डिस्कॉम पर बिजली उत्पादक कंपनियों का बकाया मई में 15.25 प्रतिशत घटकर 82,305 करोड़ रुपये पर

By भाषा | Updated: July 18, 2021 12:48 IST2021-07-18T12:48:44+5:302021-07-18T12:48:44+5:30

Dues of power generating companies on discoms decreased by 15.25 percent to Rs 82,305 crore in May | डिस्कॉम पर बिजली उत्पादक कंपनियों का बकाया मई में 15.25 प्रतिशत घटकर 82,305 करोड़ रुपये पर

डिस्कॉम पर बिजली उत्पादक कंपनियों का बकाया मई में 15.25 प्रतिशत घटकर 82,305 करोड़ रुपये पर

नयी दिल्ली, 18 जुलाई बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) पर बिजली उत्पादक कंपनियों (जेनको) का बकाया मई, 2021 में एक साल पहले की तुलना में 15.25 प्रतिशत घटकर 82,305 करोड़ रुपये रह गया।

मई, 2020 तक डिस्कॉम पर बिजली वितरण कंपनियों का बकाया 97,111 करोड़ रुपये था। पेमेंट रैटिफिकेशन एंड एनालिसिस इन पावर प्रोक्यूरमेंट फॉर ब्रिंगिंग ट्रांसपैरेंसी इन इन्वॉयसिंग ऑफ जेनरेशन (प्राप्ति) पोर्टल से यह जानकारी मिली है।

डिस्कॉम पर बिजली उत्पादकों का बकाया सालाना के साथ माह-दर-माह आधार पर बढ़ा है, जो क्षेत्र में दबाव का संकेत देता है।

मई में डिस्कॉम पर जेनको का बकाया अप्रैल की तुलना में बढ़ा है। अप्रैल में यह 77,203 करोड़ रुपये रहा था।

बिजली उत्पादकों तथा डिस्कॉम के बीच बिजली खरीद लेनदेन में पारदर्शिता लाने के लिए प्राप्ति पोर्टल मई, 2018 में शुरू किया गया था।

मई, 2021 तक 45 दिन की मियाद या ग्रेस की अवधि के बाद भी डिस्कॉम पर कुल बकाया राशि 68,762 करोड़ रुपये थी। यह एक साल पहले 84,691 करोड़ रुपये थी।

पोर्टल के ताजा आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल में डिस्कॉम पर कुल बकाया 63,050 करोड़ रुपये था।

बिजली उत्पादक कंपनियां डिस्कॉम को बेची गई बिजली के बिल का भुगतान करने के लिए 45 दिन का समय देती हैं। उसके बाद यह राशि पुराने बकाये में आ जाती है। ज्यादातर ऐसे मामलों में बिजली उत्पादक दंडात्मक ब्याज वसूलते हैं।

बिजली उत्पादक कंपनियों को राहत के लिए केंद्र ने एक अगस्त, 2019 से भुगतान सुरक्षा प्रणाली लागू है। इस व्यवस्था के तहत डिस्कॉम को बिजली आपूर्ति पाने के लिए साख पत्र देना होता है।

केंद्र सरकार ने बिजली वितरण कंपनियों को भी कुछ राहत दी है। कोविड-19 महामारी की वजह से डिस्कॉम को भुगतान में देरी के लिए दंडात्मक शुल्क को माफ कर दिया गया था।

सरकार ने डिस्कॉम के लिए 90,000 करोड़ रुपये की नकदी डालने की योजना पेश की थी। इसके तहत बिजली वितरण कंपनियां पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन तथा आरईसी लिमिटेड से सस्ता कर्ज ले सकती हैं। बाद में सरकार ने इस पैकेज को बढ़ाकर 1.2 लाख करोड़ रुपये और उसके बाद 1.35 लाख करोड़ रुपये कर दिया।

इस नकदी पैकेज के तहत 80,000 करोड़ रुपये का वितरण किया गया है।

आंकड़ों से पता चलता है कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, झारखंड और तमिलनाडु की बिजली वितरण कंपनियों का उत्पादक कंपनियों के बकाये में सबसे अधिक हिस्सा है। भुगतान की मियाद की अवधि समाप्त होने के बाद मई, 2021 तक डिस्कॉम पर कुल बकाया 68,762 करोड़ रुपये था। इसमें स्वतंत्र बिजली उत्पादकों का हिस्सा 35.86 प्रतिशत है। वहीं, केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम की जेनको का बकाया 47.59 प्रतिशत है।

सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों में अकेले एनटीपीसी को ही डिस्कॉम से 8,297.29 करोड़ रुपये वसूलने हैं। एनएलसी इंडिया का बकाया 3,918.61 करोड़ रुपये, दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) का बकाया 3,847.90 करोड़ रुपये,एनएचपीसी का 2,432.65 करोड़ रुपये और टीएचडीसी इंडिया का बकाया 1,130.33 करोड़ रुपये है।

निजी बिजली उत्पादक कंपनियों में अडाणी पावर का बकाया 17,338.48 करोड़ रुपये, एसईएमबी (सेम्बकॉर्प) का 2,420.53 करोड़ रुपये, आईएलएंडएफएस तमिलनाडु पावर कंपनी का 2,004.53 करोड़ रुपये, जिंदल स्टील एंड पावर का 1,659.61 करोड़ रुपये और बजाज समूह की ललितपुर पावर जेनरेशन कंपनी का 1,608.10 करोड़ रुपये है।

वहीं गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोतों मसलन सौर और पवन ऊर्जा कंपनियों का बकाया 11,373.88 करोड़ रुपये है।

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