ब्रिजवॉटरः अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार यूरोपीय संघ (ईयू) और मेक्सिको पर 30 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा की। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया खाते पर पोस्ट किए गए पत्रों में अमेरिका के दो सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों पर शुल्क लगाने की घोषणा की। यह शुल्क एक अगस्त से प्रभावी होगा। मेक्सिको के नेता को लिखे अपने पत्र में, ट्रंप ने स्वीकार किया कि मेक्सिको ने अमेरिका में अवैध प्रवासियों और 'फेंटेनाइल' की आवक को रोकने में मदद की है। हालांकि, उन्होंने कहा कि मेक्सिको ने उत्तरी अमेरिका को ‘मादक पदार्थ की तस्करी के मैदान’ में बदलने से रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं। ट्रंप ने यूरोपीय संघ को लिखे अपने पत्र में कहा कि अमेरिका का व्यापार घाटा राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है।
ट्रंप ने ईयू को लिखा, “हमने यूरोपीय संघ के साथ अपने व्यापारिक संबंधों पर वर्षों तक चर्चा की है, और हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि हमें आपके शुल्क और गैर-शुल्क नीतियों तथा व्यापार बाधाओं के कारण उत्पन्न इन दीर्घकालिक, बड़े और लगातार व्यापार घाटे से दूर होना चाहिए।”
उन्होंने लिखा, “दुर्भाग्यवश, हमारे संबंध पारस्परिकता से कोसों दूर रहे हैं।” ट्रंप अपने सहयोगियों और विरोधियों, दोनों के साथ नए शुल्क की घोषणाएं कर रहे हैं, जो उनके 2024 के चुनाव अभियान का आधार है। उन्होंने कहा था कि यह अमेरिकी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने की नींव रखेगा।
उनका दावा है कि दशकों से अन्य देशों ने अमेरिका की अर्थव्यवस्था का दोहन किया है। जवाबी शुल्कों के ज़रिए, ट्रंप विश्व व्यापार को नियंत्रित करने वाले नियमों में भारी उलटफेर कर रहे हैं। ट्रंप ने शनिवार के पत्रों के साथ अब तक 24 देशों और 27 सदस्यीय यूरोपीय संघ पर शुल्क की शर्तें लागू कर दी हैं।
ट्रंप ने सात और देशों को शुल्क पत्र भेजे
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को सात छोटे अमेरिकी व्यापारिक साझेदारों को शुल्क पत्र भेजे और अन्य देशों पर आयात कर की घोषणा बाद में करने का वादा किया। जिन देशों के लिए शुल्क पत्र भेजे गये हैं उनमें से कोई भी अमेरिका का बड़ा औद्योगिक प्रतिद्वंद्वी नहीं है। ये देश फिलीपीन, ब्रुनेई, मॉल्डोवा, अल्जीरिया, लीबिया, इराक और श्रीलंका हैं।
यह इस बात का संकेत है कि खुले तौर पर ‘शुल्क’ (टैरिफ) शब्द के प्रति अपने लगाव का इजहार करने वाले एक राष्ट्रपति अब भी इस विचार से मोहित हैं कि व्यापार पर कर लगाने से अमेरिका में समृद्धि आएगी। अधिकतर आर्थिक विश्लेषणों में कहा गया है कि शुल्क से मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ेगा और आर्थिक विकास में कमी आएगी,
लेकिन ट्रंप ने करों का उपयोग प्रतिद्वंद्वियों और सहयोगियों दोनों पर अमेरिका की कूटनीतिक और वित्तीय शक्ति का प्रदर्शन करने के लिए किया है। उनका प्रशासन वादा कर रहा है कि आयात पर कर लगाने से व्यापार असंतुलन कम होगा, शुक्रवार को उनके द्वारा हस्ताक्षरित कानून से कर कटौती लागत में से कुछ की भरपाई होगी तथा अमेरिका में कारखानों में नौकरियों की वापसी होगी।
अमेरिका ने जवाबी शुल्क निलंबन एक अगस्त तक बढ़ाया; भारत को राहत
