राजेश बादल का ब्लॉग: ह्यूस्टन जलसे से निकले देशी-विदेशी संदेश

By राजेश बादल | Updated: September 24, 2019 06:52 IST2019-09-24T06:52:46+5:302019-09-24T06:52:46+5:30

ह्यूस्टन टेक्सास  प्रांत का सबसे बड़ा शहर है. यहां रिपब्लिक और डेमोक्रेटिक मतदाताओं की तादाद भरपूर है. अब डोनाल्ड ट्रम्प ने इन मतदाताओं के बीच दूसरे कार्यकाल के लिए प्रचार अभियान तेज कर दिया है. वहां के धनाढ्य और उद्योगपति रिपब्लिकन पार्टी को समर्थन देते हैं. इस नाते यह वोट बैंक तो ट्रम्प का सुरक्षित है.

Native and foreign messages emanated from Houston prom | राजेश बादल का ब्लॉग: ह्यूस्टन जलसे से निकले देशी-विदेशी संदेश

फोटो क्रेडिट: ANI

ह्यूस्टन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने-अपने तरकश के तीर से अनेक निशाने साधे. अमेरिका के एक शहर में पचास हजार भारतीयों को एकत्रित करना उल्लेखनीय है तो उस सम्मेलन के बहाने अनेक पक्षों को संदेश देने का काम उससे भी अधिक महत्वपूर्ण है. एक तरफ संसार की अनेक शक्तियों को ट्रम्प की कूटनीतिक व राजनयिक परिपक्वता का नमूना मिला है तो दूसरी ओर भारतीय प्रधानमंत्री ने बिना नाम लिए पाक को अपने सख्त रवैये का एहसास कराया है. उधार का विमान लेकर अमेरिका पहुंचे पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए यह सबक हो सकता है. पड़ोसियों के घरों में ताक-झांक से इमरान को कुछ हासिल नहीं होगा. उन्हें अपना घर ठीक करना ही होगा. यही इमरान खान के लिए ह्यूस्टन के जलसे का सार है.

भारत ने इस आयोजन के बहाने विश्व बिरादरी को भी स्पष्ट कर दिया है कि उसे अपने अंदर झांकना चाहिए. चाहे वह चीन हो, टर्की हो या फिर सऊदी अरब. अमेरिका और हिंदुस्तान में घटी आतंकवादी वारदातों की कोख पाकिस्तान है. इसके अलावा ईरान और अफगानिस्तान में भी आतंकी हिंसा के तार पाकिस्तान में मिले हैं. अरसे तक बांग्लादेश में उसने हिंसा के जरिये अस्थिरता फैलाने का काम किया है. 

श्रीलंका और मालदीव के भीतर गड़बड़ियों के सूत्न भारत के इसी पड़ोसी मुल्क तक जाते हैं और चीन के मुस्लिम प्रांत शिनङिायांग में आतंकी हिंसा भी पाकिस्तान की धरती से समर्थन पाकर पनपी है. दो आतंकवादी गुटों पूर्वी तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट और तुर्किस्तान इस्लामिक पार्टी को पाकिस्तानी तालिबान जिहाद के लिए प्रशिक्षण और हथियार देते रहे हैं. पाकिस्तानी सेना के अनेक रिटायर्ड अफसर भी उनसे जुड़े हुए हैं. ह्यूस्टन में ट्रम्प ने इसीलिए पहली बार खुलकर इस्लामी आतंकवाद पर अपना गुस्सा दिखाया. इसे भारत की कूटनीतिक कामयाबी माना जा सकता है. पाकिस्तान कितना ही दर-दर भटक ले, उसे कम से कम कश्मीर पर साथ नहीं मिलने वाला है.

