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ये तो वाकई बड़ी शानदार पहल है

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: August 8, 2025 07:16 IST

यदि सीधे तौर पर उपयोग न भी कर पाएं तो इस बात पर ध्यान दें कि क्या कहीं उन चीजों का फिर से उपयोग हो सकता है.

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महाराष्ट्र सरकार ने एक ऐसा शानदार निर्णय लिया है, जिसकी जितनी तारीफ की जाए, कम है. योजना यह है कि स्थानीय निकायों की ओर से जिन बच्चों को पुस्तकें और कापियां नि:शुल्क दी जाती हैं, उनसे पुरानी किताबें और कॉपियां वापस ली जाएं, उनका रीसाइक्लिंग किया जाए और फिर उनसे कागज तैयार करके उन्हें किताबों और कॉपियों के रूप में परिवर्तित कर दिया जाए. और वही किताब बच्चों को नि:शुल्क दे दी जाए.

इससे सरकार को नई किताबों और कॉपियों के लिए जो नया कागज खरीदना पड़ता है, उससे राहत मिलेगी. हो सकता है कि कुछ कागज खरीदना भी पड़े लेकिन अच्छी बात यह है कि पुरानी किताबों और कॉपियों का फिर से उपयोग हो सकेगा. यानी सरकार को कम खर्च करना पड़ेगा लेकिन इससे महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकार की इस पहल से पर्यावरण को बहुत फायदा होने वाला है.

जिन चीजों से कागज का निर्माण होता है, उसमें लकड़ी के रेशों और पौधों के अन्य हिस्सों का उपयोग होता है. यदि हम कागज की रीसाइक्लिंग करते हैं तो पेड़ काटने की हमारी जरूरतें कम होंगी. निजी तौर पर कागजों के उपयोग की पहल कई स्तरों पर होती रही है. कागज बनाने वाली कंपनियां कोशिश करती हैं कि उत्पाद उन्हें वापस मिल जाए तो वे उसी उपयोग किए गए कागज से नया कागज तैयार करें. कागज की कई फैक्टरीज इस तरह रीसाइक्लिंग का प्रशंसनीय काम कर भी रही हैं मगर सरकारी स्तर पर पढ़ाई के क्षेत्र में इस तरह का प्रयोग महाराष्ट्र में संभवत: पहली बार हो रहा है.

दरअसल हमें हर क्षेत्र में यह प्रवृत्ति अपनानी होगी ताकि पर्यावरण पर जो बुरा असर पड़ रहा है, उससे निपटा जा सके. अमूमन हम उपयोग की गई चीजों को फेंक देते हैं. फेंक देने की यह प्रवृत्ति ठीक नहीं है. ध्यान यह देना चाहिए कि हम उन चीजों का फिर से उपयोग कैसे कर सकते हैं. यदि सीधे तौर पर उपयोग न भी कर पाएं तो इस बात पर ध्यान दें कि क्या कहीं उन चीजों का फिर से उपयोग हो सकता है.

यदि  जीवन के हर क्षेत्र में इस तरह की सोच पैदा हो जाए तो इसका बहुत बड़ा लाभ मिल सकता है. जिस तरह के प्रयोग कचरा प्रबंधन के लिए किए जा रहे हैं, उसी तरह के प्रयोग बाकी क्षेत्रों में भी किए जाने चाहिए. इसके लिए न केवल सरकार बल्कि आम आदमी को भी पहल करनी होगी

टॅग्स :महाराष्ट्रदेवेंद्र फड़नवीसएजुकेशन
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