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उत्तर प्रदेश में मल्टी सर्विस सेण्टर की भूमिका में दिखेंगे जिला सहकारी बैंक,समितियां: प्रबंध निदेशक

By भाषा | Updated: March 14, 2021 15:40 IST

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मथुरा, 14 मार्च उत्तर प्रदेश सहकारी बैंक से जुड़ी जिला सहकारी बैंक शाखाएं भी अब सरकारी व निजी क्षेत्र की बैंकों के समान ही मल्टी सर्विस सेण्टर के समान सभी प्रकार की बैंकिंग सेवाएं देती हुई नजर आएंगी।

इतना ही नहीं, हर सहकारी बैंक हर शाखा में नियुक्त किए जाने वाले बैंक संवाददाताओं के माध्यम से किसानों के घर-घर जाकर जमा व निकासी सहित बिल भुगतान व ऋण आवेदन जैसी सुविधाएं भी घर बैठे मुहैया कराने जा रही हैं।

यह जानकारी मथुरा जिला सहकारी बैंक की सामान्य सभा की 73वीं वार्षिक बैठक में सम्मिलित होने आए उप्र सहकारी बैंक लिमिटेड के प्रबंध निदेशक भूपेंद्र कुमार ने संवाददाताओं को यहां दी।

उन्होंने इस मौके पर मथुरा जिला सहकारी बैंक की 8 समितियों को माइक्रो एटीएम प्रदान कर चलती-फिरती बैंक शाखा की सेवाएं आरंभ करने की सुविधा प्रदान की।

उन्होंने बताया, उत्तर प्रदेश की सभी जिला सहकारी बैंक शाखाओं में आगामी वित्तीय वर्ष में बैंकिंग संवाददाताओं की नियुक्ति की जाएगी। जो बैंक के व्यवसाय प्रतिनिधि के रूप में कार्य करेंगे। वे घर-घर जाकर बैंक की ओर से दी जाने वाली जमा व निकासी, बिजली आदि के भुगतान जमा करने, ऋण आवेदन जमा करने जैसी सेवाएं प्रदान करेंगे। यानि, एक ब्रांच में जो भी सेवाएं दी जाती हैं, किसानों को वे सभी सेवाएं घर पर मिल सकेंगी।

एमडी ने बताया, उप्र सहकारी बैंक ने अब अपने यहां ही आरटीजीएस/एनईएफटी सेवाएं शुरु कर दीं हैं, जबकि पहले यह कार्य निजी क्षेत्र की बैंक आईसीआईसीआई द्वारा कराया जाता था। जिसका फायदा भी उसी को मिलता था। विगत एक वर्ष में बैंक कुल 44 हजार करोड़ का लेन-देन कर चुकी है। यह सेवा सभी जिलों की बैंकों को निःशुल्क प्रदान की जा रही है।

कुमार ने बताया, पिछले तीन वर्षों में सहकारी बैंकों की कार्यप्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन हुआ है। उस समय जहां राज्य की 50 में से 16 बैंक शाखाएं बड़ी ही दयनीय स्थिति में थीं, अब उनमें से 10 लाइन पर आ गई हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश की छह अन्य बैंकों को भी उबारने के प्रयास जारी हैं।

मथुरा की ही शाखा जहां पहले 57 करोड़ की देनदार थी। अब ऋणमुक्त हो चुकी है। इस वर्ष पिछले वर्ष से 45 करोड़ अधिक का व्यवसाय किया है। उम्मीद है कि आगामी वित्त वर्ष में घाटे से भी मुक्ति पा लेगी। सर्वविदित है कि मथुरा की बैंक पूर्व में प्रदेश की पहली तीन शाखाओं में गिनी जाती थी, हम वही स्थिति लौटाने के प्रयास कर रहे हैं।

इससे पूर्व उन्होंने अपने संबोधन में कहा, प्रधानमंत्री ने वार्षिक बजट में सहकारी आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए एक लाख करोड़ का प्राविधान किया है। इसमें से 1212 करोड़ रुपया ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत मथुरा जिले को मिला है।

इस राशि से इस शाखा का कायापलट किया जाना है। नाबार्ड से भी 116 करोड़ रुपया हर सहकारी समिति के लिए नए गोदाम का निर्माण एवं पुराने का जीर्णोद्धार कार्य कराए जाने को मिला है। जिसमें प्रथम चरण में 25 नए गोदाम बनाए जाएंगे व द्वितीय चरण में 35 पुराने गोदामों को सुदृढ़ किया जाएगा।

उन्होंने कहा, यूपीसीबी हर जिले की चीनी मिल को बढ़ावा देने के लिए 10 करोड़ की धनराशि उसके संचालन के लिए दे रही है। इसी योजना के अंतर्गत मथुरा की छाता चीनी मिल को पुनः संचालित करने के लिए 10 करोड़ रुपया देगी। यदि इससे भी अधिक राशि की आवश्यकता हुई तो उसके लिए भी प्रयास करेगी। वैसे भी, गत वर्ष गन्ना किसानों के भुगतान के लिए छह हजार करोड़ दिए थे, इस वर्ष उससे भी अधिक देने का प्रयास किया जाएगा।

प्रबंध निदेशक ने कहा, बैंक ने तय किया है कि जिन जिलों में चीनी मिल नहीं है, उनकी तय धनराशि चीनी मिल वाले जिलों में विनियोजित कर दी जाएगी। इससे गन्ना किसान लाभान्वित होंगे और सहकारी आंदोलन को मजबूती मिलेगी।

उन्होंने कहा, मूल्य संवर्धन योजना के अंतर्गत कंसोर्टियम बनाया गया है। जो राज्य सरकार को अच्छी दर पर पैसा देगा। इससे अतिरिक्त होगी और बैंक में मजबूती आएगी। नाबार्ड से एक प्रतिशत की दर से मिलने वाले कर्ज से हम जिले की शाखाओं को 3.85 फीसद की दर से ऋण देंगे, जिसे वे 7 से 7.5 प्रतिशत की दर से किसानों को कृषि के अलावा भी अन्य ऋण उपलब्ध करा सकेंगे।

बैठक के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश सहकारी बैंक के चेयरमैन एवं पूर्व सांसद चौ. तेजवीर सिंह ने कहा, बैंक जल्द ही किसानों की देनदारी समाप्त करने के लिए उन्हें एकमुश्त समाधान योजना का मौका देने जा रही है। जिससे वे छूट के साथ पिछला बकाया जमा कर सकेंगे और अगले ऋण प्राप्त करने में सक्षम हो सकेंगे।

उन्होंने बताया, मथुरा जिले में स्थित राज्य के एकमात्र चै. दिगंबर सिंह स्मृति सहकारी किसान निवास के जीर्णोद्धार के लिए 50 लाख रुपया स्वीकृत किया गया है जिसे वित्तीय अनुमति मिलते ही कार्य प्रारंभ करा दिया जाएगा। इससे एक वर्ष में किसान भवन किसी तीन सितारा होटल समान सुविधाएं देने काबिल हो जाएगा।

उन्होंने कहा, प्रदेश की सभी जिला सहकारी बैंकों को कम्प्यूटरीकृत किया जा रहा है। इससे किसानों को सभी सेवाएं निर्बाध रूप से तो मिलेंगी ही, बैंकों के डाटा रखरखाव में भी बड़ा परिवर्तन आ जाएगा। जिससे घपलों की संभावनाओं पर रोकथाम लग सकेगी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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