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रिजर्व बैंक के पीसीए रूपरेखा से बाहर आने के लिए फंसे कर्ज में कमी लाने को लेकर प्रयास जारी: इंडियन ओवरसीज बैंक

By भाषा | Updated: August 2, 2020 21:25 IST

इंडियन ओवरसीज बैंक ने कहा कि उसे एनपीए की वसूली के लिये कानूनी उपायों के अलावा समझौता निपटान का भी उपयोग करना पड़ा है।

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ठळक मुद्देफंसे कर्ज यानी एनपीए की वसूली का मूल मकसद लाभ को प्रभावित किये बिना पूरे बकाये की वसूली है।वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान ओटीएस व्यवस्था के तहत 3,400 करोड़ रुपये के करीब 69,200 एनपीए खातों का समाधान हुआ।इसके अलावा बैंक ने ओटीएस की ऑनलाइन संस्करण पेश किया।

नयी दिल्ली: सार्वजनिक क्षेत्र का इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी) रिजर्व बैंक के तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई रूपरेखा से बाहर आने के लिये फंसे कर्ज में कमी लाने को लेकर कई उपाय कर रहा है। बैंक ने 2019-20 की सालाना रिपोर्ट यह कहा है कि एकबारगी निपटान रणनीति से फंसे कर्ज की वसूली का लाभ हुआ है।

चेन्नई के बैंक को मार्च, 2020 को समाप्त तिमाही में 144 करोड़ रुपये का लाभ हुआ। इससे पहले लगातार 18 तिमाहियों तक उसे नुकसान हुआ था। रिजर्व बैंक के तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) रूपरेखा के दायरे में आने वाला आईओबी को इससे पहले जून, 2016 को समाप्त तिमाही में लाभ हुआ था।

आईओबी के अनुसार पिछले वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान बैंक ने एकबारगी निपटान योजना को काफी सफल पाया। रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘बैंक पीसीए रूपरेखा के दायरे से जल्दी बाहर आने के लिये गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) में कमी लाने को लेकर कई प्रयास कर रहा है। हालांकि फंसे कर्ज यानी एनपीए की वसूली का मूल मकसद लाभ को प्रभावित किये बिना पूरे बकाये की वसूली है।’’

बैंक ने कहा कि उसे एनपीए की वसूली के लिये कानूनी उपायों के अलावा समझौता निपटान का भी उपयोग करना पड़ा है। इस योजना के तहत बैंक ने उच्च मूल्य के एनपीए के समाधान के लिये क्षेत्रीय, संभागीय और केंद्रीय कार्यालयों के अधिकार बढ़ाये हैं। बैंक ने कहा, ‘‘एक बारगी समाधान योजना (ओटीएस) को क्षेत्रीय स्तर पर अच्छी प्रतिक्रिया मिली है।

वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान ओटीएस व्यवस्था के तहत 3,400 करोड़ रुपये के करीब 69,200 एनपीए खातों का समाधान हुआ।’’ इसके अलावा बैंक ने ओटीएस की ऑनलाइन संस्करण पेश किया। इसके तहत कर्जदार ओटीएस आवेदन ऑनलाइन दे सकते हैं और ओटीएस मंजूरी के लिये दी गयी विशेष शक्तियों के तहत निपटान को लेकर अगले स्तर पर भेजा जाता है।

अईओबी ने कहा, ‘‘हालांकि ‘ऑनलाइन ओएस’ में अभी तेजी नहीं आयी है, लेकिन एक शुरूआत हुई है और हमने शाखाओं को एनपीए कर्जदातारों को इसके बारे में और जानकारी देने को कहा है।’’ बैंक के अनुसार, ‘‘बैंक ने सरफेसी कानून (वित्तीय अस्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्गठन तथा प्रतिभूति हित का प्रवर्तन) के तहत मार्च, 2020 तक अधिकार में ली गयी संपत्तियों के लिये ई-नीलामी की वृहत योजना बनायी।

बैंक ने जुलाई, 2019 के 3,167 संपत्तियों की ई-नीलामी के लिये रखा है।’’ रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘वित्त वर्ष 2019-20 में 44 संपत्तियों की बिक्री के जरिये 263 करोड़ प्राप्त हुए। सरफेसी कानून के तहत ई-नीलामी शुरू किये जाने के साथ ओटीएस का रासता साफ हुआ और एनपीए खाते बंद होने शुरू हुए।।’’

सरफेसी कानून के तहत कार्रवाइ्र शुरू होने के साथ 1,290 खातों से संबद्ध 695 करोड़ रुपये का निपटान हुआ। आईओबी मार्च, 2020 तक सकल एनपीए या फंसा कर्ज सकल कर्ज के 14.78 प्रतिशत पर लाने में सफल रहा जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह 21.97 प्रतिशत था।

शुद्ध एनीए भी मार्च, 2019 में 10.81 प्रतिशत के स्तर से घटकर 30 मार्च, 2020 को 5.44 प्रतिशत पर आ गया। निरपेक्ष रूप से सकल एनपीए 30, मार्च 2020 को समाप्त वित्त वर्ष में 19,913 करोड़ रुपये रहा एक साल पहले 33,998 करोड़ रुपये था। वहीं शुद्ध एनपीए 14,368 करोड़ रुपये से घटकर 6,603 करोड़ रुपये पर आ गया।

आईओबी के अनुसार शुद्ध एनपीए 31 मार्च, 2020 को पीसीए रूपरेखा के तहत निर्धारित सीमा से नीचे लाने में बैंक कामयाब रहा। बैंक ने वित्त वर्ष 2019-20 में कोई नियुक्ति नहीं की। मार्च,2020 को समाप्त वित्त वर्ष के बेंक के कर्मचारियों की संख्या 24,857 थी। 

टॅग्स :भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई)इंडिया
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