खाद्य तेल उद्योग ने की रिफाइंड पामतेल, पामोलीन के आयात की छूट पर पुनर्विचार करने की अपील

By भाषा | Updated: July 5, 2021 22:04 IST2021-07-05T22:04:29+5:302021-07-05T22:04:29+5:30

Edible oil industry appeals to reconsider the exemption of import of refined palm oil, palmolein | खाद्य तेल उद्योग ने की रिफाइंड पामतेल, पामोलीन के आयात की छूट पर पुनर्विचार करने की अपील

खाद्य तेल उद्योग ने की रिफाइंड पामतेल, पामोलीन के आयात की छूट पर पुनर्विचार करने की अपील

नयी दिल्ली, पांच जुलाई खाद्य तेल उद्योग के दो संगठनों एसईए और सीओओआईटी ने कहा है कि रिफाइंड पामतेल और पामोलीन के मुक्त आयात को अनुमति देने के फैसले पर सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए। उनका मानना है कि निर्बाध आयात की छूट देने से घरेलू रिफायनिंग इकाइयां बर्बाद हो जायेंगी।

वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को लिखे पत्र में, सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने मांग की कि आरबीडी पाम तेल और आरबीडी पामोलिन के आयात को फिर से आयात की 'प्रतिबंधित' श्रेणी में रखा जाना चाहिए।

एसईए के अध्यक्ष अतुल चतुर्वेदी ने पत्र में कहा, ‘‘तेल तिलहन उद्योग, 31 दिसंबर, 2021 तक आरबीडी पामोलिन और आरबीडी पाम तेल के निर्बाध आयात को अनुमति देने के सरकार के फैसले से हैरान है।’’

संपर्क करने पर केंद्रीय तेल उद्योग और व्यापार संगठन (सीओओआईटी) के अध्यक्ष सुरेश नागपाल ने कहा कि इस फैसले से घरेलू उद्योग बुरी तरह प्रभावित होगा। नागपाल ने इस फैसले को वापस लेने की मांग करते हुए कहा, ‘‘हमें यह भी डर है कि दक्षेस देशों से शून्य शुल्क पर रिफाइंड पाम तेल का आयात बढ़ जाएगा।’’

एसईए के अनुसार, आठ जनवरी, 2020 से डीजीएफटी अधिसूचना के माध्यम से आरबीडी पामोलिन और आरबीडी पाम तेल के आयात को 'प्रतिबंधित सूची' के तहत रखा गया था। नतीजतन, आरबीडी पामोलीन का आयात 2018-19 (नवंबर-अक्टूबर) में 27.3 लाख टन से घटकर वर्ष 2019-20 में 4.21 लाख टन रह गया।

चालू विपणन वर्ष में, नवंबर 2020-मई 2021 की अवधि के दौरान, मुश्किल से इस तेल के 21,000 टन की भारत में आवक हुई है।

चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘हमें लगता है कि उच्च खाद्य तेल की कीमतों का मुद्रास्फीति पर होने वाले प्रभाव के बारे में सरकार की चिंता थोड़ी ज्यादा है। डब्ल्यूपीआई (थोक मूल्य सूचकांक) में खाद्य तेल का भार केवल 2.64293 प्रतिशत का है और ऐसे में तेल की कीमतों को लेकर ज्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए।’’ .

उन्होंने कहा कि सरकार को किसानों और उपभोक्ताओं के हितों के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता है।

एसईए अध्यक्ष ने तर्क दिया, ‘‘वनस्पति तेल की उच्च कीमतें ‘मजबूरी में एक वरदान’ रही हैं और इससे निश्चित रूप से तिलहन की खेती का रकबा बढ़ेगा जो आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है।’’

एसईए ने कहा कि पिछले दो महीनों में वनस्पति तेलों की कीमतों में 25 प्रतिशत की गिरावट आई है।

चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘रिफाइंड पाम तेल के मुफ्त आयात की अनुमति देने से कीमतों में कोई कमी नहीं आएगी, बल्कि इससे घरेलू उद्योग तहस नहस हो जायेंगे।’’ उन्होंने कहा कि घरेलू रिफाइनिंग मिलें पहले से ही कम क्षमता और मार्जिन पर काम कर रही हैं।

उन्होंने कहा कि पिछले डेढ़ साल से रिफाइंड पाम तेल प्रतिबंधित सूची में हैं, जिससे इस उद्योग में निवेशकों को अधिक प्रोत्साहन मिला है।

चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘सरकार की यह कार्रवाई उन निवेशकों को गलत संकेत देगी।’’

पत्र में कहा गया है कि आरबीडी पामोलिन और आरबीडी पाम तेल को निर्बाध आयात की अनुमति देने से किसानों पर भी गंभीर असर पड़ेगा, क्योंकि इससे घरेलू तिलहन की कीमतों पर दबाव पड़ेगा।

एसईए ने कहा कि कच्चे पाम तेल (सीपीओ) पर 2 जुलाई, 2021 से इंडोनेशिया का लेवी और निर्यात शुल्क 291 डॉलर है, जबकि आरबीडी पामोलिन (तैयार उत्पाद) पर केवल 187 डॉलर प्रति टन है। इसी तरह, मलेशिया में भी रिफाइंड पाम तेल के मुकाबले सीपीओ पर निर्यात शुल्क 90 डॉलर है।

चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘यह साफ्टा समझौते के तहत, शून्य शुल्क पर नेपाल और बांग्लादेश से रिफाइंड तेलों के आयात की बाढ़ ले आ सकता है, जिससे हमारे बाजार में तबाही मचेगी, क्योंकि घरेलू उत्पादक शून्य शुल्क पर आयात किए गए इन तेलों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम नहीं होंगे। उन्होंने कहा, उत्तरी और पूर्वी भारत में रिफाइनिंग मिलों को भारी नुकसान होगा।’’

इसलिए, उन्होंने सरकार से 30 जून, 2021 की डीजीएफटी अधिसूचना को वापस लेने और घरेलू खाद्य तेल रिफाइनरों के बड़े हित में सभी रिफाइंड तेलों को 'प्रतिबंधित' श्रेणी के तहत रखने का अनुरोध किया।

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Web Title: Edible oil industry appeals to reconsider the exemption of import of refined palm oil, palmolein

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