वित्तीय सौदे में बतौर ‘सिक्योरिटी’ जारी चेक को बेकार कागज का टुकड़ा नहीं माना जा सकता: न्यायालय
By भाषा | Updated: October 28, 2021 23:15 IST2021-10-28T23:15:37+5:302021-10-28T23:15:37+5:30

वित्तीय सौदे में बतौर ‘सिक्योरिटी’ जारी चेक को बेकार कागज का टुकड़ा नहीं माना जा सकता: न्यायालय
नयी दिल्ली, 28 अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि किसी वित्तीय सौदे में बतौर ‘सिक्योरिटी’ जारी किए गए चेक को बेकार कागज का टुकड़ा नहीं माना जा सकता।
न्यायालय ने कहा कि ‘सिक्योरिटी’ अपने सही मायने में सुरक्षा के लिए है और कर्ज के लिए सुरक्षा भुगतान की प्रतिज्ञा के रूप में दी जाती है।
शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि सिर्फ चेक बाउंस होने को धोखाधड़ी के इरादे से किया गया कार्य नहीं माना जा सकता है।
न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि चेक यह सुनिश्चित करने के लिए दिया जाता है, जमा किया जाता है या गिरवी रखा जाता है कि लेन-देन करने वाले पक्ष बाध्य हों।
पीठ ने कहा, ‘‘किसी वित्तीय लेनदेन के लिए सिक्योरिटी के रूप में जारी किए गए चेक को किसी भी हालात में बेकार कागज का टुकड़ा नहीं माना जा सकता है। ‘सिक्योरिटी’ अपने सही मायने में सुरक्षा के लिए है और कर्ज के लिए सुरक्षा भुगतान की प्रतिज्ञा के रूप में दी जाती है। इसे एक दायित्व को पूरा करने के लिए दिया जाता है, जमा किया जाता है या गिरवी रखा जाता है, ताकि लेन-देन करने वाले पक्ष बाध्य हों।’’
न्यायालय ने कहा कि यदि कर्ज के मामले में कर्जदार एक तय समय सीमा में राशि चुकाने पर सहमत है और इस तरह के पुनर्भुगतान को सुरक्षित करने के लिए सिक्योरिटी के रूप में चेक जारी करता है, तो ऐसा चेक को भुगतान के लिए लगाया जा सकता है और चेक लगाने वाला भुगतान का हकदार होगा।
न्यायालय ने आगे कहा कि यदि इस तरह चेक लगाने पर बाउंस होता है, तो धारा 138 और परक्राम्य लिखत अधिनियम के अन्य प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
न्यायालय ने झारखंड के एक मामले में सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया।
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