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ब्लॉग: सपना होगा साकार! ऊर्जा के मामले में 2047 तक आत्मनिर्भर बन सकता है भारत

By निशांत | Updated: March 17, 2023 10:30 IST

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साल 2047 तक भारत अपना ऊर्जा आत्मनिर्भरता का सपना सच कर सकता है. दरअसल अमेरिकी ऊर्जा विभाग के लॉरेंस बर्कले नेशनल लेबोरेटरी (बर्कले लैब) द्वारा जारी पाथवेज टु आत्मनिर्भर भारत नाम के एक नए अध्ययन के अनुसार भारत में सस्ती होती क्लीन एनर्जी टेक्नोलॉजी और रिन्युएबल व लीथियम के क्षेत्र में तेज विकास के मिश्रित प्रभाव से लागत प्रभावी एनर्जी इंडिपेंडेंस का सपना साकार हो सकता है.  

भारत के तीन सबसे अधिक ऊर्जा गहन क्षेत्रों (बिजली, परिवहन और उद्योग) को परखते हुए, अध्ययन ने पाया कि इस ऊर्जा स्वतंत्रता को प्राप्त करने से महत्वपूर्ण आर्थिक, पर्यावरणीय और ऊर्जा लाभ भी उत्पन्न होंगे. इन लाभों में शामिल हैं 2047 तक 2.5 ट्रिलियन की उपभोक्ता बचत, 2047 तक फॉसिल फ्यूल आयात खर्च को 90% या 240 बिलियन प्रति वर्ष कम करना, विश्व स्तर पर भारत की औद्योगिक प्रतिस्पर्धा को बढ़ाना और भारत की नेट-जीरो प्रतिबद्धता को समय से पहले हासिल करना.

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता है और तेज आर्थिक विकास की बदौलत आने वाले दशकों में इसकी ऊर्जा मांग चौगुनी हो जाएगी. वर्तमान में, भारत को अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए खपत का 90% तेल, 80% औद्योगिक कोयला, और 40% प्राकृतिक गैस का आयात करना होता है. ऐसे में वैश्विक ऊर्जा बाजारों में मूल्य और आपूर्ति की अस्थिरता भारत के विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव डालती है, जिसके परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था पर बढ़ी मुद्रास्फीति का असर होता है.

निकित अभ्यंकर, बर्कले लैब वैज्ञानिक और अध्ययन के प्रमुख लेखक, इस अध्ययन के नतीजों को समेटते हुए कहते हैं, ‘‘भारत में क्लीन एनर्जी के लिए इससे बेहतर वक्त अब तक नहीं रहा है. भारत ने रिन्युएबल एनर्जी की दुनिया में सबसे कम कीमतों को हासिल किया है और दुनिया के कुछ सबसे बड़े लिथियम भंडार पाए हैं. यह सीधे तौर पर भारत को लागत प्रभावी ऊर्जा स्वतंत्रता की ओर ले जा सकता है.  यह आर्थिक और पर्यावरणीय रूप से भी लाभप्रद है.’’

अध्ययन से पता चलता है कि भारत के इस ऊर्जा स्वतंत्रता मार्ग में शामिल होगा साल 2030 तक 500 गीगा वॉट से अधिक गैर-जीवाश्म बिजली उत्पादन क्षमता स्थापित करना. सरकार ने यह लक्ष्य पहले ही घोषित किया हुआ है. इसके बाद, 2040 तक 80% क्लीन ग्रिड और 2047 तक 90% स्वच्छ ग्रिड. वहीं साल 2035 तक लगभग 100% बिकने वाले नए वाहन इलेक्ट्रिक हो सकते हैं. साल 2047 तक भारी औद्योगिक उत्पादन भी मुख्य रूप से ग्रीन हाइड्रोजन और विद्युतीकरण पर निर्भर हो सकता है.

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