वित्त मंत्री का विकसित अर्थव्यवस्थाओं से जलवायु परिर्वतन वित्त पोषण प्रतिबद्धता बढ़ाने का आग्रह
By भाषा | Updated: March 19, 2021 19:55 IST2021-03-19T19:55:09+5:302021-03-19T19:55:09+5:30

वित्त मंत्री का विकसित अर्थव्यवस्थाओं से जलवायु परिर्वतन वित्त पोषण प्रतिबद्धता बढ़ाने का आग्रह
नयी दिल्ली, 19 मार्च वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को विकसित देशों से जलवायु परिवर्तन से निपटने के उपायों के लिए धन देने की प्रतिबद्धता का विस्तार करने तथा और उभरते देशों को जलवायु-परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने सक्षम ढांचागत सुविधाएं खड़ा करने में मदद का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि भारत ने राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा परियोजना पाइपलाइन (एनआईपी) की घोषणा की है। इसमें 7,000 परियोजनाओं की सूची है और सरकार ने बुनियादी ढांचा निर्माण के जरिये अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का रास्ता चुना है।
सीतारमण ने कहा कि सरकार ढांचागत परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिये विभिन्न उपायों पर भी गौर कर रही है। इसमें बुनियादी ढांचा बांड या ढांचागत परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिये राष्ट्रीय बैंक के गठन का प्रस्ताव शामिल है। राष्ट्रीय बैंक संबंधी विधेयक जल्दी ही संसद में रखा जाएगा।
‘इंटरनेशनल कांफ्रेन्स ऑन डिजास्टर रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर’ (आईसीडीआरआई) को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि प्राकृतिक आपदाएं हर किसी को बुनियादी ढांचा के समक्ष जोखिम और जलवायु परिवर्तन के कारण देशों के समक्ष संकट की याद दिलाती है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं विकसित देशों से अपील करती हूं कि उन्होंने जलवायु परिवर्तन से निपटने के उपायों को लेकर वित्त पोषण के लिये जो प्रतिबद्धता जतायी है, उसे बढ़ाया जाए और उसमें तेजी लायी जाए। जलवायु संबंधित प्रतिबद्धताओं और लक्ष्यों के लिये ये प्रतिबद्धताएं महत्वपूर्ण हैं।’’
सीतारमण ने कहा कि बहुपक्षीय संस्थान जलवायु परिवर्तन वित्त पोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाये हैं और जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन रूपरेखा (यूएनएफसीसीसीसी) के तहत विकसित देशों की विकासशील देशों को वित्त उपलब्ध कराने की बाध्यताएं हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘विकसित देशों के लिये इस बात को समझना जरूरी है कि उन्होंने यूएनएफसीसीसी के तहत जो प्रतिबद्धताएं जतायी है, उसका पालन होना चाहिए।’’
वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘विकसित देशों ने सालाना 100 अरब डॉलर की जो प्रतिबद्धता जतायी है, उन्हें यह समझना होगा कि यह छोटी राशि है और इसे बढ़ाने की जरूरत है।’’ उन्होंने कहा कि हालांकि यह प्रतिबद्धता भी पूरी नहीं हुई है।
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