शोभना जैन का ब्लॉग: क्या कोरोना कर सकता है सार्क को सक्रिय?

By शोभना जैन | Updated: March 21, 2020 07:01 IST2020-03-21T07:01:44+5:302020-03-21T07:01:44+5:30

भारत ने कहा है कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए प्रधानमंत्नी द्वारा प्रस्तावित आपात दक्षेस कोष की शुरुआत हो गई है और मदद के लिए भूटान और मालदीव की ओर से इससे निपटने के लिए भारत को अनुरोध प्राप्त हुए हैं, इसमें जांच उपकरण और अन्य प्रकार की बचाव सामग्री शामिल हैं, जबकि अन्य दक्षेस देशों से आग्रह विभिन्न चरणों और प्रक्रियाओं में है.

Shobhana Jain blog: Can Coronavirus activate SAARC? | शोभना जैन का ब्लॉग: क्या कोरोना कर सकता है सार्क को सक्रिय?

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)

प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी की गत सप्ताह की पहल से वर्षो से ठप पड़े ‘दक्षेस शिखर’ के  दौर को एक तरह से ‘फिर से सक्रिय’ करने की दिशा में एक शुरुआत होती सी लगी. हालांकि यह पहल दुनिया भर में फैलती कोरोना महामारी से सार्क (दक्षेस) देशों के साथ साझा तौर पर एकजुटता से निपटने के बारे में थी. इस पहल बतौर उन्होंने दक्षेस के आठ सदस्य देशों के शासनाध्यक्षों के साथ वीडियों कॉन्फ्रेंस के जरिये  कोरोना वायरस से एकजुटता से निपटने को लेकर एक साझी रणनीति बनाने के बारे में विचार विमर्श किया.

इस कान्फ्रेंस में पीएम ने  दक्षेस देशों के साथ मिल कर इस महामारी से निपटने संबंधी कुछ प्रस्तावों के साथ-साथ भारत की तरफ से एक करोड़ डॉलर का दक्षेस आपतकालीन कोष बनाए जाने की घोषणा की. पाकिस्तान को छोड़कर दक्षेस के सभी सदस्य देशों अफगानिस्तान, भूटान, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल और मालदीव - के शासनाध्यक्षों ने इस वीडियो वार्ता में हिस्सा लेकर इस महामारी से  एकजुट होकर निपटने पर सहमति जाहिर की.

हालांकि पाकिस्तान के प्रधानमंत्नी इमरान खान को भी इस वीडियो वार्ता में शामिल होने का न्यौता भेजा गया लेकिन पाकिस्तान ने अपने पुराने रवैये के अनुरूप इस बैठक में अपने स्वास्थ्य राज्य मंत्नी जफर मिर्जा को भेजा और उन्होंने बैठक में इस नाजुक घड़ी में भी कश्मीर के तथाकथित लॉकडाउन का राग अलापा.

पीएम मोदी की पहल पर सार्क देशों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान पाकिस्तान ने जिस तरह से कश्मीर का मुद्दा उठाया उसको लेकर भारत ने उसकी कड़ी भर्त्सना की. विदेश मंत्नालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने वीडियो-कॉन्फ्रेंस में पाकिस्तान द्वारा कश्मीर मुद्दा उठाए जाने पर कहा कि इतने बड़े पैमाने पर आई आपदा में सीमाओं का बंधन नहीं है, इसी भावना से प्रधानमंत्नी ने कोरोना वायरस पर दक्षेस वीडियो कॉन्फ्रेंस का आह्वान किया था.

भारत ने कहा है कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए प्रधानमंत्नी द्वारा प्रस्तावित आपात दक्षेस कोष की शुरुआत हो गई है और मदद के लिए भूटान और मालदीव की ओर से इससे निपटने के लिए भारत को अनुरोध प्राप्त हुए हैं, इसमें जांच उपकरण और अन्य प्रकार की बचाव सामग्री शामिल हैं, जबकि अन्य दक्षेस देशों से आग्रह विभिन्न चरणों और प्रक्रियाओं में है.

निश्चय ही 35 वर्ष पूर्व बना दक्षेस का, पाकिस्तान के भारत के प्रति नकारात्मक सोच की वजह से  ‘टेक ऑफ’ नहीं हो पा रहा है. सार्क का प्रगति ग्राफ काफी कुछ एक कदम आगे तो दो कदम पीछे कहा जाए तो गलत नहीं होगा. और इसके मूल में पाकिस्तान का भारत के प्रति नकारात्मक रवैया ही रहा. यह संगठन  एक मजबूत क्षेत्नीय माध्यम है. इसलिए इसको फिर नए सिरे से सक्रिय करना समय की मांग है. अगर भारत की यह पहल इस संभावना की ओर सार्क को ले जा पाती है तो निश्चित रूप से क्षेत्न के लिए हितकारी होगा गौरतलब है कि 15 से 16 नवंबर 2016 को इस्लामाबाद में सार्क शिखर सम्मेलन होना था, मगर इसके पहले सितंबर 2016 में उड़ी में आतंकी हमला हुआ.

पाक की शह पर हुए हमले का नतीजा यह निकला कि 19वें सार्क सम्मेलन का बहिष्कार कर दिया गया. यह पाकिस्तान के लिए असहज  स्थिति  बनी जबकि अफगानिस्तान, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका और मालदीव ने सार्क सम्मेलन का बहिष्कार कर दिया था. नेपाल को चूंकि तत्कालीन चेयर की जिम्मेदारी पाकिस्तान को सौंपनी थी, इसलिए वह इस प्रकरण में चुप सा रहा. ‘सार्क’ के अब तक 18 शिखर सम्मेलन हो चुके हैं. इस्लामाबाद में तीसरी बार सार्क का 19वां शिखर सम्मेलन होना था. भारत की सीमाओं से सटी सार्क देशों की सीमाओं की बात करें तो देश के कुछ राज्यों को छोड़ दें तो किसी न किसी रूप में बाहरी देशों से हमारी सीमाएं मिलती हैं. चीन, पाकिस्तान, भूटान, म्यांमार, अफगानिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश को छूने वाली सीमाएं, और फिर पाकिस्तान, मालदीव, श्रीलंका, इंडोनेशिया, म्यांमार, बांग्लादेश और थाईलैंड की सीमाओं को छूती समुद्री सीमाएं.

यह भी अहम है कि एक दूसरे की सरहदों से जुड़े देशों में महामारी को लेकर इस क्षेत्न के देशों की तैयारी भी सीमित है. सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली सभी जगह नाकाफी या यूं कहें लड़खड़ा रही है. ऐसे में एक-दूसरे के साथ आपसी सहयोग से निश्चय ही  बेहतर तरीके  से निपटा  जा सकता है. यह देखना होगा कि भारत की इस सकारात्मक पहल के बाद दक्षेस देशों के बीच आपसी सहयोग कैसा होता है, वे सभी आगे कैसे बढ़ते हैं. इसका सदस्य देश पाकिस्तान क्या भारत के साथ 36 के आंकड़े को ठीक करने की इच्छा शक्ति दिखाता है? पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ आतंकवाद लगातार जारी रखने से भारत साफ तौर पर कह चुका है कि आतंक और वार्ता साथ-साथ नहीं चल सकते. इसी के चलते दोनों देशों के बीच अनौपचारिक बातचीत भी बंद है. देखना होगा कि क्या इस पहल से एक ऐसा सिलसिला शुरू होता है जिससे ठंडे बक्से में पड़ा सार्क भी  धीरे-धीरे सक्रि य हो सके.

Web Title: Shobhana Jain blog: Can Coronavirus activate SAARC?

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