शादी-विवाह, जाड़े की मांग बढ़ने से बीते सप्ताह सभी तेल-तिलहन कीमतों में सुधार

By भाषा | Updated: November 21, 2021 12:23 IST2021-11-21T12:23:34+5:302021-11-21T12:23:34+5:30

All oil-oilseeds prices improved last week due to increase in demand for marriage, winter | शादी-विवाह, जाड़े की मांग बढ़ने से बीते सप्ताह सभी तेल-तिलहन कीमतों में सुधार

शादी-विवाह, जाड़े की मांग बढ़ने से बीते सप्ताह सभी तेल-तिलहन कीमतों में सुधार

नयी दिल्ली, 21 नवंबर शादी-विवाह तथा जाड़े के मौसम की मांग बढ़ने से बीते सप्ताह देश के प्रमुख तेल-तिलहन बाजार में सरसों, सोयाबीन, मूंगफली, सीपीओ और पामोलीन सहित लगभग सभी तेल-तिलहनों के दाम सुधार दर्शाते बंद हुए।

बाजार सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन के तेल रहित खल (डीओसी) के भाव बढ़ने के बाद पॉल्ट्री मिलों की मूंगफली डीओसी की मांग बढ़ी है। इसके अलावा बिनौला के भाव में सुधार होने से भी मूंगफली की मांग है। इस वजह से मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में सुधार आया।

उन्होंने कहा कि एक से 20 नवंबर, 2021 के दौरान मलेशिया के निर्यात में 18.2 प्रतिशत की पर्याप्त वृद्धि हुई है। इसके अलावा देश में आयात शुल्क में कमी किये जाने के बाद विदेशों में तेलों के भाव बढ़ा दिये गये, जिससे समीक्षाधीन सप्ताहांत में सीपीओ और पामोलीन तेलों के भाव में सुधार आया।

सूत्रों ने कहा कि आयात शुल्क में कमी का फायदा देश में न तो उपभोक्ताओं, न तेल कारोबारियों या न ही किसानों को मिलता है, बल्कि इसका फायदा इंडोनेशिया, अर्जेंटीना और मलेशिया को मिलता है जहां खाद्य तेलों के दाम बढ़ा दिये जाते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को खाद्य तेलों के दाम नरम करने के लिए आयात शुल्क को कम या ज्यादा करने के बजाय तिलहन उत्पादन बढ़ाने तथा हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की ही तरह सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के माध्यम से सोयाबीन और सरसों जैसे हल्के खाद्य तेलों के वितरण की ओर ध्यान देना चाहिये ताकि शुल्क कटौती का लाभ सीधा उपभोक्ताओं को मिल सके।

उन्होंने कहा कि पिछले साल हमने जितनी मात्रा में खाद्य तेलों का आयात किया था, उसके लिए हमें लगभग 71,625 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े थे लेकिन आयात शुल्क कम करके जो खाद्य तेलों की उपलब्धता बढ़ाने का प्रयास किया गया, उसके बाद पिछले साल के बराबर मात्रा में खाद्य तेलों के आयात का खर्च बढ़कर लगभग 1,17,000 करोड़ रुपये हो गया। इसका यह मतलब निकाला जा सकता है कि आयात शुल्क में कमी किये जाने से आयात शुल्क से प्राप्त होने वाले राजस्व में कमी तो आई ही और इसके साथ ही साथ हमें पहले के बराबर ही तेल का आयात करने के लिए अधिक धनराशि खर्च करनी पड़ी क्योंकि आयात शुल्क में की गई कमी के लगभग समानुपात में विदेशों में खाद्य तेलों के दाम बढ़ा दिये गये।

सूत्रों ने कहा कि पिछले सप्ताह देश की मंडियों में सरसों की आवक डेढ़ से पौने दो लाख बोरी की थी जो समीक्षाधीन सप्ताह में घटकर 1 - 1.15 लाख बोरी रह गई है। देश में सरसों की दैनिक आवश्यकता 2.75-3 लाख बोरी की है। उन्होंने कहा कि सरसों की उपलब्धता कम होने के बाद सरसों खली की भी मांग काफी बढ़ी है। इस मांग के कारण सरसों खली का भाव पिछले सप्ताहांत के 3,300 से 3,325 रुपये (अधिभार अलग) से बढ़कर इस सप्ताहांत 3,400 से 3,425 रुपये क्विंटल हो गया।

सूत्रों ने कहा कि सरकार को सरसों के साथ-साथ बाकी खाद्य तेलों के वायदा कारोबार पर रोक लगाने के बारे में सोचना चाहिये और इस व्यवस्था को स्थायी बना देना चाहिये। इससे देश तिलहन तेल के मामले में आत्मनिर्भरता की राह पर बढ़ सकता है।

सूत्रों ने बताया कि बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 305 रुपये बढ़कर 9,070-9,100 रुपये प्रति क्विंटल हो गया, जो पिछले सप्ताहांत 8,770-8,795 रुपये प्रति क्विंटल था। सरसों दादरी तेल का भाव पिछले सप्ताहांत के मुकाबले 470 रुपये सुधरकर समीक्षाधीन सप्ताहांत में 17,870 रुपये क्विंटल हो गया। वहीं सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल की कीमत 80-80 रुपये सुधरकर क्रमश: 2,760-2,785 रुपये और 2,840-2,950 रुपये प्रति टिन हो गई।

सुधार के आम रुख के अनुरूप सोयाबीन के तेल रहित खल (डीओसी) की स्थानीय मांग के बीच समीक्षाधीन सप्ताहांत में सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज के भाव क्रमश: 500 रुपये और 650 रुपये सुधरकर क्रमश: 6,250-6,300 रुपये और 6,175-6,225 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।

वहीं समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम के भाव क्रमश: 300 रुपये, 230 रुपये और 300 रुपये का सुधार दर्शाते क्रमश: 13,650 रुपये, 13,230 रुपये और 12,050 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।

इस दौरान बिनौला तेल के भाव में सुधार होने के बाद मंडियों में मांग बढ़ने से मूंगफली का भाव समीक्षाधीन सप्ताहांत में 100 रुपये सुधरकर 6,100-6,185 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। मूंगफली तेल गुजरात का भाव 13,500 रुपये प्रति क्विंटल पर यथावत बंद हुआ। जबकि मूंगफली सॉल्वेंट रिफाइंड का भाव पांच रुपये की मामूली गिरावट के साथ 1,975-2,100 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।

जाड़े और शादी-विवाह के सीजन की मांग बढ़ने के कारण समीक्षाधीन सप्ताहांत में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव 400 रुपये के सुधार के साथ 11,500 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ। जबकि पामोलीन दिल्ली का भाव 260 रुपये के लाभ के साथ 13,010 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन कांडला तेल का भाव 170 रुपये सुधरकर 11,850 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

बिनौला तेल का भाव 640 रुपये के सुधार के साथ 12,560 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ।

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