‘समाधान योजना को मंजूरी मिलने के बाद उसमें शाामिल नहीं रहे दावे निरस्त माने जाएंगे’

By भाषा | Updated: May 31, 2021 23:01 IST2021-05-31T23:01:46+5:302021-05-31T23:01:46+5:30

'After the approval of the resolution plan, the claims not included in it will be treated as canceled' | ‘समाधान योजना को मंजूरी मिलने के बाद उसमें शाामिल नहीं रहे दावे निरस्त माने जाएंगे’

‘समाधान योजना को मंजूरी मिलने के बाद उसमें शाामिल नहीं रहे दावे निरस्त माने जाएंगे’

नयी दिल्ली, 31 मई राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने कहा है कि कर्ज में डूबी किसी भी कंपनी के लिये समाधान योजना को मंजूरी मिल जाने के बाद जो दावे योजना का हिस्सा नहीं थे, वो निरस्त माने जाते हैं।

अपीलीय न्यायाधिकरण की चेन्नई पीठ ने कहा कि यह केंद्र सरकार, राज्य सरकार या किसी स्थानीय प्राधिकरण सहित सभी सांविधिक निकायों के दावों पर भी लागू होता है।

न्यायाधिकरण ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की याचिका खारिज करते हुए कहा, ‘‘कोई भी व्यक्ति ऐसे दावे के संबंध में किसी भी प्रकार की कार्यवाही जारी रखने का हकदार नहीं होगा जो समाधान योजना का हिस्सा नहीं है।’’

पीठ के अनुसार उच्चतम न्यायालय ने 13 अप्रैल, 2021 को घनश्याम मिश्रा एंड संस के मामले में दिए गए एक फैसले में कहा है कि एक बार जब समाधान योजना को एनसीएलटी द्वारा विधिवत मंजूरी दे दी जाती है, तो सभी दावे समाप्त हो जाते हैं।

शीर्ष अदालत ने कहा था कि ऐसे सभी दावे, जो समाधान योजना का हिस्सा नहीं हैं, समाप्त हो जाएंगे। कोई भी व्यक्ति किसी दावे के संबंध में कोई कार्यवाही शुरू करने या जारी रखने का हकदार नहीं होगा, जो समाधान योजना का हिस्सा नहीं है।

एनसीएलएटी ने कहा, ‘‘माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित उपरोक्त कानून के आधार पर यह स्पष्ट है कि धारा 31 के तहत समाधान योजना के अनुमोदन के बाद जो भी दावे हैं, वे समाप्त हो जाते हैं। और वह केंद्र सरकार, किसी भी राज्य सरकार या किसी स्थानीय प्राधिकरण, गारंटर और अन्य हितधारकों सहित कर्मचारी, सदस्य तथा अन्य पक्षों पर लागू होते हैं।’’

अपीलीय न्यायाधिकरण का यह निर्देश कर्मचारी भविष्य निधि संगठन तेलंगाना के क्षेत्रीय आयुक्त की याचिका पर आया।

आयुक्त ने एनसीएलटी चेन्नई के एक आदेश को चुनौती दी थी। याचिका में कहा गया था कि 20 जुलाई, 2020 को जीवीआर इंफ्रा प्रोजेक्ट्स की समाधान योजना को मंजूरी देते हुए न्यायाधिकरण ने कंपनी पर बकाया भविष्य निधि के एक बड़े हिस्से को माफ कर दिया था।

जीवीआर इंफ्रा प्रोजेक्ट्स ने अप्रैल 2014 से कर्मचारियों के अंशदान सहित बकाया/नुकसान/ब्याज के भुगतान में चूक की थी। जबकि कंपनी ने कर्मचारियों के वेतन से योगदान राशि को काट लिया गया था। अब तक का कुल ईपीएफ बकाया 2.84 करोड़ रुपये है।

हालांकि, जीवीआर इंफ्रा प्रोजेक्ट्स के समाधान पेशेवर ने सूचित किया था कि संभावित बोलीदाता के अधिग्रहण के समय 1.95 करोड़ के दावों का भुगतान स्वीकार किया जाएगा।

समाधान पेशेवर ने कहा था कि पहले से स्वीकृत दावे का समाधान योजना के तहत निपटारा किया जाएगा।

हालांकि, ईपीएफओ ने 2.84 करोड़ का दावा किया था और एनसीएलएटी में याचिका दायर की थी।

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