बर्थडे स्पेशल:जब अमरीश पुरी को मनाने स्पीलबर्ग भी आए थे उनकी 'हवेली' पर, पढ़ें दिलचस्प बातें

By ऐश्वर्य अवस्थी | Updated: June 22, 2019 07:14 IST2019-06-22T07:14:07+5:302019-06-22T07:14:07+5:30

गोल्डन कलर का घुंघराला विग वह पहने, सुनहरी और काली एम्ब्रायडरी का जैकेट धारण करे अमरीश का मोगाम्बों का वो किरदार आज भी जिंदा है।

happy birthday amrish puri bollywood journy | बर्थडे स्पेशल:जब अमरीश पुरी को मनाने स्पीलबर्ग भी आए थे उनकी 'हवेली' पर, पढ़ें दिलचस्प बातें

बर्थडे स्पेशल:जब अमरीश पुरी को मनाने स्पीलबर्ग भी आए थे उनकी 'हवेली' पर, पढ़ें दिलचस्प बातें

खलनायक से नायक तक की भूमिका से दर्शकों के दिलों पर राज करने वाले अमरीश पुरी ने आज जन्मदिन है। उन्होंने एक बेहतरीन विलेन वाली जो लकीर सिने जगत में खींची थी उसको आज तक कोई पार नहीं कर पाया। के.एन.सिंह, प्रेमनाथ, प्राण, अमजद खान से शुरू होकर यह सिलसिला अमरीश पुरी पर आकर ठहर गया। इन हस्तियों ने खलनायक के स्तरीय एवं बहुआयामी चेहरे प्रस्तुत किए, जो आज हिन्दी सिनेमा में मानक बन गए हैं। 
 
बुलंद आवाज से बनाई पहचान
 
अमरीश पुरी देखने में कोई हैंडसम वाले विलेन नहीं थे, लेकिन अपनी ऊंची-पूरी कद-काठी और बुलंद आवाज के बल पर वह सबसे आगे निकल गए। उनकी गोल-गोल घूमती हुई आंखें सामने खड़े व्यक्ति के भीतर दहशत पैदा कर देती थी। उनका कसरती बदन फौलाद की तरह मजबूत दिखाई देता था। उनकी फिल्में आकर चली जाती थीं, मगर उनका किरदार दर्शकों को आज भी याद हैं।
 
यूं शुरू किया अमरीश ने सिने जगत का सफर 

22 जून 1932 को जन्मे अमरीश पुरी चरित्र अभिनेता मदन पुरी के छोटे भाई थे। बीस साल तक वह सरकारी नौकरी में रहे। अपनी क्रिएटिविटी के संतोष के लिए रंगमंच से जुड़ गए। पंडित सत्यदेव दुबे जैसे निर्देशकों के मार्गदर्शन में उन्होंने पचास से अधिक नाटकों में काम कर रंगकर्म के क्षेत्र में अपने को स्थापित किया। 1954 में उन्होंने फिल्मों में किस्मत आजमाने की कोशिश की थी, लेकिन फिल्म निर्माताओं ने 'क्रूड एंड हार्श फेस' कहकर उन्हें ठुकरा दिया। अमरीश ने थिएटर कर तथा विज्ञापनों में अपनी आवाज देकर संघर्ष जारी रखा।
 
चालीस पार का कमाल

जब अमरीश की उम्र चालीस की हो गई, तब उन्हें फिल्मों के ऑफर मिले। इस उम्र तक आते-आते कई कलाकार यह कहते पाए जाते हैं कि उनके खाते में दो दशक का अनुभव और फिल्में हैं। मगर किसे पता था कि कुछ बरस बीत जाने के बाद यही अभिनेता अपने मनपसंद रोल करेगा और खलनायकी की सबसे अधिक कीमत वसूलेगा। उन्होंने 40 पर जो कमाल किया वो आज भी कोई विलेन नहीं कर सकता है।

