...तो क्या केजरीवाल ने एक महीने पहले से तय किए थे राज्यसभा उम्मीदवारों के नाम?
By आदित्य द्विवेदी | Updated: January 4, 2018 10:03 IST2018-01-04T10:01:26+5:302018-01-04T10:03:42+5:30
राज्यसभा के लिए आम आदमी की ओर से कुमार विश्वास और आशुतोष प्रबल दावेदार माने जा रहे थे लेकिन...

...तो क्या केजरीवाल ने एक महीने पहले से तय किए थे राज्यसभा उम्मीदवारों के नाम?
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया नए साल की छुट्टियां मनाने गए थे। छुट्टियों से लौटते ही केजरीवाल के घर पर आम आदमी पार्टी पीएसी की बैठक हुई। इस बैठक के समापन के साथ ही पिछले कुछ महीनों से राज्यसभा उम्मीदवारों के नाम पर जारी ऊहा-पोह का अंत हो गया। आम आदमी पार्टी ने राज्यसभा के लिए तीन नामों की घोषणा की है- संजय सिंह, सुशील गुप्ता और नारायण दास गुप्ता। सुशील गुप्ता अरबपति व्यापारी हैं, एनडी गुप्ता चार्टर्ड एकाउंटेंट और संजय सिंह आप कार्यकर्ता। कुमार विश्वास और आशुतोष जैसे पुराने पार्टी कार्यकर्ता भी प्रबल दावेदार माने जा रहे थे लेकिन इन्हें दरकिनार किया गया। ऐसे में दोनों 'गुप्ताओं' को राज्यसभा भेजे जाने के फैसले पर कई सवाल उठने शुरू हो गए हैं।
केजरीवाल ने एक महीने पहले ही तय कर लिए थे नाम?
कांग्रेस पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन ने बुधवार को एक ट्वीट करके पीएसी की बैठक को ड्रामा करार देने की कोशिश की। अजय माकन का ट्वीट नवंबर में कांग्रेस छोड़कर आम आदमी पार्टी ज्वॉइन करने वाले सुशील गुप्ता के बारे में था। अजय माकन ने लिखा,
‘28 नवंबर को सुशील गुप्ता मेरे पास अपना इस्तीफा लेकर पहुंचे। मैंने पूछा ये क्यों? उन्होंने कहा कि सर जी मुझे राज्यसभा भेजने का वादा किया है। मैंने कहा- संभव नहीं है। उसने जवाब दिया सर, आप नहीं जानते। 40 दिन से भी कम समय में सबकुछ साफ हो गया। बाकी सुशील अच्छे आदमी हैं और अपनी चैरिटी के लिए जाने जाते हैं।’
On 28th Nov, Sushil Gupta came to submit his resignation-
— Ajay Maken (@ajaymaken) January 3, 2018
I asked him-“Why”?
“सर,मुझे राज्य सभा का वायदा करा है”-was his answer!
“संभव नहीं”-I smiled
“सर आप नहीं जानते..”-He smiled
Less than 40 days-Less said the better!
Otherwise,Sushil is a good man known for his charity! pic.twitter.com/DgrYhVaFJA
माकन का ट्वीट साफ तौर पर इशारा कर रहा है कि सुशील गुप्ता को राज्यसभा में भेजने के वादे के साथ पार्टी में शामिल करवाया गया था। तो क्या पीएसी की बैठक एक ड्रामा थी और केजरीवाल पहले ही नाम तय कर चुके थे?
आम आदमी पार्टी की सफाईः मनीष सिसोदिया ने बताया कि पार्टी के भीतर 18 नामों पर चर्चा हुई फिर 11 नामों पर गंभीरता से बात की गई। लेकिन किसी न किसी कारण से संजय सिंह को छोड़कर किसी अन्य नाम पर सहमति नहीं बन पाई। इस बैठक में संजय सिंह और कुमार विश्वास को नहीं बुलाया गया था। क्योंकि कुमार विश्वास ने राज्यसभा जाने के अपना दावा ठोका था और संजय सिंह के नाम पर चर्चा होनी थी।
राज्यसभा सीट के लिए हुई पैसे की डील?
आम आदमी पार्टी पीएसी बैठक के बाद मनीष सिसोदिया ने जैसे ही राज्यसभा उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया, प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। अरविंद केजरीवाल के पुराने साथी योगेंद्र यादव ने ट्वीट किया,
‘पिछले तीन साल में मैंने ना जाने कितने लोगों को कहा कि अरविंद केजरीवाल में और जो भी दोष हों, कोई उसे ख़रीद नहीं सकता। इसीलिए कपिल मिश्रा के आरोप को मैंने ख़ारिज किया। आज समझ नहीं पा रहा हूँ कि क्या कहूँ? हैरान हूँ, स्तब्ध हूँ, शर्मसार भी।’
उन्होंने एक सवाल के जवाब में ये ट्वीट किया जिसमें पूछा गया था कि राज्यसभा के लिए सुशील गुप्ता का चयन क्यों किया गया?
पिछले तीन साल में मैंने ना जाने कितने लोगों को कहा कि अरविंद केजरीवाल में और जो भी दोष हों, कोई उसे ख़रीद नहीं सकता। इसीलिए कपिल मिश्रा के आरोप को मैंने ख़ारिज किया। आज समझ नहीं पा रहा हूँ कि क्या कहूँ? हैरान हूँ, स्तब्ध हूँ, शर्मसार भी। https://t.co/KIhc8P56Ka
— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) January 3, 2018
आम आदमी पार्टी से निष्कासित कपिल मिश्रा ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा कि केजरीवाल के लिए ना बाप बड़ा ना भैया, सबसे बड़ा रुपैया है। उन्होंने पैसे के लिए सीटें बेच दी हैं।
आम आदमी पार्टी की सफाईः सुशील गुप्ता के दिल्ली और खासतौर से हरियाणा में 25-30 स्कूल, कॉलेज और अस्पताल हैं. बीते काफ़ी समय से वो शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में काम कर रहे हैं और चैरिटी भी कर रहे हैं। नारायणदास गुप्ता पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं और चार्टर्ड अकाउंटेंट की सबसे बड़ी संस्था इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ इंडिया के पूर्व प्रेसिडेंट हैं। संजय सिंह पार्टी के सबसे जुझारू और शुरुआती कार्यकर्ता हैं। आप ने इन प्रत्याशियों को योग्य और उपयुक्त ठहराया है।
Final Comment: कुमार विश्वास आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य और एक कुशल राजनीतिक वक्ता हैं। राज्यसभा में आम आदमी पार्टी का प्रतिनिधित्व करने में सक्षम भी। कई सार्वजनिक मंचों ने उन्होंने सदन में जाने की इच्छा जाहिर की थी इसके बावजूद पार्टी के फैसले पर भरोसा जताया था। कुमार विश्वास के सामने किसी ऐसे शख्स को तरजीह देना जो एक महीने पहले किसी दूसरी पार्टी से कूद कर आया हो, नाइंसाफी है।