वेंकटेश केसरी का ब्लॉगः भाजपा के अयोध्या कार्ड को कमजोर कर सकता है किसान मार्च
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: November 30, 2018 21:14 IST2018-11-30T21:14:20+5:302018-11-30T21:14:20+5:30
किसानों की उपेक्षा का असर मध्य प्रदेश में सत्ताधारी भाजपा की संभावनाओं पर पड़ सकता है.

वेंकटेश केसरी का ब्लॉगः भाजपा के अयोध्या कार्ड को कमजोर कर सकता है किसान मार्च
राष्ट्रीय राजधानी में शुक्रवार को किसानों का विरोध मार्च प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को झकझोर सकता है, क्योंकि इससे उनके विकास की पोल खुली है. यही नहीं, यह आंदोलन अगले वर्ष की शुरुआत में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले अयोध्या कार्ड को कमजोर कर सकता है.
किसानों की उपेक्षा का असर मध्य प्रदेश में सत्ताधारी भाजपा की संभावनाओं पर पड़ सकता है. यही कारण है कि पार्टी के शीर्ष नेता राज्य में रिकॉर्ड मतदान के बाद भी पार्टी की जीत का दावा करने से बच रहे हैं. गन्ना के मुद्दे पर भाजपा कैराना में हुए लोकसभा उपचुनाव में हार का सामना कर चुकी है जहां उसकी ध्रुवीकरण रणनीति कामयाब नहीं हुई.
रणनीति बेकार हुई. स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के नेता और सांसद राजू शेट्टी ने 2017 में लोकसभा में दो निजी सदस्य विधेयक पेश किए थे ताकि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के आधार पर कृषि उत्पादों के लिए उचित दाम की गारंटी और किसानों का कर्ज माफ हो सके. वह अखिल भारतीय किसान संघ समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के भी हिस्सा हैं.
किसी राजनीतिक दल के बैनर और विशिष्ट मुद्दों के बिना राष्ट्रीय स्तर पर किसानों का मार्च ऐसे वक्त में हुआ है जब भाजपा और संघ परिवार के रणनीतिकारों का मानना है कि अयोध्या नरेंद्र मोदी का दूसरा कार्यकाल सुनिश्चित कर सकता है. भाजपा गुजरात विधानसभा चुनाव में नोटबंदी और जीएसटी के मुद्दों से प्रभावित हुई थी.
उलझन में पड़ी सत्तारूढ़ पार्टी मध्य प्रदेश चुनाव में किसान संकट के मुद्दे पर रक्षात्मक थी. पार्टी के पास किसान नेताओं का भी अभाव है. विधानसभा चुनाव और 2014 के लोकसभा चुनाव में ध्रुवीकरण की रणनीति के कारण भाजपा जीतने में कामयाब रही.
सरकार को चर्चा करने के लिए कर सकते मजबूर : अगले महीने शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में किसानों का मामला गरमा सकता है क्योंकि गैर-भाजपा दल सरकार को इस पर पूरी तरह से चर्चा करने के लिए मजबूर कर सकते हैं. ऐसी परिस्थिति में भाजपा की सहयोगी शिवसेना, शिअद, और जदयू जैसी पार्टियां भी उनका विरोध नहीं कर सकती हैं.