हेमधर शर्मा ब्लॉग: यांत्रिकता में बाधा बनती मनुष्यता और यांत्रिक मनुष्य का निर्माण
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: November 6, 2024 12:39 PM2024-11-06T12:39:57+5:302024-11-06T12:40:04+5:30
डाकू खड़क सिंह घोड़े को ले तो जाता है लेकिन बाबा भारती की यह बात उसके मन में गूंजती रहती है और आखिरकार वह रात के अंधेरे में बाबा भारती के घर जाकर चुपके से उस घोड़े को अस्तबल में बांध आता है.
आविष्कारों ने तो हमेशा मानव जाति का विकास ही किया है; अन्य जीव-जंतुओं से मनुष्य इसीलिए श्रेष्ठ बन सका कि उसने प्रकृति के रहस्यों को अनावृत करना सीखा. फिर अब नये-नये आविष्कार डराने क्यों लगे हैं? तकनीक का दुरुपयोग कितना भयावह रूप लेता जा रहा है, इसका ताजा उदाहरण है डिजिटल अरेस्ट। साइबर अपराधियों का यह तरीका इतना खतरनाक है कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी इसको लेकर लोगों को चेताना पड़ा.
हालांकि इससे बचने के लिए कई उपाय सुझाए गए हैं लेकिन आम आदमी के लिए बचना इतना आसान नहीं है. हाल ही में एक बुजुर्ग महिला से साइबर अपराधियों ने उनकी बेटी के सेक्स रैकेट में फंसे होने की बात कहकर उसके फोटो वायरल करने की धमकी दी. बुजुर्ग महिला को इससे इतना सदमा लगा कि हार्ट अटैक से उनकी जान ही चली गई. बेशक, जांच में ऐसी फोटो को फर्जी साबित किया जा सकता है, लेकिन पीड़ित के परिचितों को अगर साइबर अपराधी ऐसी फर्जी फोटो भेजते हैं तो क्या वे अपनी धारणा बनाने के लिए फोटो की जांच होने तक इंतजार करते हैं?
अच्छी बातों पर हम भले ही तत्काल विश्वास न करें लेकिन बुरी बातों पर तुरंत कर लेते हैं और साइबर अपराधी हमारी इसी मानसिकता का फायदा उठाते हैं.
शायद इसीलिए अब जब किसी नये आविष्कार के बारे में पता चलता है तो खुशी कम होती है, डर ज्यादा लगता है. हाल ही में खबर आई कि अमेरिकी स्टार्टअप हेलियोस्पेक्ट जीनोमिक्स का दावा है कि उसकी इंसानी भ्रूण की जेनेटिक जांच के जरिये भविष्य में पैदा होने वाले बच्चों का आईक्यू सामान्य बच्चों से अधिक होगा और उसके जीनोमिक प्रीडिक्शन प्रोग्राम के जरिये दम्पति ऐसे बच्चों को जन्म दे सकते हैं जो बीमारियों से पूरी तरह मुक्त, होशियार और स्वस्थ होंगे.
सवाल यह है कि बीमारियां क्या पूरी तरह से जीन्स पर ही निर्भर होती हैं?
कुछ बीमारियां आनुवंशिक हो सकती हैं लेकिन अधिकतर रोग हमारी खराब जीवनशैली का परिणाम होते हैं। अस्वास्थ्यकर खानपान के होते हुए भी हम स्वस्थ रहने की अपेक्षा कैसे कर सकते हैं? और यदि सचमुच ही हम स्वच्छंद जीवन जीते हुए भी नई-नई खोजों के बल पर स्वस्थ बने रहें तो क्या यह और भी खतरनाक बात नहीं होगी? रोग एक चेतावनी होते हैं कि हमारे शरीर में कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ है. उस गड़बड़ी को दूर करने के बजाय अगर हम चेतावनी देने के सिस्टम को ही खत्म करने की कोशिश करें तो नतीजा क्या होगा?
कहते हैं हाल की जंगों में अनेक सैनिकों के दिमाग पर खून-खराबे का इतना गहरा असर हुआ है कि वे गुमसुम रहने लगे हैं और कुछ तो आत्महत्या कर चुके हैं. जीनोमिक्स प्रीडिक्शन प्रोग्राम जैसी तकनीकों से हो सकता है हम मनुष्यों की ऐसी नस्लों का विकास कर लें जो मानवीय संवेदनाओं से बेअसर रहते हुए ज्यादा मशीनी ढंग से अपने काम को अंजाम दे सकें!
हिंदी के मशहूर कहानीकार सुदर्शन की एक कालजयी कहानी है ‘हार की जीत’. एक बुजुर्ग सज्जन बाबा भारती का घोड़ा डाकू खड़क सिंह को पसंद आ जाता है और एक दिन वह अपाहिज का वेश बनाकर छल-बल से उस घोड़े को ले उड़ता है. लेकिन जाने के पहले बाबा भारती उस डाकू से कहते हैं कि इस घटना के बारे में किसी को बताना मत, वरना लोग गरीबों पर विश्वास नहीं करेंगे. डाकू खड़क सिंह घोड़े को ले तो जाता है लेकिन बाबा भारती की यह बात उसके मन में गूंजती रहती है और आखिरकार वह रात के अंधेरे में बाबा भारती के घर जाकर चुपके से उस घोड़े को अस्तबल में बांध आता है.
एआई की विजय दुंदुभि के बीच दुनिया में रोबोट युग की आहट सुनाई देने लगी है. ऐसे में आने वाली पीढ़ियां क्या यह विश्वास कर पाएंगी कि बाबा भारती और डाकू खड़क सिंह जैसे लोग भी कभी इस धरती पर रहते थे?