लाइव न्यूज़ :

आवारा कुत्तों के आतंक को रोकने की चुनौती

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: August 12, 2025 07:11 IST

सचमुच यह चौंकाने वाला है. आवारा कुत्तों को खाना खिलाने तथा इसका विरोध करने वालों के मामले में भी दर्जनों केस हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचे हैं.

Open in App

किरण चोपड़ा

दिल्ली में आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ता ही जा रहा है तथा कुत्तों के काटने से लोगों के दिलों में खौफ बढ़ रहा है. दिल्ली के अलावा देश के अनेक राज्यों के बड़े शहरों में कुत्तों के नागरिकों पर हमले से हुई मौतों से लोग चिंतित हैं.  पिछले दिनों आवारा कुत्तों के हमलों और रेबीज के बढ़ रहे मामलों पर एक अखबार की मीडिया रिपोर्ट सामने आई, जिस पर सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने स्वतः संज्ञान ले लिया है. पीठ ने बताया कि इस रिपोर्ट में कई चिंताजनक और परेशान करने वाले आंकड़े और तथ्य हैं.

इसमें यह भी जानकारी दी गई है कि शहरों और ग्रामीण इलाकों में हर रोज कुत्तों के काटने की सैकड़ों घटनाएं सामने आ रही हैं, जिसमें बुजुर्ग और बच्चे रेबीज से होने वाली बीमारियों का शिकार बन रहे हैं. पीठ ने कहा है कि इस रिपोर्ट को प्रधान न्यायाधीश के सामने पेश किया जाएगा. सड़कों के दोनों ओर कुत्तों के झुंड वाहनों के पीछे भागते हैं तो दुर्घटनाएं भी हो रही हैं. कुत्तों के हमले से बचने का समाधान भी खोजना बहुत जरूरी है.

पिछले दिनों 22 जुलाई को सरकार ने लोकसभा में एनसीडीसी की एक रिपोर्ट को सामने रखा था. केंद्रीय मंत्री एस.पी. सिंह बघेल ने लिखित तौर पर जानकारी दी कि 2024 में कुत्तों के काटने के कुल 37,17,336 मामले सामने आए और रेबीज के कारण हुई संदिग्ध 54 मौतें दर्ज की गईं. सचमुच यह चौंकाने वाला है. आवारा कुत्तों को खाना खिलाने तथा इसका विरोध करने वालों के मामले में भी दर्जनों केस हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचे हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो नागरिक आवारा कुत्तों को खाना खिलाना चाहते हैं, उन्हें अपने घरों के भीतर ऐसा करने पर विचार करना चाहिए. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी माना कि कानून के अनुसार आवारा कुत्तों की रक्षा की जानी चाहिए, लेकिन प्रशासन को आम लोगों की चिंता को भी ध्यान में रखना होगा, ताकि सड़क पर चलने-फिरने में कुत्तों के हमलों से बाधा न आए.

संविधान की बात करें तो अनुच्छेद 243(डब्ल्यू) नगर पालिकाओं को आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने का आदेश देता है. वहीं, अनुच्छेद 51ए (जी) के तहत नागरिकों का मौलिक कर्तव्य है कि वे ‘जीवित प्राणियों के प्रति करुणा का भाव’ रखें. इसी कड़ी में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत बनाए गए पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023 का उद्देश्य बंध्याकरण के माध्यम से आवारा कुत्तों की संख्या को नियंत्रित करना और टीकाकरण द्वारा रेबीज के प्रसार को रोकना है.

इतना ही नहीं इन नियमों में सामुदायिक जानवरों को भोजन देने की व्यवस्था भी की गई है, जिसमें रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशंस या स्थानीय निकायों को इसकी जिम्मेदारी दी गई है. कुल मिलाकर कुत्तों के आतंक पर चिंता नहीं, उपाय किए जाने चाहिए, तभी दिल्ली व अन्य शहरों में लोग सुरक्षित रह सकेंगे.

टॅग्स :दिल्लीसुप्रीम कोर्ट
Open in App

संबंधित खबरें

कारोबारPetrol Diesel Price Today: संडे मॉर्निंग अपडेट हो गए ईंधन के नए दाम, फटाफट करें चेक

भारतPariksha Pe Charcha 2026: 11 जनवरी तक कराएं पंजीकरण, पीएम मोदी करेंगे चर्चा, जनवरी 2026 में 9वां संस्करण

भारतIndiGo Crisis: इंडिगो ने 5वें दिन की सैकड़ों उड़ानें की रद्द, दिल्ली-मुंबई समेत कई शहरों में हवाई यात्रा प्रभावित

क्राइम अलर्टDelhi: जाफराबाद में सड़क पर झड़प, गोलीबारी के बाद 3 गिरफ्तार

भारतIndiGo Flights Cancelled: इंडिगो ने दिल्ली से सभी फ्लाइट्स आज रात तक की बंद, यात्रियों के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी

भारत अधिक खबरें

भारतGoa Fire: गोवा नाइट क्लब आग मामले में पीएम ने सीएम सावंत से की बात, हालातों का लिया जायजा

भारतटीचर से लेकर बैंक तक पूरे देश में निकली 51,665 भर्तियां, 31 दिसंबर से पहले करें अप्लाई

भारतगोवा अग्निकांड पर पीएम मोदी और राष्ट्रपति ने जताया दुख, पीड़ितों के लिए मुआवजे का किया ऐलान

भारतGoa Fire Accident: अरपोरा नाइट क्लब में आग से 23 लोगों की मौत, घटनास्थल पर पहुंचे सीएम सावंत; जांच के दिए आदेश

भारतगोवा के नाइट क्लब में सिलेंडर विस्फोट में रसोई कर्मचारियों और पर्यटकों समेत 23 लोगों की मौत