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पीयूष पांडे का ब्लॉग: पहचान का क्रॉस कनेक्शन

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: January 11, 2020 14:59 IST

पहचान का मामला वास्तव में बहुत उलझाऊ है. आजकल आप जिसे जिस रूप में पहचानना शुरू करते हैं, थोड़े दिन में वो कुछ और ही पहचान लिए घूमता है. ठंड में जिसे फॉग समझो वो स्मॉग निकलता है. क्रिकेटर को पहचानना शुरू करो तो पता चलता है कि 100 आइटम बेचने वाला विज्ञापनबाज है.

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एक जाने-माने स्टैंडअप कॉमेडियन का पसंदीदा जुमला है - पहचान कौन? सरकार को कॉमेडी ज्यादा पसंद है या जुमलेबाजी, कहना मुश्किल है लेकिन उसने ‘पहचान कौन’ कार्यक्रम पूरे देश में लागू करने का मन बना लिया है. अब सरकार एक-एक को चुन-चुन कर पहचान लेना चाहती है. मैंने एक सत्ताधारी नेताजी से पूछा- ‘‘आपको डर नहीं लगता पहचान कौन कार्यक्रम से. आप नेता के भेष में दलाल हैं. पहचाने गए तो?’’ उन्होंने साफगोई से जवाब दिया-‘‘जब तक सत्ता में हैं, अपना कोई कुछ उखाड़ नहीं सकता. सत्ता में नहीं होंगे तो लाख ईमानदार हों, सरकार चाहेगी तो भ्रष्टाचारी, नक्सलवादी कुछ भी बता देगी.’’

पहचान का मामला वास्तव में बहुत उलझाऊ है. आजकल आप जिसे जिस रूप में पहचानना शुरू करते हैं, थोड़े दिन में वो कुछ और ही पहचान लिए घूमता है. ठंड में जिसे फॉग समझो वो स्मॉग निकलता है. क्रिकेटर को पहचानना शुरू करो तो पता चलता है कि 100 आइटम बेचने वाला विज्ञापनबाज है. जिसे गुंडा मानो, वो छात्न का आइडेंटिटी कार्ड निकाल लेता है व जिसे छात्न मानो, उसकी पहचान टीवी पर नकाबपोश प्रदर्शनकारी के रूप में होती है. जिसकी पहचान हीरों के कारोबारी की होती है, वो बैंक फ्रॉड करने वाला नीरव मोदी निकलता है. सोसाइटी के जिम में पसीना बहाते लंबे-चौड़े हैंडसम नौजवान की पहचान रात होते-होते किसी डिस्को के बाहर खड़े बाउंसर की हो जाती है.

हालात और स्थान के हिसाब से पहचान का स्तर भी घटता-बढ़ता रहता है. छोटे कस्बे का नेता अपने चेलों के बीच भगवान टाइप का दर्जा रखता है, लेकिन आलाकमान के सामने उसकी पहचान चिरकुट टाइप के कार्यकर्ता की होती है. हमारे एक अंकलजी का नाम भूरेलाल था. दसवीं का फॉर्म भरते हुए न जाने कैसे अंग्रेजी में उनका नाम बुरेलाल हो गया. जिस तरह सरकारें कहती फिरती हैं कि उनके जैसी ईमानदार सरकार कभी नहीं रही लेकिन लोग नहीं मानते. उसी तरह भूरेलाल अंकल कहते फिरते हैं कि उनका असली नाम भूरेलाल है लेकिन लोग नहीं मानते. पहचान का क्रॉस कनेक्शन जटिल मामला है. सरकार ने इसी जटिलता में टांग अड़ा दी है और केंद्र व राज्य सरकारें अब आपस में लंगड़ी टांग खेल रहे हैं अलबत्ता गिर लोग रहे हैं.

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