नयी दिल्ली, 27 जनवरी अंतरिक्ष विभाग और रक्षा मंत्रालय ने 5जी सेवाओं के लिए संभवत: 61,000 करोड़ रुपये का स्पेक्ट्रम खाली करने की सहमति दी है। आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने 5जी सेवाओं के लिए 3300-3600 मेगार्ट्ज फ्रीक्वेंसी बैंड में 300 मेगार्ट्ज स्पेक्ट्रम की नीलामी की सिफारिश की है।
हालांकि, भारतीय नौसेना रडार से जुड़ी सेवाओं के लिए 100 मेगार्ट्ज स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल कर रही है। वहीं भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 3300-3600 मेगार्ट्ज बैंड में 25 मेगार्ट्ज स्पेक्ट्रम के लिए दावा किया है। इससे दूरसंचार सेवाओं के लिए सिर्फ 175 मेगार्ट्ज स्पेक्ट्रम बचा है।
सूत्रों ने कहा, ‘‘इसरो ने 3300-3600 मेगार्ट्ज बैंड में 25 मेगार्ट्ज स्पेक्ट्रम खाली करने की सहमति दी है। उसने सैटेलाइट सेवाओं के लिए 5जी से संरक्षण मांगा है। ’’
एक अन्य आधिकारिक सूत्र ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘नौसेना ने किसी निचले फ्रीक्वेंसी बैंड में 100 मेगार्ट्ज के इस्तेमाल की सहमति दी है। इससे दूरसंचार ऑपरेटरों के लिए पूरा 300 मेगार्ट्ज स्पेक्ट्रम उपलब्ध होगा।’’
यह सरकार द्वारा देश में 5जी सेवाओं के लिए पहचाने गए पहले सेट का स्पेक्ट्रम है। दूरसंचार ऑपरेटर निचले मूल्य पर 3300-3600 बैंड में 100 मेगार्ट्ज स्पेक्ट्रम की मांग कर रहे हैं।
हालांकि, नौसेना और इसरो के दावों की वजह से दूरसंचार विभाग यह स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए उपलब्ध नहीं करा पा रहा था।
स्पेक्ट्रम नीलामी एक मार्च से शुरू होगी।
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