उनके लिए हॉलीवुड भी मुंबई आया

‘इंडियाना जोंस, टेंपल ऑफ डूम्स’ में उन्हें नरबलि देने वाले तांत्रिक मोलाराम के रोल में कास्ट करने के लिए स्पीलबर्ग को बहुत कुछ झेलना पड़ा था। स्पीलबर्ग अमरीश को ऑडीशन देने अमेरिका बुलाना चाहते थे, लेकिन  अमरीश का कहना था कि जिसे ऑडिशन करना हो वो मुंबई आए। जिसके बाद भी अमरीश सपीलबर्ग की फिल्म करने के इच्छुक नहीं थे, तो उनको मुंबई उनके घर की आखिरी में आना पड़ा था। ‘गांधी’ फिल्म के डायरेक्टर रिचर्ड एडनबरो की सिफारिश पर पुरी साहब ने ये फिल्म की थी।
 

 विलेन ही कमर्शिय फिल्मों में भी रहा योगदान

 उन्होंने फिल्म निशांत, मंथन तथा भूमिका जैसी फिल्में की और अपनी अभिनय प्रतिभा का लोहा मनवाया। गोविंद निहलानी की फिल्म अर्द्धसत्य में उन्होंने जानदार रोल किया।  कमर्शियल फिल्मों में अमरीश पुरी की पहचान फिल्म 'हम पांच' (1981) से बनी। इसके बाद फिल्म विधाता और हीरो ने उन्हें हीरो-विलेन बना दिया और उनकी बॉलीवुड में डिमांड बढ़ती चली गई। यहां तक आते हुए यह बता देना जरूरी है कि प्राण साहब की इमेज चरित्र-कलाकार में बदल गई थी। अमजद खान यानी गब्बरसिंह का जादू उतार पर था। 

 
लार्जर देन लाइफ मोगाम्बो

गोल्डन कलर का घुंघराला विग वह पहने, सुनहरी और काली एम्ब्रायडरी का जैकेट धारण करे अमरीश का मोगाम्बों का वो किरदार आज भी जिंदा है। सोने के सिंहासन पर बैठता है। बच्चों की फैंटेसी किताब से निकले किरदार की तरह अमरीश पुरी को सजधज के साथ परदे पर पेश किया गया, तो बच्चे-बड़े सभी उसे चाहने लगे। जब मिस्टर इण्डिया बने अनिल कपूर उसे पटाने की कोशिश करते हैं, तो मजाक बनाकर चेहरे पर चमक लाकर हाथों का संचालन करते अट्टहास करती हंसी के साथ वह बोलता है- मोगाम्बो खुश हुआ। 
 
टोपी पहनने के थे शौकीन 

शायद उनके चाहने वालों को ये नहीं पता नहीं होगा कि उनको टोपी पहने का बेहद शौक था। कहते हैं वह जब भी शूटिंग के लिए कहीं भी जाते थे तो वह टोपी जरूर खरीदते थे। 
 
नेगेटिव से पॉजिटिव

कुछ फिल्मों में अमरीश को पॉजिटिव रोल करने के मौके भी मिले। प्रियदर्शन की फिल्म मुस्कराहट में एक झक्की जज के रोल को उन्होंने कुछ इस अंदाज में जिया कि पूरी फिल्म में दर्शक मुस्कराते रहे। राजकुमार संतोषी की फिल्म 'घातक' में भी बीमार पिता का रोल उन्होंने बखूबी निभाया।  फूल और कांटे, दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, राम लखन, सौदागर, करण अर्जुन, घायल, गदर, दामिनी जैसी कई फिल्मों में उनकी मुख मुद्राएं, संवाद बोलने का अंदाज, बॉडी लैंग्वेज देखने लायक है। अमरीश का स्क्रीन प्रजेंस इतनी जबरदस्त होती थी कि दर्शक ठगे से रह जाते थे। 
 
 अमरीश की प्रमुख फिल्में

आक्रोश, अर्द्धसत्य, भूमिका, चाची 420, दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे, दामिनी, गर्दिश, गदर, घातक, घायल, हीरो, करण अर्जुन, कोयला, मंथन, मेरी जंग, मि. इण्डिया, मुस्कराहट, नगीना, फूल और कांटे, राम लखन, ताल, त्रिदेव, विधाता है।

Web Title: happy birthday amrish puri bollywood journy

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