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ईपीएफओ ने कोविड- 19 से जुड़े 52 लाख दावे निपटाये, 13,300 करोड़ रुपये वितरित किये: गंगवार

By भाषा | Updated: December 16, 2020 16:55 IST

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नयी दिल्ली, 16 दिसंबर सेवा निवृत्ति कोष का संचालन करने वाली संस्था ईपीएफओ ने कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान भविष्य निधि खातों से धन निकालने के 52 लाख मामलों का निपटारा किया। इसके तहत 13,300 करोड़ रुपये की राशि आवेदकों को जारी की गई। यह राशि बिना वापसी के अग्रिम दावे के तौर पर जारी की गई। श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने बुधवार को यह जानकारी दी।

सरकार ने इस साल मार्च में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) से जुड़े छह करोड़ से अधिक अंशधारकों को उनके भविष्य निधि खाते से महंगाई भत्ते सहित अधिकतम तीन माह का मूल वेतन निकालने की अनुमति दे दी थी। महामारी के दौरान लगाये गये लॉकडाउन को देखते हुये भविष्य निधि अंशधारकों को यह सुविधा दी गई।

वाणिज्य एव उद्योग मंडल एसोचैम के स्थापना सप्ताह कार्यक्रम को संबोधित करते हुये गंगवार ने कहा कि महामारी के दौरान ईपीएफओ ने 52 लाख कोविड- 19 निकासी दावों को निपटान किया और आवेदकों को 13,300 करोड़ रुपये जारी किये।

गंगवार ने कहा कि देश ने पूरी बहादुरी के साथ महामारी का मुकाबला किया है।

केन्द्र सरकार ने महामारी के दौरान समाज के आर्थिक रूप से कमजोर तबके को सहारा देने के लिये 26 मार्च को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाय) की भी शुरुआत की। सरकार ने कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) से निकासी का प्रावधान भी किया और इस संबंध में एक आवश्यक अधिसूचना जारी की गई। इसके तहत ईपीएफ धारकों को उनके खाते से महंगाई भत्ता सहित तीन माह के मूल वेतन के बराबर अथवा कर्मचारी के खाते में उपलब्ध भविष्य निधि का 75 प्रतिशत तक जो भी कम होगा, उसकी बिना- वापसी सुविधा के निकासी का प्रावधान किया गया।

श्रम कानूनों के क्रियान्वयन के मामले में उन्होंने उद्योग जगत के प्रतिनिधियों से कहा कि वह तीन श्रम संहिताओं को अमल में लाने के लिये तैयार किये गये मसौदा नियमों पर अपनी प्रतिक्रिया और सुझाव सरकार को भेजें। सरकार ने औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा और कार्यस्थल पर स्वास्थ्य सुरक्षा एवं कामकाज परिस्थितियों को लेकर नये श्रम कानून बनाये हैं।

सरकार ने इन कानूनों को अमल में लाने के लिये नियमों का मसौदा जारी किया है और संबद्ध पक्षों से उनके सुझाव और प्रतिक्रिया मांगी है। ये कानून संसद के मानसून सत्र में पारित किये गये थे। इससे पहले श्रम संहिता को 2019 में पारित कर दिया गया था। इसके नियम पहले ही तैयार हो चुके हैं। सरकार का इरादा सभी चारों कानूनों को एक अप्रैल 2021 से एक साथ लागू करने का है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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