ह्यूस्टन के बहाने भारत के कश्मीर से अनुच्छेद 370 की विदाई के फैसले को अंतर्राष्ट्रीय अधिस्वीकृति मिल गई है. रूस और तमाम यूरोपीय देश इस मामले में पहले ही भारत का साथ दे रहे हैं. ह्यूस्टन में भारतीय प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र में चर्चा से पहले यह संदेश पाकिस्तान के अलावा भारतीय विपक्ष को भी दिया है कि वे समय रहते अपनी धारणा में संशोधन करें. हिंदुस्तान में विपक्ष को अब राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय मसलों पर बेहद संयम और अध्ययन की जरूरत है. चुनावी माहौल में ह्यूस्टन के कार्यक्रम का असर भारत में हरियाणा व महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव पर भी दिखाई देगा. इस अमेरिकी आधुनिक शहर में गुजरात और दक्षिण भारत के लोगों के बाद महाराष्ट्र से गए भारतीयों की तादाद अच्छी खासी है. विदेशी पूंजी निवेश के लिए इन दिनों कई अमेरिकी कंपनियां रुचि दिखा रही हैं. एक ताजा सर्वेक्षण के अनुसार महाराष्ट्र के मुंबई, पुणो, नागपुर और औरंगाबाद तथा हरियाणा में गुरु ग्राम और चंडीगढ़ इसके बड़े केंद्रों के रूप में विकसित हो सकते हैं. इसका असर महाराष्ट्र के चुनावी प्रचार पर भी पड़ेगा. ट्रम्प का साथ और 370 की विदाई को भाजपा क्यों नहीं भुनाना चाहेगी? दोनों राज्यों में पांच साल के नकारात्मक वोट को शून्य करने की दिशा में यह कार्यक्र म खास भूमिका निभा सकता है.

ह्यूस्टन टेक्सास  प्रांत का सबसे बड़ा शहर है. यहां रिपब्लिक और डेमोक्रेटिक मतदाताओं की तादाद भरपूर है. अब डोनाल्ड ट्रम्प ने इन मतदाताओं के बीच दूसरे कार्यकाल के लिए प्रचार अभियान तेज कर दिया है. वहां के धनाढ्य और उद्योगपति रिपब्लिकन पार्टी को समर्थन देते हैं. इस नाते यह वोट बैंक तो ट्रम्प का सुरक्षित है. दूसरी ओर अल्पसंख्यक, एशियाई, भारतीय, बौद्ध, सिख, मुस्लिम, ब्लैक और नौकरीपेशा लोग डेमोक्रेटिक पार्टी के सुरक्षित मतदाता हैं. इसी कारण ट्रम्प की विरोधी तुलसी गेबार्ड यहां से मजबूत स्थिति में हैं. वे टेक्सास से ही आती हैं. अलबत्ता तीसरे मतदान के बाद जारी दस उम्मीदवारों की सूची में उन्हें पार्टी ने स्थान नहीं दिया है, लेकिन वे उम्मीदों से भरी हैं. उन्होंने आवश्यक एक लाख तीस हजार लोगों से चंदा जुटाया है और दो फीसदी मतदान भी प्राप्त किया है. ट्रम्प का गणित यह है कि रिपब्लिक वोटों में डेमोक्र ेटिक प्रत्याशी के सेंध लगाने की संभावना कम है, मगर डेमोक्रेटिक मतदाताओं में सेंध लगाई जा सकती है. ऐसे में नरेंद्र मोदी के प्रशंसक भारतीय मूल के मतदाता ह्यूस्टन सभा से ट्रम्प के हक में मतदान का मन बनाते हैं तो ट्रम्प के लिए यह बड़ी उपलब्धि होगी. परदे के पीछे का यही समीकरण है. उनके सामने डेमोक्रेटिक पार्टी जो अन्य संभावित प्रत्याशी उतार सकती है, उनमें एक भारतीय मूल की सीनेटर कमलादेवी हैरिस भी हैं. इनमें से कोई भारतीय मूल का उम्मीदवार घोषित नहीं होता है तो ट्रम्प को मोदी की लोकप्रियता का लाभ यकीनन मिलेगा.

ह्यूस्टन उत्तरी अमेरिका का सबसे बड़ा शहर है. इस महानगर ने विश्व में हेल्थ केयर के क्षेत्न में एक बड़े शोध केंद्र के रूप में नाम कमाया है. नासा का एक बड़ा अंतरिक्ष केंद्र यहां पर है. इसके अलावा 2013 में इस महानगर को फोर्ब्स की सूची में करियर और कारोबार के लिए श्रेष्ठतम माना गया था. यही नहीं, मंदी के दौर में भी रोजगार पैदा करने में यह अमेरिका का पहले नंबर का शहर है. इसमें भारतीयों का योगदान कम नहीं है.

Web Title: Native and foreign messages emanated from Houston prom

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे