न्यायालय ने ऋण के भुगतान पर रोक योजना से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई पांच नवंबर तक टाली

By भाषा | Updated: November 3, 2020 13:43 IST2020-11-03T13:43:08+5:302020-11-03T13:43:08+5:30

Court defers hearing on petitions related to the scheme to stop the payment of loans till November 5 | न्यायालय ने ऋण के भुगतान पर रोक योजना से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई पांच नवंबर तक टाली

न्यायालय ने ऋण के भुगतान पर रोक योजना से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई पांच नवंबर तक टाली

नयी दिल्ली, तीन नवंबर उच्चतम न्यायालय ने बैंकों द्वारा कर्जदारों से ब्याज पर ब्याज की वसूली पर रोक का आग्रह करने वाली विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई पांच नवंबर तक टाल दी है।

रिजर्व बैंक द्वारा कोविड-19 महामारी के मद्देनजर ऋण की किस्तों के भुगतान पर रोक की सुविधा उपलब्ध कराई गई थी। बैंकों ने इस सुविधा का लाभ लेने वाले ग्राहकों से ऋण की मासिक किस्तों (ईएमआई) के ब्याज पर ब्याज वसूला है, जिसे शीर्ष अदालत में चुनौती दी गई है।

भारतीय रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय पहले ही उच्चतम न्यायालय में अलग-अलग हलफनामा देकर कह चुके हैं कि बैंक, वित्तीय संस्थान और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान (एनबीएफसी) पांच नवंबर तक पात्र कर्जदारों के खातों में चक्रवृद्धि और साधारण ब्याज के अंतर के बराबर राशि डालेंगे। बैंकों ने कहा है कि वे रोक की अवधि के दौरान दो करोड़ रुपये तक के ऋण के ब्याज पर लगाए गए ब्याज को वापस करेंगे।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मंगलवार को न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने आग्रह किया कि वह केंद्र की ओर से सेंट्रल विस्टा परियोजना से संबंधित मामले की सुनवाई में व्यस्त हैं, ऐसे में इस मामले की सुनवाई टाली जाए।

केंद्र की ओर से अधिवक्ता अनिल कटियार ने भी संबंधित पक्षों और पीठ को सुनवाई टालने का आग्रह करने वाला पत्र दिया। पीठ ने उनके आग्रह को स्वीकार करते हुए विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई पांच नवंबर तक टाल दी। इनमें गजेंद्र शर्मा की याचिका भी शामिल है।

कोविड-19 महामारी के मद्देनजर रिजर्व बैंक ने एक मार्च से 31 अगस्त तक ऋण की किस्त के भुगतान पर रोक की सुविधा दी थी। इस सुविधा का लाभ लेने वाले ग्राहकों से बैंकों द्वारा ईएमआई के ब्याज पर ब्याज वसूलने को लेकर कई याचिकाएं दायर की गई हैं।

इससे पहले रिजर्व बैंक ने उच्चतम न्यायालय में अपने हलफनामे में कहा था कि उसने सभी बैंकों, वित्तीय संस्थानों और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों को निर्देश दिया है कि वे दो करोड़ रुपये तक के कर्ज पर ग्राहकों को चक्रवृद्धि और साधारण ब्याज के बीच अंतर के बराबर राशि लौटाएं।

इसके साथ ही केंद्र ने भी सूचित किया था कि बैंकों से चक्रवृद्धि और साधारण ब्याज के बीच के अंतर के बराबर राशि ग्राहकों के खातों में पांच नवंबर तक डालने को कहा गया है।

Web Title: Court defers hearing on petitions related to the scheme to stop the payment of loans till November 5

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