अमेरिका के जवाबी शुल्क के निलंबन को एक अगस्त तक बढ़ाने से भारतीय निर्यातकों को राहत मिलेगी। साथ ही भारत और अमेरिका को अंतरिम व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए लंबित मुद्दों को सुलझाने के वास्ते अतिरिक्त समय मिलेगा। ट्रंप प्रशासन ने सोमवार को विभिन्न देशों को ‘पत्र’ भेजे जिसमें उन देशों के उत्पादों पर अमेरिका द्वारा लगाए जाने वाले शुल्कों का ब्योरा है।
इन देशों में हालांकि भारत को शामिल नहीं किया गया। बांग्लादेश, बोस्निया एंड हर्जेगोविना, कंबोडिया, इंडोनेशिया, जापान, कजाकिस्तान, लाओ पीपुल्स डेमोक्रेटिक रिपब्लिक, मलेशिया, सर्बिया, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड और ट्यूनीशिया को ट्रंप द्वारा हस्ताक्षरित पत्र भेजे गए हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति ने एक अलग कार्यकारी आदेश में कई अन्य देशों पर बढ़ाए गए शुल्क को टालने की अवधि एक अगस्त तक बढ़ा दी है। शुल्क पर यह 90 दिवसीय निलंबन नौ जुलाई को समाप्त होना था। इस निर्णय पर टिप्पणी करते हुए निर्यातकों ने कहा कि जवाबी शुल्क लगाने को नौ जुलाई से एक अगस्त तक स्थगित करना अमेरिका की अपने व्यापारिक साझेदारों के साथ रचनात्मक रूप से जुड़ने की इच्छा को दर्शाता है। भारतीय निर्यात संगठन महासंघ (फियो) के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा, ‘‘ यह वार्ता के लिए एक विस्तारित अवसर प्रदान करता है, जिससे हमारे वार्ताकारों को शेष विवादास्पद मुद्दों को सुलझाने में मदद मिल सकती है।’’ उन्होंने कहा कि प्रस्तावित शुल्क में दायरे में करीब 12 देश आते हैं।
हालांकि यदि भारत इस महीने के अंत तक अमेरिका के साथ कम से कम वस्तुओं पर बीटीए (द्विपक्षीय व्यापार समझौता) को अंतिम रूप दे देता है तो तुलनात्मक रूप से अधिक फायदे में होगा। अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञ विश्वजीत धर ने कहा कि यह भारत के लिए राहत की बात है। उन्होंने कहा, ‘‘ मैं इसे राहत की बात मानता हूं और यह प्रतिक्रिया भारत द्वारा कुछ मुद्दों पर कड़ा रुख अपनाने के कारण आई है।’’
‘फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन’ (फियो) के अध्यक्ष एवं लुधियाना स्थित इंजीनियरिंग निर्यातक ने कहा कि हालांकि यह एक छोटी सी राहत है.. ‘‘ हमें और अधिक की उम्मीद है।’’ मुंबई स्थित निर्यातक एवं टेक्नोक्राफ्ट इंडस्ट्रीज (इंडिया) के संस्थापक शरद कुमार सराफ ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ‘‘बहुत अप्रत्याशित’’ व्यक्ति हैं।
सराफ ने कहा, ‘‘ शुल्क निलंबन की अवधि बहुत कम है। भारतीय निर्यातकों को निर्यात बढ़ाने के लिए नए बाजार तलाशने चाहिए।’’ भारत और अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने इस साल की शरद ऋतु (सितंबर-अक्टूबर) तक पहले चरण को पूरा करने का लक्ष्य रहा है।
अधिकारियों के अनुसार, भारत ने अंतरिम व्यापार समझौते पर अमेरिकी अधिकारियों के समक्ष अपना रुख पहले ही स्पष्ट कर दिया है और अब फैसला अमेरिका को करना है। वित्त वर्ष 2021-22 से अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा है। वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार 2024-25 में 131.84 अरब अमेरिकी डॉलर रहा था। इसमें 86.51 अरब डॉलर का निर्यात, 45.33 अरब डॉलर का आयात और 41.18 अरब डॉलर का व्यापार अधिशेष शामिल है।