST2019-12-13T09:01:34+5:302019-12-13T09:01:34+5:30
Food inflation: खाद्य मुद्रास्फीति दर छह सालों में पहली बार दोहरे अंकों में पहुंच गई है, जो नवंबर 2019 में बढ़कर 10.01 फीसदी हो गई

खाद्य मुद्रास्फीति दर छह सालों में सबसे अधिक हुई
नई दिल्ली: खाद्य मुद्रास्फीति नवंबर 2019 में 10.01 प्रतिशत पर पहुंच गई। ये दिसंबर 2013 के बाद से पहली बार है जब ये दोहरे अंकों में पहुंची है।
सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात इसका पिछले कुछ महीनों के दौरान तेजी से बढ़ना रहा है। ये अगस्त 2019 में 2.99 फीसदी से बढ़कर सितंबर में 5.11 फीसदी हुई थी। इसके बाद अक्टूबर में ये 7.89 फीसदी हुई और अब नवंबर में छह सालों में पहली बार दोहरे अंकों में यानी 10.01 फीसदी पर जा पहुंची है।
समान रूप से ये भी महत्वपूर्ण है कि ये वृद्धि मानसून की कमी या सूखे के कारण नहीं है, बल्कि ज्यादा और बेमौसम बारिश से फसलों को नुकसान की वजह से है।
नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल को मुद्रास्फीति पर नियंत्रण के लिए जाना जाता है। उनके पहले कार्यकाल में जून 2014 से मई 2019 के दौरान सालाना उपभोक्ता मुद्रास्फीति औसतन 3.26 फीसदी रही थी, जबकि इस दौरान खुदरा मंहगाई दर 4.31 फीसदी थी। सितंबर 2016 से अगस्त 2019 के दौरान करीब 36 महीने ऐसा भी रहा जब खुदरा मंहगाई लगातार सकल उपभोक्ता महंगाई (CPI) दर से भी नीचे महज 1.38 फीसदी ही रही।
नवंबर में खाद्य मुद्रास्फीति की 10.01 फीसदी की दर ने न सिर्फ उपभोक्ता महंगाई दर को 5.54 फीसदी पर पहुंचा दिया है, बल्कि ये दिसंबर 2013 के 13.16 के बाद से उच्चतम स्तर भी है।
औद्योगिक उत्पादन अक्टूर में 3.8 फीसदी गिरा
अर्थव्यवस्था में जारी सुस्ती में फिलहाल सुधार होता नहीं दिख रहा। बिजली, खनन और विनिर्माण क्षेत्रों के कमजोर प्रदर्शन के कारण औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) अक्टूबर महीने में 3.8 प्रतिशत घट गया। वहीं प्याज सहित अन्य सब्जियों, दाल और मांस, मछली जैसी प्रोटीन वाली वस्तुओं के दाम चढ़ने से नवंबर माह में खुदरा मुद्रास्फीति की दर बढ़कर 5.54 प्रतिशत पर पहुंच गई। एक तरफ जहां लगातार तीसरे महीने ओद्योगिक उत्पादन में गिरावट आयी वहीं खुदरा मुद्रास्फीति का यह स्तर तीन साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई।
खुदरा महंगाई 40 महीने के उच्च स्तर पर पहुंची
खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर महीने में रिजर्व बैंक के मध्यम अवधि के 4 प्रतिशत के लक्ष्य को पार कर गई। इससे केंद्रीय बैंक का पिछले सप्ताह मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं करने का निर्णय उपयुक्त लगता है। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार माह के दौरान सब्जी, दाल और प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों के महंगा होने से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर महीने में 40 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गयी।
इससे पहले जुलाई 2016 में खुदरा महंगाई दर 6.07 प्रतिशत थी। अक्टूबर में यह 4.62 प्रतिशत तथा नवंबर 2018 में 2.33 प्रतिशत थी। इक्रा की प्रमुख अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि 2020 की शुरुआत में सब्जियों के दाम नीचे आने से खाद्य मुद्रास्फीति पर काफी हद तक अंकुश लगेगा। भूजल और जलाशयों के बेहतर स्तर से रबी उत्पादन और मोटे अनाजों का उत्पादन अच्छा रहेगा। हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि रबी दलहन और तिलहन के बुवाई क्षेत्र में सालाना आधार पर जो गिरावट आई है वह चिंता का विषय है
खाद्य मुद्रास्फीति दर छह साल में सबसे अधिक
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार माह के दौरान खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 10.01 प्रतिशत पर पहुंच गई। अक्टूबर में यह 7.89 प्रतिशत तथा एक साल पहले इसी महीने में यह शून्य से 2.61 प्रतिशत नीचे थी।
नवंबर 2019 में सबसे ज्यादा सब्जियों के दाम में 35.99 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई। अक्टूबर में यह 26.10 प्रतिशत थी। इसी तरह नवंबर में मोटे अनाज की मुद्रास्फीति बढ़कर 3.71 प्रतिशत पर पहुंच गई। मीट और मछली की मुद्रास्फीति सालाना आधार पर 9.38 प्रतिशत बढ़ी। अंडे में भी नवंबर में 6.2 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई। दालों और उससे जुड़े उत्पादों की मुद्रास्फीति माह के दौरान बढ़कर 13.94 प्रतिशत रही। ईंधन और प्रकाश श्रेणी में कीमतों में 1.93 प्रतिशत की गिरावट आई। वहीं दूसरी तरफ बिजली, खनन और विनिर्माण क्षेत्रों के कमजोर प्रदर्शन के कारण औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) अक्टूबर महीने में 3.8 प्रतिशत घट गया।
आधिकारिक आंकड़े के अनुसार औद्योगिक उत्पादन में सितंबर महीने में 4.3 प्रतिशत और अगस्त महीने में 1.4 प्रतिशत की गिरावट आयी थी। वहीं जुलाई में इसमें 4.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के रूप में मापे जाने वाले औद्योगिक उत्पादन में एक साल पहले इसी माह में 8.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी। उल्लेखनीय है कि देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वत्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 4.5 प्रतिशत रही जो छह साल का न्यूनतम स्तर है।
पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर 5 प्रतिशत रही थी। आंकड़े के अनुसार अप्रैल-अक्टूबर के दौरान आईआईपी 0.5 प्रतिशत वृद्धि के साथ लगभग स्थिर रहा, जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में इसमें 5.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। विनिर्माण क्षेत्र में अक्टूबर महीने में 2.1 प्रतिशत की गिरावट आयी जबकि एक साल पहले इसी महीने में इसमें 8.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। बिजली उत्पादन में अक्टूबर 2019 में तीव्र 12.2 प्रतिशत की गिरावट आयी जबकि पिछले साल इसी महीने इसमें 10.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
खनन उत्पादन भी आलोच्य महीने में 8 प्रतिशत गिरा जबकि पिछले वित्त वर्ष के इसी महीने में इसमें 7.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। निवेश का आईना माना जाने वाला पूंजीगत वस्तुओं का उत्पादन अक्टूबर में 21.9 प्रतिशत घटा जबकि एक साल पहले इसी महीने में इसमें 16.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। आंकड़ों के अनुसार उद्योगों के संदर्भ में विनिर्माण क्षेत्र से जुड़े 23 औद्योगिक समूह में से 18 की वृद्धि दर में इस साल अक्टूबर महीने में पछले वर्ष के इसी माह के मुकाबले गिरावट आयी है।
(PTI इनपुट्स के साथ )