शोभना जैन का कॉलमः विश्व मंच पर मर्यादाएं लांघता पाकिस्तान
By शोभना जैन | Updated: September 30, 2019 09:17 IST2019-09-30T09:17:37+5:302019-09-30T09:17:37+5:30
आम तौर पर ऐसे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में मीडिया और अन्य संबद्ध पक्ष की नजर इस बात पर होती है कि तल्खियों के बावजूद क्या दोनों देशों के शिखर नेताओं की नजरें कभी मिलेंगी, क्या कभी अनजाने में आमना-सामना होने पर दुआ सलाम होगी. लेकिन इस बार माहौल बिल्कुल अलग था.

शोभना जैन का कॉलमः विश्व मंच पर मर्यादाएं लांघता पाकिस्तान
भारत-पाक रिश्तों में बढ़ती तल्खियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. हाल ही के संयुक्त राष्ट्र महासभा अधिवेशन के बाद दोनों देश भले ही एक मंच पर रहे, लेकिन कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के भारत के ‘आंतरिक फैसले’ से बौखलाए पाक की हताशा पूरी आक्रामकता और तमाम कूटनीतिक मर्यादा इस दौरान पार करते दिखी.
आम तौर पर ऐसे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में मीडिया और अन्य संबद्ध पक्ष की नजर इस बात पर होती है कि तल्खियों के बावजूद क्या दोनों देशों के शिखर नेताओं की नजरें कभी मिलेंगी, क्या कभी अनजाने में आमना-सामना होने पर दुआ सलाम होगी. लेकिन इस बार माहौल बिल्कुल अलग था. इस मंच से हताश पाकिस्तान ने जिस तरह से भाषा-बोली, व्यवहार किया उससे तल्खियां और भी बढ़ीं. चीन और तुर्की को छोड़ कर लगभग सभी देशों ने माना कि पांच अगस्त का कश्मीर को लेकर किया गया फैसला भारत का आंतरिक मामला है.
संयुक्त राष्ट्र महासभा के अधिवेशन के दौरान पाकिस्तानी प्रधानमंत्नी इमरान खान इस कदर हताश थे कि उन्होंने अपने देश में अल्पसंख्यकों पर ढाई जा रही ज्यादतियों की अनदेखी करते हुए भारत पर कश्मीर में खूनखराबा, जनसंहार जैसे आरोप लगा दिए. उन्होंने दोनों देशों के परमाणु ताकत होने की धमकी देकर दुनिया में दोनों के बीच युद्ध होने की स्थिति में भय व्याप्त करने की फिर कोशिश की.
पाकिस्तान के विदेश मंत्नी इस मौके पर यूएन में अलग से होने वाली दक्षेस विदेश मंत्रियों की परंपरागत बैठक में कूटनीतिक मर्यादाओं को तिलांजलि देते हुए बैठक से दूर रहे. लेकिन इसके विपरीत प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी ने महासभा की बैठक में आतंक पर करारा हमला किया और विश्व बिरादरी से आतंक से मिल कर एकजुटता से निपटने का आह्वान किया.
इमरान खान के भारत पर सीधे आरोप लगाने के उलट उन्होंने अपनी सरकार की उपलब्धियों के साथ ग्लोबल वार्मिग, प्लास्टिक से पर्यावरण को पहुंचते नुकसान जैसी विश्व समस्याओं और इनसे निपटने के लिए अपनी सरकार की पहल और उपलब्धियों की चर्चा की. कुल मिलाकर इसे पाकिस्तान की हार और भारत की कूटनीतिक जीत माना जा सकता है.