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समाज में भाईचारे का संदेश देता रंगों का त्यौहार

By नरेंद्र कौर छाबड़ा | Updated: March 14, 2025 06:35 IST

प्रह्लाद ऐसे ही लोगों का प्रतिनिधित्व करता है. प्रह्लाद का अर्थ है वह पहला व्यक्ति जिसको माध्यम बनाकर परमात्मा सबको आनंदित करते हैं.

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होली के दिन लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूलकर गले मिलते हैं और एक दूजे को रंग लगाते हैं. यह पर्व हर बंधन तोड़कर भाईचारे का संदेश देता है. फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला प्यार भरे रंगों का त्यौहार आपसी सौहार्द्र, एकता, सहयोग तथा मिलजुल कर रहने का पैगाम देता है.

रंगों का त्यौहार मनाने से एक रात पहले होली जलाई जाती है. इसके पीछे एक प्रचलित पौराणिक कथा है जिसके अनुसार भक्त प्रह्लाद का पिता हिरण्यकश्यप स्वयं को भगवान मानता था. वह विष्णु विरोधी था और प्रह्लाद विष्णु भक्त थे . जब उसने प्रह्लाद को विष्णु भक्ति करने से रोका और वह नहीं माना तो उसने अपनी बहन होलिका से मदद मांगी. होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था. वह प्रह्लाद को गोद में लेकर चिता पर बैठ गई लेकिन विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहे और होलिका जलकर भस्म हो गई.

इस कथा का आध्यात्मिक दृष्टि से अर्थ है कि कलियुग के अंतिम चरण में धर्म की ग्लानि हो जाती है और हिरण्यकश्यप जैसे लोगों का बहुमत हो जाता है. ये लोग परमात्मा से विमुख होकर अपनी मनमानी करते हैं. परमात्मा के मार्ग पर चलने वालों पर अत्याचार होते हैं और वे अल्पमत में होते हैं.

प्रह्लाद ऐसे ही लोगों का प्रतिनिधित्व करता है. प्रह्लाद का अर्थ है वह पहला व्यक्ति जिसको माध्यम बनाकर परमात्मा सबको आनंदित करते हैं. होलिका रूपी विकारी अग्नि से बचाने के लिए अपने बच्चों को योग अर्थात ईश्वरीय स्मृति रूपी कवच देते हैं. इस याद से विकारों की अग्नि शीतल हो जाती है. ईश्वर से प्रेम करने वालों की जीत हो जाती है और उन से विमुख करने वाली भावना का नाश हो जाता है. एक-दूसरे को रंग लगाकर स्नेहमिलन किया जाता है.

होली शब्द में भी गहन अर्थ समाया हुआ है. हो ली अर्थात जो बात बीत गई, उसे भुला दिया जाए, हो   ली अर्थात मैं आत्मा परमात्मा की हो गई तथा होली अर्थात पवित्र. पूरा अर्थ इस प्रकार किया जा सकता है- जब हम बीती बातों को भुलाकर परमात्मा के रंग में रंग जाते हैं उसके हो जाते हैं तो तन-मन से पवित्र हो जाते हैं. इसी खुशी में एक-दूसरे पर रंग डालकर प्रसन्नता जाहिर करते हैं.

इस पर्व पर रंग खेलने से तन-मन में उत्साह, उमंग, खुशी पैदा होती है जो स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है. यह पर्व मनोविकारों को समाप्त करने का है. अतः इसके महत्व को बरकरार रखना हमारा कर्तव्य है. उत्साह, उमंग, खुशी के साथ मनाते हुए अपने साथ-साथ दूसरों के जीवन में भी खुशियां लाने का प्रयत्न करना चाहिए. इसी में होली मनाने की सार्थकता है.

टॅग्स :होलीत्योहारभारतहिन्दू धर्म
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