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हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय ने तेल फील्ड मंजूरी प्रक्रियाओं को सुगम बनाया, कागजी काम कम किये

By भाषा | Updated: July 13, 2021 18:37 IST

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नयी दिल्ली, 13 जुलाई तेल नियामक डीजीएच ने तेल फील्डों के लिये मंजूरी प्रक्रियाओं को सुगम बनाने के लिये कदम उठाया है। इसके तहत सांविधिक मंजूरी की जरूरतों को केवल अनुबंधों के विस्तार, हिस्सेदारी की बिक्री और सालाना खाता तक सीमिति रखते हुए बाकी कामों के लिए स्व-प्रमाणन की व्यवस्था के साथ कंपनियों के लिये देश में तेल और गैस खोज एवं उत्पादन को आसान बनाया गया है।

तेल एवं गैस खोज और उत्पादन पर नजर रखने वाली सरकार की तकनीकी इकाई हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय (डीजीएच) ने कहा कि नई खोज लाइसेंसिंग नीति (नेल्प) के तहत नौ दौर की बोलियों के अंतर्गत आबंटित तेल एवं गैस ब्लॉक तथा नेल्प से पहले के ब्लॉक के लिये पक्रियाओं को सरल और मानकीकृत बनाया गया है।

सार्वजनिक क्षेत्र की ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) और ऑयल इंडिया लि. (ओआईएल) नामित आधार पर आबंटित ब्लॉक या क्षेत्रों से देश के तेल एवं गैस का दो तिहाई उत्पादन कर रही है। शेष उत्पादन नेल्प ब्लॉक और उससे पहले के ब्लॉक से किये जा रहे हैं।

नेल्प पूर्व ब्लॉक में पश्चिमी अपतटीय क्षेत्र में पन्ना/मुक्ता और ताप्ती तेल एवं गैस फील्ड तथा केजी बेसिन में रावा फील्ड शामिल हैं।

डीजीएच ने 12 जुलाई के अपने आदेश में कहा, ‘‘सरकार के लिये खोज और उत्पादन क्षेत्र में निवेश और उत्पादन बढ़ाने के साथ कारोबार सुगमता पर विशेष जोर है। प्रक्रियाओं को सरल बनाये जाने और मानकीकरण से व्यवस्था पारदर्शी और दक्ष बनेगी।’’

हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय ने नेल्प और नेल्प से पहले के ब्लॉक को लेकर उत्पादन साझोदारी अनुबंधों (पीएससी) के तहत विभिन्न मंजूरी और दस्तावेज जमा करने की प्रक्रियाओं की समीक्षा की है।

नेल्प या नेल्प से पहले के दौर के तहत दिए गए ब्लॉक में तेल और गैस की खोज करने वाली एक कंपनियों को 37 प्रक्रियाओं के पालन करने की आवश्यकता थी। इन्हें अब घटाकर 18 कर दिया गया है।

इनमें से आधे मामलों में स्वत: प्रमाणपत्र की अनुमति दी गयी है। इसमें खोज को वाणिज्यिक रूप से व्यवहारिक होने की घोषणा के साथ-साथ तिमाही रिपोर्ट, बीमा और बैंक गारंटी जमा करने की जरूरतें शामिल हैं।

डीजीएच के अनुसार इन प्रक्रियाओं के लिये अब कोई मंजूरी की जरूरत नहीं है।

अब केवल अनुबंध या खोज चरण के विस्तार अथवा ठेकेदार के ब्लॉक से बहार निकलने या बिक्री के लिये ही ब्लॉक निगरानी समिति, डीजीएच या पेट्रोलियम मंत्रालय की पहले से मंजूरी की जरूरत होगी।

इसके अलावा, वर्ष के अंत में लेखा विवरण, योजना से बाहर होने और अधूरी परियोजना की लागत के संदर्भ में भी पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता होगी

डीजीएच ने कहा, ‘‘अब अनुबंधन अनुपालन से जुड़ी 37 प्रक्रियाओं को समाहित कर 18 प्रक्रियाओं में शामिल किया गया है।’’ इसके जरिये कुल मिलाकर प्रक्रियाओं को दुरूस्त किया गया है।

इसके अलावा अब सभी दस्तावेज ऑनलाइन जमा करने की सुविधा होगी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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