खाद्य तेलों के भाव औंधे मुंह गिरे, अप्रैल में 34 प्रतिशत गिरा आयात, घरेलू बाजार में नरमी, किसानों के हित में शुल्क बढ़ाने की मांग

By भाषा | Updated: May 6, 2020 19:53 IST2020-05-06T19:53:27+5:302020-05-06T19:53:27+5:30

कोरोना वायरस का कहर अब इकोनॉमी में देखने को मिल रहा है। लॉकडाउन के कारण कई उद्योग बंद होने के कगार पर खड़े है। इस बीच खाद्य तेलों में 34 प्रतिशत तक आयात गिर गया है। किसान परेशान हैं। सरकार कुछ अलग करना चाह रही है।

Corona virus India lockdown Prices edible oils fell imports 34 percent April softening domestic market demand increase duty interest farmers | खाद्य तेलों के भाव औंधे मुंह गिरे, अप्रैल में 34 प्रतिशत गिरा आयात, घरेलू बाजार में नरमी, किसानों के हित में शुल्क बढ़ाने की मांग

भारत दुनिया भर में वनस्पति तेलों का सबसे बड़ा खरीदार देश है। (file photo)

Highlightsपॉम तेल के आयात में इस दौरान भारी गिरावट दर्ज की गई जबकि सोयाबीन और सूरजमुखी जैसे हल्के तेलों का आयात बढ़ा है। अप्रैल 2019 के दौरान भारत में कुल 11 लाख 98 हजार 763 टन खाद्य तेलों का आयात किया गया।

नई दिल्लीः देश में अप्रैल माह के दौरान खाद्य तेलों का आयात 34 प्रतिशत घटकर 7 लाख 90 हजार 377 टन रह गया। उद्योग के संगठन एसईए ने बुधवार को यह जानकारी देते हुये कहा कि मुख्य तौर पर परिवहन एवं रखरखाव सुविधाओं की तंगी से इसमें गिरावट आई है।

साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसियेसन आफ इंडिया (एसईए) ने एक वक्तव्य में कहा कि पॉम तेल के आयात में इस दौरान भारी गिरावट दर्ज की गई जबकि सोयाबीन और सूरजमुखी जैसे हल्के तेलों का आयात बढ़ा है। भारत दुनिया भर में वनस्पति तेलों का सबसे बड़ा खरीदार देश है। अप्रैल 2019 के दौरान भारत में कुल 11 लाख 98 हजार 763 टन खाद्य तेलों का आयात किया गया। मुंबई स्थिति एसईए ने वक्तव्य में कहा है, ‘‘अप्रैल में आयात में कमी मुख्य तौर से माल के गंतव्य और माल की रवानगी वाले बंदरगाह दोनों बिंदुओं पर रखरखाव और परिवहन सुविधाओं की तंगी के कारण आई है।’’

एसोसियेसन ने कहा है पॉम तेल के आयात में आरबीडी पॉमोलिन का आयात अप्रैल 2020 में 87 प्रतिशत घटकर 29,750 टन रह गया जबकि एक साल पहले इसी माह में यह 2 लाख 38 हजार 479 टन रहा था। सरकार द्वारा आठ जनवरी 2020 को आरबीडी पामोलिन को आयात की प्रतिबंधित सूची में डालर दिये जाने की वजह से यह गिरावट दर्ज की गई। एसईए ने कहा कि पिछले साल निम्न शुल्क रियायतों का फायदा उठाते हुये मलेशिया से भारत में जरूरत से ज्यादा आरबीडी पामोलिन पहुंचा।

वहीं पॉम तेल के आयात में आई गिरावट के स्थान पर सोयाबीन और सूरजमुखी जैसे हल्के तेलों का आयात क्रमश: 13 प्रतिशत और 12 प्रतिशत बढ़ा है। संगठन के मुताबिक नवंबर से अप्रैल 2019-20 की अवधि में देश में खाद्य तेलों का कुल आयात घटकर 61 लाख 82 हजार 184 टन रह गया जो कि एक साल पहले इसी अवधि में 72 लाख 03 हजर 830 टन रहा था। देश में खाद्य तेल वर्ष नवंबर से लेकर अक्टूबर तक गिना जाता है।

विदेशी बाजारों में लगभग 40 प्रतिशत की गिरावट आई है

विदेशी बाजारों में गिरावट के रुख के बीच दिल्ली तेल तिलहन बाजार में बुधवार को सरसों सहित विभिन्न खाद्य तेलों के भाव औंधे मुंह गिर गये। बाजार सूत्रों ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण पिछले तीन महीने में विदेशी बाजारों में लगभग 40 प्रतिशत की गिरावट आई है।

देशी तेलों पर भी कहीं न कहीं इसका असर पड़ा है और उनमें नरमी आई है। बाजार सूत्रों का कहना है कि पिछले एक- दो महीने से उठाव नहीं होने की वजह से मलेशिया जैसे बाजारों में कच्चे पॉम तेल का भारी स्टॉक जमा हो गया है। भाव 35 से 40 प्रतिशत तक नीचे बोले जा रहे हैं। ऐसे में सस्ते आयात से घरेलू उत्पादक किसानों और उद्योगों के हित में सरकार को सोबीयान, कच्चा पॉम तेल पर आयात शुल्क बढ़ाना चाहिये। सोयाबीन पर आयात शुल्क 10 प्रतिशत बढ़ाकर 45 प्रतिशत और पॉम तेल आयात पर 28 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों के भाव 40 प्रतिशत तक टूट चुके हैं और आगे इसमें और गिरावट आने की आशंका है।

ऐसे में देश के सरसों और सोयाबीन उत्पादक किसानों की मदद के लिये सरकार को सस्ते आयात से उनकी रक्षा करनी चाहिये। सरसों उत्पादक किसान पहले ही न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल पाने से परेशान है ऊपर से सोयाबीन की नई फसल की बिजाई भी अब शुरू होगी। बाजार यदि सस्ते आयात से दब जायेगा तो किसाना हतोत्साहित हो जायेगा।

बुधवार को बंद भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल) सरसों तिलहन - 4,250 - 4,300 रुपये। मूंगफली - 4,815 - 4,865 रुपये। वनस्पति घी- 930 - 1,035 रुपये प्रति टिन। मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 13,000 रुपये। मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 1,975 - 2,025 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 8,680 रुपये प्रति क्विंटल। सरसों पक्की घानी- 1,395 - 1,540 रुपये प्रति टिन। सरसों कच्ची घानी- 1,465 - 1,585 रुपये प्रति टिन। तिल मिल डिलिवरी तेल- 10,000 - 13,500 रुपये। सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 8,600 रुपये। सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 8,450 रुपये। सोयाबीन तेल डीगम- 7,400 रुपये। सीपीओ एक्स-कांडला- 6,100 रुपये। बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 7,450 रुपये। पामोलीन आरबीडी दिल्ली- 7,350 रुपये। पामोलीन कांडला- 6,650 रुपये (बिना जीएसटी के)। सोयाबीन तिलहन डिलिवरी भाव 3,850- 3,900 लूज में 3,650--3,700 रुपये। मक्का खल (सरिस्का) - 3,430 रुपये

 

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