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बीपीसीएल ने दो दशक में 80 पेटेंट्स प्राप्त किये, 50 आवेदन पर स्वीकृति प्रतीक्षित

By भाषा | Updated: July 4, 2021 20:20 IST

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मुंबई 04 जुलाई सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लि. (बीपीसीएल) को पिछले दो दशक में 80 से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट प्राप्त हुए हैं, जबकि उसे 53 से अधिक मामलों में स्वीकृति की प्रतीक्षा है।

इसमें एक पेटेंट की इस सूची में कच्चे तेल की परख करने वाला सबसे तेज और सबसे सस्ता उपकरण बीपीमार्क भी शामिल है।

कंपनी ने बताया कि उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में स्थित उसके अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) केंद्र ने अकेले 18 पेटेंट पिछले 12 महीनों में प्राप्त किये हैं। बीपीसीएल का आर एंड डी बजट 80 से 100 करोड़ रुपये वार्षिक का है।

बीपीसीएल के निदेशक (रिफाइनरी और मार्केटिंग) अरुण कुमार सिंह ने रविवार को पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा, ‘‘पिछले दो दशकमें हमने 80 पेटेंट हासिल किये हैं तथा 53 मामलों में अभी स्वीकृति मिलनी बाकी है। जुलाई 2020 से लेकर अबतक हमने 18 पेटेंट अपने नाम किये हैं।’’

उन्होंने कहा कि केंद्र के सबसे प्रसिद्ध पेटेंट नवाचारों में से एक बीपीमार्क है। जो कच्चे तेल की उन्नत परख के लिए एक उपकरण है। यह पारंपरिक परख तरीकों के मुकाबले बेहद कम समय में कच्चे तेल की विशेषता और मूल्यांकन करता है। पुरानी प्रक्रिया में कच्चे तेल की परख में कम से कम एक महीना लगता है।

सिंह ने कहा कि कंपनी का नया पेटेंट आवेदन अधिक लौ प्रदान करने वाले एलपीजी गैस स्टोव (भारतीय पेटेंट कार्यालय में चार पेटेंट के आवेदन और चार डिजाइन पंजीकरण के आवेदन) के लिए है। ये स्टोव मौजूदा स्टोव की गैस-से ताप के संबंध में 68 प्रतिशत दक्षता के मुकाबले छह प्रतिशत अधिक ताप प्रदान करते है। इस नवाचार से हर परिवार को भोजन पकाने में औसतन सालाना एक एलपीजी सिलेंडर की बचत होगी।

उन्होंने कहा कि इस उच्च दक्षता वाले एलपीजी स्टोव 'भारत हाई स्टार' को रविवार को अनुसंधान एवं विकास केंद्र की 20वीं वर्षगांठ के मौके पर पेश किया गया। इस स्टोव की दक्षता 74 प्रतिशत है तथा इसका आग निकालने वाला हिस्सा बेहतर लौ प्रदान करता है।

सिंह ने कहा कि यदि यह गैस स्टोव सभी घरों में पंहुचा दिया जाता है तो इससे सालाना 17 लाख टन एलपीजी यानी सात हजार करोड़ रुपये की बचत होगी।

उन्होंने कहा कि एलपीजी की खपत सालाना लगभग 2.8 करोड़ टन है और मांग औसतन छह प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। इसके जल्द ही तीन करोड़ टन तक पहुंचने की संभावना है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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