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सीबीडीटी चेयरमैन ने केयर्न, वोडाफोन मामलों पर कहा: कानून है तो लागू की किया ही जाएगा

By भाषा | Updated: February 2, 2021 18:04 IST

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नयी दिल्ली, दो फरवरी केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अध्यक्ष पीसी मोदी ने मंगलवार को कहा कि सरकार अंतरराष्ट्रीय पंचाट के उस फैसले की जांच कर रही है जिसमें केयर्न एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी पर पिछली तिथि से प्रभावरी एक कानून संशोधन के तहत कर लगाए जाने के मामले में हाल ही में भारत के खिलाफ आदेश पारित किया है।

सीबीडीटी प्रमुख मोदी ने कहा,‘ किसी समय कोई कानून प्रभावी है तो उसको पूरी तरह लागू किया ही जाना चाहिए’

उन्होंने केयर्न एनर्जी मामले में पंचाट के फैसले के बारे में कहा कि वोडाफोन के मामले में भी इसी तरह का आदेश आया था, जिसके खिलाफ सरकार ने अपील दायर की है। इस मामले में अपील करना है या नहीं, इसका निर्णय जल्द ही किया जायेगा।

सीबीडीटी प्रमुख ने पीटीआई-भाषा से एक बातचीत में कहा, ‘‘हम पहले ही वोडाफोन के मामले में फैसला कर चुके हैं कि आगे अपील की जाये। अब केयर्न की बात है, हम इस मामले की समीक्षा कर रहे हैं और बहुत जल्द हम इस बारे में फैसला करेंगे।’’

उनसे पूछा गया था कि क्या वोडाफोन मामले में भारत द्वारा अपील की गयी अपील ‘कराधान के सरकार के संप्रभु कार्य’ को आधार बना कर किया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘संप्रभु कार्य के अलावा, वह (पिछले समय से प्रभावी कर संशोधन) उस समय प्रभावी कानून था। उसे प्रभावी तरीके से लागू किया ही जाना था।’’

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने आयकर विभाग की नीतियां निर्धारित करता है।

केयर्न मामले में पंचाट ने पिछले साल दिसंबर में एक आदेश में भारत सरकार को 1.4 अरब डॉलर कंपनी को लौटाने को कहा है। तीन सदस्यीय पंचाट में एक सदस्य भारत सरकार के द्वारा नामित किये गये थे। न्यायाधिकरण ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया कि 2006-07 में केयर्न के भारत के व्यापार के आंतरिक पुनर्गठन पर पिछले करों का 10,247 करोड़ रुपये का भारत का दावा वैध मांग नहीं थी।

न्यायाधिकरण ने सरकार को आदेश दिया कि वह केयर्न के बेचे गये शेयरों का मूल्य लौटाये, जब्त किया गया लाभांश वापस करे और रोके गये कर रिफंड को जारी करे।

कुछ महीने पहले, ब्रिटेन की ही दूरसंचार कंपनी वोडाफोन ग्रुप पीएलसी ने भी एक पंचाट में इसी तरह के मामले में भारत सरकार के खिलाफ जीत हासिल की। हालांकि भारत ने इस फैसले को सिंगापुर की एक अदालत के समक्ष चुनौती दी है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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