रोहित कौशिक का ब्लॉग: 25 साल से धरने पर बैठे गांधीवादी सत्याग्रही की सुध कौन लेगा?

By रोहित कौशिक | Published: February 26, 2021 03:46 PM2021-02-26T15:46:14+5:302021-02-26T16:04:43+5:30

मास्टर विजय सिंह 26 फरवरी 1996 से भ्रष्टाचार और भू-माफिया के खिलाफ मुजफ्फरनगर में धरने पर बैठे हैं. आज इसके 25 साल पूरे हो चुके हैं।

vijay singh movement in muzaffarnagar against land mafia completes 25 years | रोहित कौशिक का ब्लॉग: 25 साल से धरने पर बैठे गांधीवादी सत्याग्रही की सुध कौन लेगा?

मुजफ्फरनगर में मास्टर विजय सिंह का 25 सालों से जारी धरना (फोटो- फेसबुक)

महात्मा गांधी ने सत्याग्रह को सर्वोपरि बल बताया है. सत्याग्रह के बल से ही गांधीजी ने अंग्रेजों की सत्ता उखाड़ फेंकी थी. सत्याग्रह के बल के अलावा मास्टर विजय सिंह के पास कोई बल नहीं है. 

सत्याग्रह के इस बल के आधार पर ही वे पिछले 25 वर्षो से मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) में भूमाफियाओं के खिलाफ धरने पर बैठे हुए हैं. पूंजीवाद के इस दौर में सत्याग्रह की शक्ति ही उन्हें आत्मबल प्रदान कर रही है. 

सत्याग्रह के लिए जो हिम्मत और बहादुरी चाहिए, वह मास्टर विजय सिंह में कूट-कूट कर भरी है. इसी सत्याग्रह की शक्ति के आधार पर वे सामाजिक हित हेतु बड़े-बड़े भूमाफिया से टक्कर ले रहे हैं. सत्याग्रह में निजी कुछ नहीं होता है. 

इसलिए मास्टर विजय सिंह ने समाज के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया. वे चाहते तो सुखी गृहस्थ जीवन जी सकते थे. समाज के लिए उन्होंने अपने घर-परिवार के विरोध को भी दरकिनार कर दिया. लेकिन उत्तर प्रदेश की विभिन्न सरकारों ने इस अहिंसावादी आंदोलन पर कोई ध्यान नहीं दिया.

भ्रष्टाचार और भू-माफिया के खिलाफ 25 साल का आंदोलन

यह दुर्भाग्यपूर्ण ही है कि मास्टर विजय सिंह 25 वर्षो से भ्रष्टाचार और भू-माफिया के विरुद्ध गांधीवादी तरीके से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं, लेकिन उन्हें लगभग दो साल पहले गांधी के 150वें जयंती वर्ष में यह तोहफा मिला कि मुजफ्फरनगर की जिलाधिकारी ने उन्हें कचहरी से उठने का फरमान सुना दिया. 

अब मुजफ्फरनगर के शिव चौक पर मास्टरजी का धरना जारी है लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. योगी सरकार से पहले उत्तर प्रदेश में सपा सरकार बनने के बाद 30 मार्च 2012 को उन्होंने मुजफ्फरनगर से लखनऊ तक पदयात्र शुरू की. 

भू-माफिया के अत्याचार एवं भ्रष्टाचार के विरुद्ध निकाली गई यह पदयात्र छह सौ किमी चलकर लखनऊ पहुंची. इस पदयात्र के माध्यम से मास्टर विजय सिंह ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध अपने संघर्ष की कहानी पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को सुनाई. 

अखिलेश यादव ने इतने लंबे गांधीवादी सत्याग्रह का सम्मान करते हुए मास्टरजी के गांव चौसाना तथा प्रदेश की सभी संपत्तियों पर किए गए अवैध कब्जों को मुक्त कराने के लिए अधिकारियों को आदेश दिए. मुख्यमंत्री का कहना था कि यह भूमि गरीब एवं वास्तविक रूप से जरूरतमंदों को वितरित की जाएगी. 

इस प्रक्रिया के तहत डॉ. एस.एस. सिंह समेत दो अन्य अधिकारियों की एक समिति गठित की गई. लेकिन यह समिति न तो मौके पर गई और न इसके द्वारा कोई जांच की गई.

मास्टर विजय सिंह के संघर्ष की कहानी 

उत्तर प्रदेश के शामली जनपद के चौसाना गांव निवासी मास्टर विजय सिंह को जब यह पता चला कि गांव सभा की लगभग चार हजार बीघा जमीन पर कुछ दबंगों ने अवैध रूप से कब्जा किया हुआ है तो वे बहुत दुखी और निराश हुए. 

अंतत: दु:खी और निराश मन में ही संघर्ष का जज्बा पैदा हुआ. मास्टरजी ने और जांच-पड़ताल की तो पता चला कि इस जमीन पर कानूनी रूप से अवैध कब्जा किया गया है. इस कार्य में ग्राम प्रधान और जनपद के राजस्व अधिकारियों की मदद ली गई है. 

इन लोगों द्वारा मिलकर लगभग 130 लोगों के नाम जमीन के पट्टे तथा फर्जी प्रविष्टियां कर दी गईं. ऐसा नहीं है कि इनमें सभी प्रविष्टियां फर्जी थीं, इनमें कुछ ऐसे लोग भी थे जिन्हें वास्तविक रूप से जमीन की जरूरत थी. जरूरतमंदों की आड़ में 70 फर्जी लोगों ने भी अवैध रूप से पट्टे काटकर जमीन हथिया ली. 

ये लोग पहले से ही कई बीघा जमीन के मालिक थे. कई दूसरे गांवों के लोग भी इस फर्जीवाड़े में शामिल थे.

अंतत: उन्होंने शिक्षक पद से त्यागपत्र दे दिया और भ्रष्टाचार तथा अवैध कब्जों के खिलाफ एक लंबी जंग छेड़ दी. शासन एवं प्रशासन के रवैये से आहत होकर मास्टर विजय सिंह को 26 फरवरी 1996 को जिलाधिकारी कार्यालय, मुजफ्फर नगर में धरने पर बैठना पड़ा. 

दुनिया के सबसे लंबे एकल व्यक्ति के धरने का रिकॉर्ड

आज 26 फरवरी को इस धरने को 25 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं. विश्व के सबसे लंबे एकल व्यक्ति के धरने के रूप में यह धरना लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स तथा एशिया बुक ऑफ रिकॉर्डस समेत कई अन्य रिकॉर्ड्स में दर्ज हो चुका है.

मास्टर विजय सिंह का कहना है कि उनका उद्देश्य इस धरने को किसी रिकार्ड में दर्ज कराना नहीं है बल्कि वंचितों के हक में अपनी आवाज बुलंद करना है. जब तक ग्रामीणों की जमीन दबंगों से मुक्त नहीं हो जाती और इसका लाभ वंचितों को नहीं मिल जाता, तब तक उनका धरना जारी रहेगा.

Web Title: vijay singh movement in muzaffarnagar against land mafia completes 25 years

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