डिस्कॉम पर बिजली उत्पादकों का बकाया दिसंबर में 24 प्रतिशत बढ़कर 1.36 लाख करोड़ रुपये पर

By भाषा | Updated: February 28, 2021 11:22 IST2021-02-28T11:22:37+5:302021-02-28T11:22:37+5:30

Electricity producers' dues on discom rose by 24 percent to Rs 1.36 lakh crore in December | डिस्कॉम पर बिजली उत्पादकों का बकाया दिसंबर में 24 प्रतिशत बढ़कर 1.36 लाख करोड़ रुपये पर

डिस्कॉम पर बिजली उत्पादकों का बकाया दिसंबर में 24 प्रतिशत बढ़कर 1.36 लाख करोड़ रुपये पर

नयी दिल्ली, 28 फरवरी बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) पर बिजली उत्पादक कंपनियों (जेनको) का बकाया दिसंबर, 2020 में सालाना आधार पर 24 प्रतिशत बढ़कर 1,36,966 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है।

दिसंबर, 2019 तक डिस्कॉम पर बिजली वितरण कंपनियों का बकाया 1,10,660 करोड़ रुपये था। पेमेंट रैटिफिकेशन एंड एनालिसिस इन पावर प्रोक्यूरमेंट फॉर ब्रिंगिंग ट्रांसपैरेंसी इन इन्वॉयसिंग ऑफ जेनरेशन (प्राप्ति) पोर्टल से यह जानकारी मिली है।

बिजली उत्पादकों तथा वितरकों के बीच बिजली खरीद लेनदेन में पारदर्शिता लाने के लिए प्राप्ति पोर्टल मई, 2018 में शुरू किया गया था।

दिसंबर, 2020 तक 45 दिन की मियाद या ग्रेस की अवधि के बाद भी डिस्कॉम पर बकाया राशि 1,27,498 करोड़ रुपये थी। यह एक साल पहले 97,835 करोड़ रुपये थी।

पोर्टल के ताजा आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर में कुल बकाया इससे पिछले महीने की तुलना में घटा है। नवंबर, 2020 में डिस्कॉम पर कुल बकाया 1,40,741 करोड़ रुपये था।

दिसंबर, 2020 में डिस्कॉम पर 45 दिन की मियाद की अवधि के बाद बकाया घटा है। नवंबर, 2020 में यह 1,27,539 करोड़ रुपये था। बिजली उत्पादक कंपनियां डिस्कॉम को बेची गई बिजली के बिल का भुगतान करने के लिए 45 दिन का समय देती हैं। उसके बाद यह राशि पुराने बकाये में आ जाती है। ज्यादातर ऐसे मामलों में बिजली उत्पादक दंडात्मक ब्याज वसूलते हैं।

बिजली उत्पादक कंपनियों को राहत के लिए केंद्र ने एक अगस्त, 2019 से भुगतान सुरक्षा प्रणाली लागू है। इस व्यवस्था के तहत डिस्कॉम को बिजली आपूर्ति पाने के लिए साख पत्र देना होता है। केंद्र सरकार ने बिजली वितरण कंपनियों को भी कुछ राहत दी है। कोविड-19 महामारी की वजह से डिस्कॉम को भुगतान में देरी के लिए दंडात्मक शुल्क को माफ कर दिया था।

सरकार ने मई में डिस्कॉम के लिए 90,000 करोड़ रुपये की नकदी डालने की योजना पेश की थी। इसके तहत बिजली वितरण कंपनियां पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन तथा आरईसी लिमिटेड से सस्ता कर्ज ले सकती हैं। बाद में सरकार ने इस पैकेज का बढ़ाकर 1.2 लाख करोड़ रुपये कर दिया था।

आंकड़ों से पता चलता है कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, झारखंड, हरियाणा और तमिलनाडु की बिजली वितरण कंपनियों का उत्पादक कंपनियों के बकाये में सबसे अधिक हिस्सा है।

भुगतान की मियाद की अवधि समाप्त होने के बाद दिसंबर, 2020 तक डिस्कॉम पर कुल 1,27,498 करोड़ रुपये का बकाया है। इसमें स्वतंत्र बिजली उत्पादकों का हिस्सा 32.14 प्रतिशत है। वहीं, केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम की जेनको का बकाया 33.57 प्रतिशत है।

सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों में अकेले एनटीपीसी को ही डिस्कॉम से 17,946.97 करोड़ रुपये वसूलने हैं। दामोदर वैली कॉरपोरेशन का बकाया 6,682.61 करोड़ रुपये, एनएलसी इंडिया का बकाया 6,123.78 करोड़ रुपये, एनएचपीसी का 3,141.43 करोड़ रुपये और टीएचडीसी इंडिया का बकाया 2,022.23 करोड़ रुपये है।

निजी बिजली उत्पादक कंपनियों में अडाणी पावर का बकाया 16,878.25 करोड़ रुपये, बजाज समूह की ललितपुर पावर जेनरेशन कंपनी का 4,462.10 करोड़ रुपये, एसईएमबी (सेम्बकॉर्प) का 2,735.62 करोड़ रुपये है और जीएमआर का 2,195.12 करोड़ रुपये है। वहीं गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोतों मसलन सौर और पवन ऊर्जा कंपनियों का बकाया 12,117.78 करोड़ रुपये है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Electricity producers' dues on discom rose by 24 percent to Rs 1.36 lakh crore in December

कारोबार से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे