Constitution of India: संविधान सर्वोपरि, उसी आलोक में बढ़ना होगा आगे?,  75 साल पहले बनाया था, समता, स्वतंत्रता, न्याय और बंधुता के आधार पर...

By विश्वनाथ सचदेव | Updated: February 3, 2025 05:49 IST2025-02-03T05:49:03+5:302025-02-03T05:49:03+5:30

Constitution of India samvidhan: हमारा भारत सबका रहेगा–यहां शासन में धर्म का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा, हर नागरिक अपनी आस्था के अनुसार अपने धर्म का पालन करते हुए यहां शान से जी सकेगा.

Constitution of India samvidhan Constitution supreme move forward light blog Vishwanath Sachdev 75 years ago chosen path equality freedom, justice fraternity | Constitution of India: संविधान सर्वोपरि, उसी आलोक में बढ़ना होगा आगे?,  75 साल पहले बनाया था, समता, स्वतंत्रता, न्याय और बंधुता के आधार पर...

सांकेतिक फोटो

Highlightsतब सब इस बात से सहमत थे. हिंदू-राष्ट्र की आवाजें तब भी उठी थीं.आवाजों के बावजूद हमारा भारत एक पंथ-निरपेक्ष राष्ट्र ही है.ग्रंथों से ऊपर स्थान दिया गया है. हमारी धार्मिक आस्था कुछ भी हो सकती है.

Constitution of India samvidhan: पूरे 75 साल पहले हमने अपने लिए एक संविधान बनाया था. समता, स्वतंत्रता, न्याय और बंधुता के आधार पर अपने भविष्य की एक राह चुनी थी हमने. यह सही है कि 1947 में हुए देश के विभाजन का आधार धर्म ही था, पर इससे कहीं अधिक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि हमारे संविधान निर्माताओं ने स्वतंत्र भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने से स्पष्ट इनकार कर दिया था. देश के चुने हुए मनीषियों ने गहन-गंभीर विचार के बाद यह निर्णय लिया था कि भारत से अलग होने वाला हिस्सा भले ही स्वयं को किसी धर्म-विशेष की भूमि घोषित करे, हमारा भारत सबका रहेगा–यहां शासन में धर्म का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा, हर नागरिक अपनी आस्था के अनुसार अपने धर्म का पालन करते हुए यहां शान से जी सकेगा.

ऐसा नहीं है कि तब सब इस बात से सहमत थे. हिंदू-राष्ट्र की आवाजें तब भी उठी थीं, और पिछले 75 साल के दौरान भी उठती रही हैं. धर्म के नाम पर राजनीति भी होती रही है, पर विविधता में एकता का महान उदाहरण बना रहा है हमारा देश. असहमति  की कुछ आवाजों के बावजूद हमारा भारत एक पंथ-निरपेक्ष राष्ट्र ही है.

ऐसे में महाकुंभ में एकत्र हुए कुछ लोगों द्वारा हिंदू राष्ट्र का संविधान घोषित किया जाना चर्चा और चिंता का विषय होना चाहिए. हर 26 जनवरी को हम अपना गणतंत्र दिवस मनाते हैं. 75 साल पहले इसी दिन हमने अपने लिए एक संविधान बनाया था, जिसे सब धर्म ग्रंथों से ऊपर स्थान दिया गया है. हमारी धार्मिक आस्था कुछ भी हो सकती है.

हम किसी भी पूजा-पद्धति से अपने आराध्य का स्मरण कर सकते हैं, लेकिन हमने इस बात को भी माना और स्वीकारा था कि हमारे भारत में धर्म के आधार पर किसी को भी ऊंचा या नीचा स्थान नहीं दिया जाएगा. न शासन में धर्म की दखलंदाजी होगी, न ही धार्मिक क्रिया-कलाप में शासन किसी तरह का हस्तक्षेप करेगा.

एक पंथ-निरपेक्ष राष्ट्र के रूप में हमने दुनिया के सामने एक आदर्श व्यवस्था का उदाहरण प्रस्तुत किया था. यह पंथ-निरपेक्षता हमारी पहचान और विशेषता है. ऐसे में किसी कथित हिंदू-राष्ट्र के संविधान के प्रारूप को जारी किया जाना, धर्माचार्यों  से उसका समर्थन करवाना  चिंता की बात है. 140 करोड़ भारतीयों का यह देश वस्तुतः विभिन्न धर्मों का एक खूबसूरत गुलदस्ता है.

हमारा भारत दुनिया का अकेला राष्ट्र है जहां लगभग सभी धर्मों को मानने वाले एक साथ मिलकर रह रहे हैं. यह देश हम सबका है. हम सबको अधिकार है कि हम स्वयं को इस महान देश का समान अधिकारों वाला नागरिक समझें, उसी के अनुरूप आचरण करें और हम सबका कर्तव्य है कि हम इस देश की अखंडता और एकता को बनाए रखने के लिए ईमानदार प्रयास करते रहें.

Web Title: Constitution of India samvidhan Constitution supreme move forward light blog Vishwanath Sachdev 75 years ago chosen path equality freedom, justice fraternity

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