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एसआईआर पर लटकी सुप्रीम कोर्ट की तलवार

By शशिधर खान | Updated: October 15, 2025 07:22 IST

14 नवंबर को नतीजे आ जाएंगे और 16 नवंबर तक चुनाव प्रक्रिया पूरी हो जाएगी.

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बिहार एसआईआर पर विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया के दौरान वोट डालने के अधिकार से वंचित लोगों का भविष्य अभी अधर में लटका है. निर्वाचन आयोग ने चुनाव कार्यक्रम के ऐलान से पहले 30 सितंबर को जो मतदाता सूची जारी की, उनमें से 3.66 लाख नाम हटा दिए गए. अब यह सुप्रीम कोर्ट को तय करना है कि वोटर लिस्ट से हटाए गए इतने लोगों को मतदाता माना जाए अथवा नहीं.

अंतिम मतदाता सूची जारी करने के बाद निर्वाचन आयोग की टीम ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के नेतृत्व में पटना जाकर चुनाव तैयारियों का जायजा लिया और 6 अक्तूबर को चुनाव कार्यक्रम का ऐलान कर दिया. बिहार में 6 नवंबर और 11 नवंबर को दो चरणों में मतदान होना है.

14 नवंबर को नतीजे आ जाएंगे और 16 नवंबर तक चुनाव प्रक्रिया पूरी हो जाएगी. दोनों चरणों के मतदान की अधिसूचना जारी हो चुकी है. इस बात को ध्यान में रखकर सुप्रीम कोर्ट स्पेशल इन्वेस्टिगेटिव रिवीजन (एसआईआर) प्रक्रिया पर जल्दी-जल्दी सुनवाई कर रहा है ताकि मतदान शुरू होने से पहले वंचित मतदाताओं की भागीदारी पर संशय का समाधान निकल आए.

6 अक्तूबर को निर्वाचन आयोग ने चुनाव तारीखों का ऐलान किया और 7 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने निर्वाचन आयोग से कहा कि एसआईआर के बाद तैयार अंतिम मतदाता सूची से बाहर रखे गए 3.66 लाख मतदाताओं का विवरण पेश करे.  

इसके लिए सिर्फ एक दिन का समय दिया. शीर्ष अदालत ने कहा कि अंतिम सूची में जो नए मतदाताओं के नाम जोड़े गए हैं, वे उन मतदाताओं की सूची से हैं, जिन्हें ड्राफ्ट सूची से बाहर कर दिया गया था अथवा ये नए नाम हैं. इससे भ्रम की स्थिति पैदा हुई है.

अंतिम सूची में मतदाताओं की संख्या देखने से ऐसा लगता है कि ड्राफ्ट सूची में बढ़ोत्तरी हुई है. इस संशय को स्पष्ट करने के लिए जोड़े गए नए नाम की पहचान उजागर होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट पीठ ने कहा कि चुनाव आयोग किसी मतदाता का नाम अगर सूची से हटा रहा है, जो उसके लिए नियम 21 और मानक परिचालन प्रक्रिया (एसओपी - स्टैंडर्ड ऑपरेशन प्रोसिजियर) का पालन किया जाना चाहिए .  

चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़े के अनुसार अंतिम सूची में मतदाताओं की संख्या लगभग 47 लाख घटकर 7.42 करोड़ रह गई है, जबकि एसआईआर से पहले यह संख्या 7.89 करोड़ थी.

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