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सचिन तेंदुलकर का ब्लॉगः बचपन संवारें तो 2050 तक देश बनेगा महाशक्ति

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: August 15, 2019 06:09 IST

बच्चों के विकास में निवेश करना सर्वोत्तम है और इससे देश के आर्थिक विकास को गति मिल सकती है, शांतिपूर्ण  और शाश्वत समाज को बढ़ावा मिल सकता है तथा अत्यधिक गरीबी और असमानता को खत्म किया जा सकता है.

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सचिन तेंदुलकरदिग्गज क्रिकेटर 

आज हम आजादी मिलने के 72 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहे हैं. 15 अगस्त 1947 से बाद से हम एक लंबा सफर तय कर चुके हैं. अनेक रियासतों और क्षेत्रों के एकीकरण से बने देश से, अब हम एक वैश्विक शक्ति के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं. भारतीय आज बहुराष्ट्रीय कंपनियों का  नेतृत्व कर रहे हैं, बॉलीवुड की फिल्मों के प्रशंसक अनेक देशों में हैं, हमारे खिलाड़ी दुनिया भर में ख्याति हासिल कर हैं और इसरो हमारे तिरंगे को अंतरिक्ष के सुदूर ठिकानों तक ले जा रहा है. लेकिन ऐसा होने पर भी सर्वाधिक बेहतरीन चीजें अभी होने की हैं. भारत दुनिया की सर्वाधिक पुरातन सभ्यता है और वर्ष 2020 तक 29 वर्ष की औसत आयु के साथ दुनिया का सबसे युवा देश बनने की ओर अग्रसर है. यदि हम अपने देश की युवा शक्ति और अपने प्राचीन काल से अर्जित ज्ञान को मिला सकें तो भारत भविष्य में दुनिया का नेतृत्व करेगा.

लेकिन हमारे युवाओं की आर्थिक जिम्मेदारियां, उनके अपनी सामाजिक और पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने के रास्ते में आड़े नहीं आनी चाहिए. परिवार की देखभाल और समाज को आकार देने का एक महत्वपूर्ण पहलू बच्चों की परवरिश है. आज अगर हमारे बच्चे खुश, बुद्धिमान और स्वस्थ रहेंगे तो कल का भारत सक्षम और समृद्ध होगा.  चूंकि मेरी पत्नी बालरोग विशेषज्ञ हैं और मैं यूनिसेफ के साथ जुड़ा हुआ हूं, मैं बचपन के विकास के सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक प्रभावों से अवगत हूं. बच्चों की देखभाल में अगर हम आज एक डॉलर खर्च करते हैं तो भविष्य में समाज और अर्थव्यवस्था में उसके बदले में 13 डॉलर का रिटर्न मिलता है!

 बच्चे के जन्म के पूर्व ही उसके दिमाग का विकास होने लगता है और उसके दो वर्ष का होने तक मस्तिष्क 80 प्रतिशत तक विकसित हो जाता है. इसलिए इस दौरान माता-पिता अपने बच्चे के साथ कितना और किस तरह समय व्यतीत करते हैं, इसी से उसका आगे का जीवन निर्धारित होता है. हमारी संस्कृति में हजारों वर्षों से ‘गर्भसंस्कार’ की पद्धति प्रचलित है- जिसका मतलब होता है ‘गर्भ में ही भ्रूण को शिक्षित करना’. हममें से अनेक लोगों को महाभारत के अभिमन्यु की कहानी ज्ञात है. अभिमन्यु ने मां के गर्भ में ही युद्ध-विद्या सीख ली थी. इसलिए, मस्तिष्क के अच्छे विकास के लिए बच्चे को सुरक्षित और प्यार भरे माहौल में बड़ा होना चाहिए, उसे सही पोषण मिलना चाहिए और माता-पिता तथा अन्य लोगों को उसकी सकारात्मक भाव से देखभाल करनी चाहिए. 

एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि बच्चे की देखभाल की जिम्मेदारी माता-पिता दोनों की समान रूप से होती है. बच्चे को पिता का भी उतना ही प्यार और स्नेह चाहिए जितना मां का. देखा गया है कि शुरू से ही बच्चे को पिता का समान रूप से सान्निध्य मिलने पर उसके समग्र विकास में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. इतना ही नहीं बल्कि इससे माता पर भी ज्यादा दबाव नहीं पड़ता और देखभाल की पूरी जिम्मेदारी अकेले उस पर नहीं पड़ती. क्रिकेट के मैदान पर जैसे दोनों बल्लेबाजों का स्ट्राइक रोटेट करना महत्वपूर्ण होता है, वैसे ही माता-पिता दोनों की बच्चे की देखभाल में समान भूमिका होती है. यह जानकर खुशी मिलती है कि आज अनेक प्रगतिशील संस्थान स्त्री-पुरुष में भेद न करते हुए मैटर्निटी लीव के बजाय समान रूप से पैरेंटिंग लीव दे रहे हैं.  बच्चों के पहले 24 महीनों में उनके स्वास्थ्य और स्वच्छता का ध्यान रखना महत्वपूर्ण होता है. स्वच्छ पेयजल उपलब्ध होने, स्वच्छता का ध्यान रखने और समय पर टीकाकरण से बच्चे को मलेरिया, डायरिया जैसी बीमारियों का डर नहीं होता. पुरानी कहावत कि ‘सावधानी बरतना इलाज से बेहतर है’ बच्चों की देखभाल में एकदम सटीक बैठती है.

अंत में, बच्चों के साथ खेलने के लिए पर्याप्त समय दें. हमें लगता है कि बच्चे जब मुस्कराना शुरू करते हैं तभी वे समझना सीखते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि बच्चे के जन्म से ही हमारी भावनाएं उस तक पहुंचने लगती हैं. उनके अंदर बेशुमार जिज्ञासा होती है और वे नई चीजें खुशी से सीखते हैं. इसलिए, उन पर शुरुआत से ही ध्यान दें. उनसे बात करते समय नजरें मिलाएं. सुमधुर संगीत बजाएं अथवा गाना गाएं. बच्चों को नहलाते समय, दूध पिलाते समय या खेलते समय बात करने से उनका भाषा कौशल कई गुना विकसित होता है. नए चीजें सीखने के लिए प्रोत्साहित करने से उन्हें प्रेरणा मिलती है.

बच्चों के विकास में निवेश करना सर्वोत्तम है और इससे देश के आर्थिक विकास को गति मिल सकती है, शांतिपूर्ण  और शाश्वत समाज को बढ़ावा मिल सकता है तथा अत्यधिक गरीबी और असमानता को खत्म किया जा सकता है. बच्चों को समुचित आहार मिले, खेल-खेल में वे नई-नई चीजें सीखें और अपने माता-पिता का भरपूर प्रेम उन्हें मिले तो हम भविष्य को सकारात्मक आकार दे सकते हैं. तब हम अपने देश को 2050 तक निर्विवाद रूप से महाशक्ति बना सकते हैं और अपनी आने वाली पीढ़ी से  ओलंपिक में स्वर्ण पदक, नोबल पुरस्कार, विश्वकप जीतने,  खरबों डॉलर के उद्यम लगाने की उम्मीद कर सकते हैं. और याद रखें, बच्चे के मां के गर्भ में रहने के समय से ही इस सब की शुरुआत हो सकती है. स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं. जयहिंद.

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