किसानों को कानूनों के आपत्ति वाले मुद्दों को उजागर करना चाहिये, सरकार उन पर गौर करने को तैयार: तोमर

By भाषा | Published: December 1, 2020 10:40 PM2020-12-01T22:40:22+5:302020-12-01T22:40:22+5:30

Farmers should highlight issues objectionable to laws, government ready to look into them: Tomar | किसानों को कानूनों के आपत्ति वाले मुद्दों को उजागर करना चाहिये, सरकार उन पर गौर करने को तैयार: तोमर

किसानों को कानूनों के आपत्ति वाले मुद्दों को उजागर करना चाहिये, सरकार उन पर गौर करने को तैयार: तोमर

नयी दिल्ली, एक दिसंबर नये कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वाले किसान संगठन के प्रतिनिधियों के साथ सरकार की पहले दौर की बैठक बेनतीजा रही। इसके साथ ही केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने मंगलवार को कहा कि किसान नेताओं को नए कृषि कानूनों के विशिष्ट पहलुओं को सामने रखना चाहिये, सरकार उनकी चिंताओं पर गौर करने और उनका समाधान करने के लिए तैयार है।

सरकार ने पंजाब और हरियाणा सहित विभिन्न किसान समूहों द्वारा किये जा रहे विरोध प्रदर्शन के बीच विज्ञान भवन में आंदोलनकारी किसान संगठनों के 35 प्रतिनिधियों के साथ मंगलवार को एक बैठक बुलाई थी। किसानों का आंदोलन अपने छठे दिन में प्रवेश कर गया है। किसान दिल्ली की सीमाओं पर जुटे हैं और अपनी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

बैठक के बाद तोमर ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘हमने विस्तृत चर्चा की। हम दोबारा तीन दिसंबर को मिलेंगे। हमने उन्हें एक छोटी समिति बनाने का सुझाव दिया, लेकिन उन्होंने कहा कि वे सभी बैठक में मौजूद रहेंगे। इसलिए, हम इस पर सहमत हुए।’’

यह पूछे जाने पर कि सरकार भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के प्रमुख राकेश टिकैत के साथ अलग से चर्चा क्यों कर रही है, मंत्री ने कहा, ‘‘वे हमारे पास आए हैं, इसलिए हम उनके साथ भी चर्चा कर रहे हैं। हम सभी किसानों के साथ चर्चा करने के लिए तैयार हैं।’’

यह पूछे जाने पर कि गतिरोध कब समाप्त होगा, उन्होंने कहा, ‘‘वक्त ही बता सकता है।’’

प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने पर जोर दिये जाने के बारे में तोमर ने कहा, ‘‘हमने उन्हें कानूनों में विशिष्ट पहलुओं को उभारकर सामने लाने को कहा है और हम उस विचार विमर्श करने और उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए तैयार हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अगर उन्हें कानून के किसी विशेष हिस्से पर आपत्ति है तो वे सामने रखें, हम उसपर गौर करेंगे।’’

सरकार ने सितंबर में लागू किये गये इन नये कानूनों को कृषि उपज की खरीद फरोख्त में बिचौलियों को हटाने और किसानों को देश में कहीं भी अपनी उपज बेचने की अनुमति देने वाले कानून के बतौर कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के रूप में प्रस्तुत कर रही है। हालाँकि, प्रदर्शनकारी किसानों की आशंका है कि नए कानून की वजह से न्यूनतम समर्थन मूल्य व्यवस्था की सुरक्षा समाप्त हो जायेगी और किसानों की कमाई सुनिश्चित करने वाली मंडियों को खत्म कर दिया जायेगा।

बैठक के बाद, अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने एक बयान में कहा कि वार्ता बेनतीजा रही और सरकार का प्रस्ताव किसान संघों को स्वीकार्य नहीं है।

इसने आगे कहा कि अब देश भर में विरोध प्रदर्शन तेज होंगे, जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती।

तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने और विद्युत संशोधन विधेयक 2020 को वापस लेने की अपनी मांगों पर जोर देने के लिए 35 किसान संगठनों के नेताओं ने एक मंत्रियों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की, जिसमें कृषि मंत्री तोमर, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश शामिल थे।

किसानों के प्रतिनिधिमंडल में 32 किसान नेता केवल पंजाब के किसान संघों से थे और एक हरियाणा से शामिल थे। दो प्रतिनिधि, राष्ट्रीय किसान गठबंधनों -एआईकेएससीसी और आरकेएमएस से थे।

वार्ता बेनतीजा समाप्त रही और अब तीन दिसंबर को फिर से शुरू होगी।

किसान नेताओं ने आपत्तियों पर गौर करने और चिंताओं का अध्ययन करने के लिए पांच सदस्यीय समिति बनाने के सरकारी प्रस्ताव को खारिज कर दिया। उन्होंने सरकार को बताया कि ऐसी समितियों ने अतीत में कोई परिणाम नहीं दिया है।

सरकार ने किसान संघों को कानूनों के प्रति अपनी आपत्तियों के बारे में विस्तार से बताने के लिए कहा।

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