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सामुदायिक रसोई योजना: केंद्र ने रूपरेखा पर चर्चा के लिए राज्यों के खाद्य सचिवों का समूह गठित किया

By भाषा | Updated: November 25, 2021 17:55 IST

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नयी दिल्ली, 25 नवंबर केंद्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने राशन दुकानों के दायरे में नहीं आने वाले जरूरतमंदों के लिए सरल और पारदर्शी सामुदायिक रसोई स्थापित करने की योजना की रूपरेखा पर विचार करने को लेकर बृहस्पतिवार को राज्य के खाद्य सचिवों के एक समूह के गठन की घोषणा की।

राष्ट्रीय राजधानी में राज्य के खाद्य मंत्रियों के साथ बैठक के दौरान इस संबंध में निर्णय लिया गया था।

यह बैठक उच्चतम न्यायालय के एक निर्देश के बाद बुलाई गई थी। निर्देश में केंद्र को तीन सप्ताह के भीतर राज्यों की सहमति के आधार पर सामुदायिक रसोई योजना का मॉडल तैयार करने को कहा गया था।

गोयल ने योजना की रूपरेखा पर विचार-विमर्श करने के लिए राज्य के खाद्य सचिवों के एक समूह की स्थापना की घोषणा करते हुए कहा, "एक सामुदायिक रसोई योजना तैयार करने की आवश्यकता है - जो सरल, पारदर्शी और लोगों के लाभ में हो।"

उन्होंने कहा कि गुणवत्ता, स्वच्छता, विश्वसनीयता और सेवा की भावना के चार स्तंभों पर एक सामुदायिक रसोई बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, "यह हमें, कोई भी भूखा नहीं सोये के लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेगा।’’

एक सरकारी बयान में बैठक में मंत्री के हवाले से कहा गया है कि सामुदायिक रसोई समुदाय द्वारा संचालित और समुदाय के कल्याण के लिए और समुदाय की ही होगी।

गोयल ने आगे कहा, "हमें देश के गरीबों के प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए और बच्चों को उचित पोषण सुनिश्चित करने के लिए सफल और पारदर्शी खाद्य कार्यक्रम चलाने का सामूहिक संकल्प सुनिश्चित करना चाहिए।"

रूपरेखा प्रस्ताव पर विचार करने के लिए अधिकारियों के स्तर पर अगली बैठक 29 नवंबर को होगी।

केंद्र को शीर्ष अदालत का यह निर्देश, देश भर में सामुदायिक रसोई स्थापित करके जरूरतमंद व्यक्तियों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए एक आवश्यक योजना तैयार करने और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के दायरे से बाहर के व्यक्तियों के लिए एक राष्ट्रीय खाद्य ग्रिड बनाने के संबंध में दायर एक रिट याचिका पर आया था ताकि भुखमरी और कुपोषण से लड़ा जा सके।

शीर्ष अदालत ने सभी राज्यों को केंद्र द्वारा आयोजित बैठक में भाग लेने और उक्त योजना के साथ आने में सहयोग करने का भी निर्देश दिया था, जिसे सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों पर समान रूप से लागू किया जा सकता है।

प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के बारे में बात करते हुए, गोयल ने कहा कि यह योजना महामारी के दौरान गरीबों के लिए एक वरदान रही क्योंकि राशन कार्ड धारकों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत दिए गए कोटा से अधिक मुफ्त में खाद्यान्न वितरित किया गया था।

उन्होंने कहा, "पीएमजीकेएवाई संभवत: कोविड के समय में शुरू किया गया दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य कार्यक्रम है। देश में कोई भी खाद्यान्न से वंचित नहीं था। यह हमारा संकल्प होना चाहिए कि गुणवत्तापूर्ण खाद्यान्न लाभार्थियों तक पहुंचे।"

पीएमजीकेएवाई योजना को अब चार महीने के लिए बढ़ाकर 22 मार्च, 2022 तक कर दिया गया है।

बैठक में खाद्य और उपभोक्ता मामलों के राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे, खाद्य सचिव सुधांशु पांडे सहित अन्य लोग उपस्थित थे।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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