नयी दिल्ली, छह दिसंबर देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफपीआई) इक्विटी प्रवाह अप्रैल, 2000 से सितंबर, 2020 के दौरान 500 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर गया है। इससे पता चलता है कि दुनिया में भारत की गिनती एक सुरक्षित और महत्वपूर्ण निवेश गंतव्य के रूप में होने लगी है।
उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के आंकड़ों के अनुसार इस अवधि में देश में 500.12 अरब डॉलर का एफडीआई आया है। इसमें से 29 प्रतिशत एफडीआई मॉरीशस रास्ते से आया है।
उसके बाद सिंगापुर से 21 प्रतिशत, अमेरिका, जापान और नीदरलैंड प्रत्येक से सात-सात प्रतिशत तथा ब्रिटेन से छह प्रतिशत एफडीआई आया है।
इस अवधि में भारत को मॉरीशस से 144.71 अरब डॉलर तथा सिंगापुर से 106 अरब डॉलर का एफडीआई मिला है। इसके अलावा जर्मनी, साइप्रस, फ्रांस और केमैन आइलैंड से भी देश को अच्छा विदेशी निवेश मिला है।
वित्त वर्ष 2015-16 से देश में एफडीआई प्रवाह में उल्लेखनीय इजाफा हुआ है। 2015-16 में देश में 40 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आया था। यह इससे पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 25 प्रतिशत अधिक है। 2016-17 में 43.5 अरब डॉलर, 2017-18 में 44.85 अरब डॉलर, 2018-19 में 44.37 अरब डॉलर और 2019-20 में 50 अरब डॉलर का एफडीआई आया था।
देश के जिन प्रमुख क्षेत्रों को सबसे अधिक एफडीआई मिला है उनमें सेवा क्षेत्र, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर, दूरसंचार, व्यापार, निर्माण विकास, वाहन, रसायन और फार्मास्युटिकल्स शामिल हैं।
नांगिया एंडरसन इंडिया के भागीदार-नियामकीय निश्चल अरोड़ा ने कहा कि देश की एफडीआई यात्रा 1999 में फेमा के लागू होने के साथ शुरू हुई थी। इसने फेरा का स्थान लिया था। देश में इस दौरान 500 अरब डॉलर का विदेशी निवेश का प्रवाह निवेशकों की भारत की अर्थव्यवस्था की मजबूत बुनियाद के प्रति भरोसे को दर्शाता है।
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