कृष्ण प्रताप सिंह का ब्लॉग: परमाणु बमों का राजनीतिक इस्तेमाल

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: April 26, 2019 07:20 AM2019-04-26T07:20:54+5:302019-04-26T07:20:54+5:30

देश की इस घोषित नीति का तो अभी से जनाजा निकाल दिया गया है कि भारत न किसी देश को परमाणु अस्त्रों के इस्तेमाल की धमकी देगा और न ही उसे पहले इस्तेमाल करेगा. 

Krishna Pratap Singh's Blog: Political Use of Atomic Bombs | कृष्ण प्रताप सिंह का ब्लॉग: परमाणु बमों का राजनीतिक इस्तेमाल

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हिंदी साहित्य में युयुत्सावाद के प्रवर्तक कवि शलभ श्रीराम सिंह ने 1991 में अपनी बहुचर्चित ‘कौन’ शीर्षक कविता में पूछा था : कौन ले जा रहा है मनुष्य को/सामूहिक आत्मघात की दिशा में बिला ङिाझक?/ सभ्यता को/ध्वंसावशेषों के हवाले करना चाहता है कौन?/भाषाओं को/हथियारों में ढाल रहा है कौन?/कौन प्रक्षेपास्त्रों में तब्दील कर रहा है/संस्कृतियों को?/जीवन-शैलियों को/ सांप्रदायिकता के हलाहल का/रूप दे रहा है कौन?/विज्ञान के विनाशकारी उपयोग का/सपना देखने वाला कौन है सत्ताओं के सिवा/इस दुनिया में?’ आज वे हमारे बीच होते और लोकसभा चुनाव में जनादेश की छीना-झपटी के बीच यह पूछे जाते देखते कि हमने अपने परमाणु बम दीपावली पर फोड़ने के लिए बना रखे हैं क्या, तो क्या पता उन्हें हंसी आती कि रुलाई! 

जो भी आती, उनकी इस कविता के आखिरी सवाल को नया रूप देने की जरूरत जरूर जताती. यह पूछने की कि मनुष्यविरोधी सत्ताएं विज्ञान के विनाशकारी उपयोग के अपने सपने को कब तक अपने अंदर-बाहर के अनेकानेक संकटों के समाधान का अस्त्र बनाती रहेंगी और भोले-भाले देशवासी कब तक उनके इस तरह के छलिया अस्त्रों के सामने निष्कवच खड़े होने को अभिशप्त रहेंगे? क्या आश्चर्य कि कई प्रेक्षक कह रहे हैं कि भले ही परमाणु शस्त्र शस्त्रगारों की शोभा बढ़ाने के लिए होते हों या किसी युद्ध का आखिरी हथियार माने जाते हों इसलिए कि आज के हालात में उनके इस्तेमाल के बाद न कोई जीतने वाला रह जाता है, न हारने वाला, इस चुनाव में यह भाजपा का आखिरी हथियार नहीं सिद्ध होने वाला. सेना के बाद परमाणु बमों के भी राजनीतिक इस्तेमाल पर उतरकर भाजपा ने साफ जता दिया है कि हर हाल में जीतने के उसके मंसूबे आगे उसे किसी भी दिशा में हांक सकते हैं.        

देश की इस घोषित नीति का तो अभी से जनाजा निकाल दिया गया है कि भारत न किसी देश को परमाणु अस्त्रों के इस्तेमाल की धमकी देगा और न ही उसे पहले इस्तेमाल करेगा.  यह नीति इस सुविचारित निष्कर्ष पर आधारित है कि परमाणु अस्त्र संपूर्ण मानवता के लिए खतरनाक हैं और वे हमारे भविष्य को तय करने में नहीं, नष्ट करने में ही भूमिका निभा सकते हैं. सत्तारूढ़ दल को दोबारा चुनाव जीतने के लिए या तो अपने पिछले कामकाज का हिसाब देना होता है या आगे की ऐसी नीतियां और योजनाएं बतानी होती हैं, जिन पर जनता यकीन कर सके. लेकिन विडंबना यह कि जिस भाजपा को आमतौर पर अतीतजीवी माना जाता है और जो देश की प्राचीनता के गौरवगान व पुनरुत्थान की बातें करती नहीं थकती, आज मुश्किल यह है कि उसके पास अपनी सत्ता के पांच साल के अतीत के बखान के लिए कुछ खास नहीं है.

Web Title: Krishna Pratap Singh's Blog: Political Use of Atomic Bombs

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