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मृत्यु दर में कमी से बुजुर्गों की जनसंख्या 2021 में 13.8 करोड़ हुई : अध्यन

By भाषा | Updated: August 15, 2021 14:14 IST

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नयी दिल्ली 15 अगस्त देश में बुजुर्गों की जनसंख्या वर्ष 1961 से लगातार बढ़ रही है और 2021 में यह 13.8 करोड़ पर पहुंच गई। बुजुर्गों की संख्या में वृद्धि का मुख्य कारण मृत्य दर में कमी आना है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के एक अध्ययन में यह बात सामने आयी है।

अध्ययन में यह भी पाया गया कि पिछले दो दशकों (2021 तक) में वृद्ध पुरुषों की संख्या महिलाओं से अधिक रही है। लेकिन यह अनुमान लगाया गया है कि 2031 में बुजुर्ग महिलाओं की संख्या बुजुर्ग पुरुषों से अधिक होगी।

इस अध्यन में 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र वाले लोगों को बुजुर्ग माना गया है।

एनएसओ ने 'भारत में बुजुर्ग 2021' के शीर्षक से अपने अध्ययन में कहा, "भारत और राज्यों के लिए 2011-2036 में जनसंख्या अनुमान पर तकनीकी समूह की रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में देश में लगभग 13.8 करोड़ बुजुर्ग व्यक्ति हैं, जिनमें 6.7 करोड़ पुरुष और 7.1 करोड़ महिलाएं शामिल हैं।"

अध्ययन के अनुसार भारत में बुजुर्गों की जनसंख्या 1961 से लगातार बढ़ रही है। बुजुर्गों की जनसंख्या 1981 की जनगणना के बाद स्वास्थ्य सेवाओं में बेहतरी के कारण मृत्यु दर में कमी आने से बढ़ी है।

अध्ययन में कहा गया है कि 2011 में भारत में बुजुर्गों की आबादी 10.38 करोड़ थी, जिसमें 5.28 करोड़ पुरुष और 5.11 करोड़ महिलाएं शामिल हैं। वही वर्ष 2031 में बुजुर्गों की संख्या 19.38 करोड़ पर पहुंचने का अनुमान है। इसमें 9.29 करोड़ बुजुर्ग पुरुष और 10.09 करोड़ बुजुर्ग महिलाएं शमिल होंगी।

इसके अलावा देश की आम आबादी 2011 से 2021 के बीच 12.4 प्रतिशत बढ़ गई। जबकि इस दौरान बुजुर्गों संख्या 35.8 प्रतिशत बढ़ी।

वही अध्यन में अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2021 से 2031 के बीच देश की सामान्य आबादी में 8.4 प्रतिशत और बुजुर्गों की आबादी में 40.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की जायेगी।

राज्यवार आंकड़ों में यह देखा गया कि देश के 21 प्रमुख राज्यों में केरल की कुल आबादी में बुजुर्गों का हिस्सा सबसे ज्यादा 16.5 प्रतिशत है,जबकि तमिलनाडु में यह 13.6, हिमाचल प्रदेश में 13.1, पंजाब में 12.6 और आंध्र प्रदेश में 12.4 प्रतिशत हैं।

वही बिहार की कुल आबादी में बुजुर्गों का हिस्सा सबसे कम 7.7 प्रतिशत है। उत्तर प्रदेश में यह संख्या 8.1 प्रतिशत और असम में 8.2 प्रतिशत है।

एनएसओ द्वारा यह अध्ययन वर्ष 2000 से जारी किया जा रहा है और यह इस श्रृंखला का पांचवा अध्यन है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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