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ब्लॉग: तकनीकी विकास से ही टाले जा सकते हैं रेल हादसे, ओडिशा की दुर्घटना ने फिर दिया सबक

By प्रमोद भार्गव | Updated: June 6, 2023 12:13 IST

फिलहाल देश में रेलवे नेटवर्क में केवल 1455 किमी रेल लाइनों पर ही स्वदेशी स्वचालित सुरक्षा प्रणाली ‘कवच’ काम कर रही है. इसे लेकर गंभीर काम करना होगा. ये भी हैरानी की बात है कि रेलवे में सुरक्षा वर्ग से जुड़े करीब 40 हजार पद रिक्त पड़े हुए हैं.

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ओडिशा के बालासोर के निकट शुक्रवार को हुई रेल दुर्घटना के बारे में कहा जा रहा है कि यदि हादसे के स्थल के आसपास स्वदेशी प्रणाली से विकसित ‘संरक्षा कवच’ का प्रबंध होता तो यह हादसा टल सकता था.

एक तरफ भारत ने रेलवे के क्षेत्र में इतना विकास कर लिया है कि वंदे-भारत एक्सप्रेस ट्रेन यूरोपीय, अमेरिकी और एशियाई देशों में निर्यात होने लग जाएगी. लेकिन रेल सुरक्षा से जुड़े तकनीकी विकास में हम अभी भी पिछड़े हुए हैं. हमने रेल की गति तो बहुत बढ़ा दी, लेकिन भारत में ही विकसित जो स्वदेशी स्वचालित सुरक्षा प्रणाली ‘कवच’ है, उसे अभी पूरे देश में नहीं पहुंचा पाए हैं. 

फिलहाल रेलवे नेटवर्क में केवल 1455 किमी रेल लाइनों पर ही यह सुविधा काम कर रही है. स्वयं रेलवे के अधिकारियों ने जानकारी दी है कि रेलगाड़ियों के परस्पर टकराने से रोकने वाली यह कवच सुविधा इस मार्ग पर उपलब्ध नहीं थी. हालांकि एनएफआईआर के महासचिव एम. राघवैया ने कहा है कि यह हादसा चंद पलों में हुआ है. इसलिए यह कहना मुश्किल है कि कवच सुविधा होने की स्थिति में भी हादसे को रोका जा सकता था अथवा नहीं? विडंबना ही है कि रेलवे में सुरक्षा वर्ग से जुड़े करीब 40 हजार पद रिक्त पड़े हुए हैं.

‘कवच’ स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित रेल सुरक्षा तकनीकी सुविधा है. इसे भारतीय रेलवे द्वारा दुनिया की सबसे सस्ती स्वचालित रेल दुर्घटना सुरक्षा प्रणाली के रूप में देखा जा रहा है. मार्च 2022 में इस कवच प्रौद्योगिकी का सफल परीक्षण किया गया था. इस दौरान एक ही पटरी पर विपरीत दिशा में दौड़ रही ट्रेनें यदि मानवीय या तकनीकी भूल के चलते आमने-सामने आ जाती हैं तो ‘कवच’ सुविधा के चलते ऐसे संकेत चालकों को मिलने लगते हैं कि कोई खतरा सामने है. खतरे के ये संकेत 400 से 500 मीटर की दूरी से मिलने शुरू हो जाते हैं. नतीजतन चालक ट्रेन को रोक लेता है.  

रेलवे के लिए एसएमएस आधारित सतर्कता प्रणाली (एडवांस वॉर्निंग सिस्टम) विकसित की गई है. इस प्रणाली को रेडियो फ्रीक्वेंसी एंटिना में क्रॉसिंग के आसपास एक किमी के दायरे में सभी रेल चालकों व यात्रियों के मोबाइल पर एसएमएस भेजकर आगे आने वाली क्रॉसिंग और ट्रेन के बारे में सावधान किया जाता है. 

इसमें जैसे-जैसे वाहन क्रॉसिंग के नजदीक पहुंचता है, उसके पहले कई एसएमएस और फिर ब्लिंकर और फिर अंत में हूटर के मार्फत वाहन चालक को सावधान करने की व्यवस्था थी. साथ ही रेल चालक को भी फाटक के बारे में सूचना देने का प्रावधान था, लेकिन जब इस तकनीक का अभ्यास किया गया तो यह परिणाम में खरी नहीं उतरी. रेल यात्रा को सुरक्षित बनाने की दृष्टि से ऐसे तकनीकी उपाय करने होंगे, जिससे रेल हादसे हों ही नहीं.

टॅग्स :भारतीय रेलरेल हादसाओड़िसा
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