ब्लॉग:योगी का कद घटाने की कोशिशों के चलते यूपी की सीटें घटीं!
By निरंकार सिंह | Updated: July 2, 2024 10:10 IST2024-07-02T10:08:50+5:302024-07-02T10:10:06+5:30
सूत्रों का कहना है कि भाजपा को आरएसएस और उसके आनुषांगिक संगठनों से भी फीडबैक मिलेगा। संघ के लोगों से भी कहा गया है कि वे समीक्षा करके बताएं कि हार के क्या कारण रहे।

ब्लॉग:योगी का कद घटाने की कोशिशों के चलते यूपी की सीटें घटीं!
लोकसभा के चुनाव में उत्तर प्रदेश में सीटें कम मिलने के कारण भाजपा बहुमत का आंकड़ा पार नहीं कर पाई। इसके बारे में कई तरह की बातें कही जा रही हैं। दरअसल प्रदेश और देश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बढ़ती लोकप्रियता से उनके मंत्रिमंडल के ही कुछ लोग काफी परेशान हैं। इन मंत्रियों की मुख्यमंत्री बनने की लालसा भी हिलोरें मार रही है।
जाने-अनजाने में कुछ केंद्रीय नेताओं का भी इन्हें संरक्षण मिल रहा था।ये लोग नहीं चाहते थे कि योगी की लोकप्रियता बढ़े। इसलिए लोकसभा के चुनाव में भाजपा को जिताने और बढ़ाने में इनकी कोई विशेष सक्रियता भी दिखाई नहीं पड़ी। अब पार्टी संगठन एक टास्क फोर्स बनाकर इसके कारणों की छानबीन कर रहा है। प्रदेश में भाजपा की सीटें घटने के कई कारण बताए जा रहे हैं। पहला कारण, दो बार लगातार चुनाव जीतने वाले सांसदों का अपने-अपने क्षेत्र में भाजपा के कार्यकताओं के साथ-साथ जनता से संपर्क टूट गया था।
यदि आप सांसद या विधायक हैं तो आपको अपने क्षेत्र का बराबर दौरा करना चाहिए। लोगों की समस्याएं जाननी चाहिए। ये लोग मोदी और योगी के सहारे चुनाव जीतने की उम्मीदें लगाए बैठे थे, इसलिए अपने क्षेत्रों में जनता से संपर्क साधने की जरूरत नहीं समझी। दूसरा बड़ा कारण, भाजपा प्रदेश और जिला संगठन भी जनता से दूर हो गया है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कितने जिलों में संगठन को मजबूत करने के लिए कितनी बार दौरा किया, इसका कोई ब्यौरा पार्टी संगठन के पास नहीं है।
भाजपा को सबसे ज्यादा हैरानी अमेठी, फैजाबाद (अयोध्या वाली सीट), बलिया और सुलतानपुर जैसी सीटों पर हार से है। इन सीटों को भाजपा के लिए मजबूत माना जाता था।
अमेठी में स्मृति ईरानी की कांग्रेस के एक आम कार्यकर्ता से हार ने पूरे नैरेटिव को चोट पहुंचाई है। इसके अलावा अयोध्या की हार भी कान खड़े करने वाली है। सुल्तानपुर से मेनका गांधी भी चुनाव हार गईं, जो लगातार जीतती रही हैं। फिर अयोध्या की हार ने तो पूरे नैरेटिव को ही चोट पहुंचाई है। अब पार्टी पूरे नैरेटिव को कैसे सेट करे और अपनी हार को कैसे पचाया जाए, इसकी तैयारी में जुटी है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा को आरएसएस और उसके आनुषांगिक संगठनों से भी फीडबैक मिलेगा। संघ के लोगों से भी कहा गया है कि वे समीक्षा करके बताएं कि हार के क्या कारण रहे।
भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने यूपी में खराब छवि वाले कई सांसदों का टिकट काटने से परहेज किया। अधिक सीट जीतने पर योगी को हटाया जा सकता है, इस नैरेटिव का भी असर हुआ इसलिए उत्तर प्रदेश में इस लोकसभा चुनाव में भाजपा को कम सीटें हासिल हुई हैं। इसको लेकर भाजपा पर तमाम तरह के सवाल उठ रहे हैं।